यह जानते हुए कि हमें गॉसिप नहीं करनी चाहिए हम किसी न किसी गॉसिप में इन्वॉल्व हो ही जाते हैं. अब गॉसिप करने से खुद को रोक पाना एकदम से पॉसिबल तो नहीं है लेकिन आप चाहें तो गॉसिप करने की अपनी आदत पर सेल्फ-टॉक के जरिए थोड़ी लगाम लगा सकते हैं. सेल्फ-टॉक आपकी कैसे हेल्प कर सकती है बता रहे हैं स्पिरिचुअल एडुकेटर ब्रह्मकुमार निकुंज जी...


अरे, क्या तुम्हें पता है कि पड़ोस की लडक़ी का फर्स्ट फ्लोर पर रहने वाले एक लडक़े साथ अफेयर है? क्या तुम जानते हो कि आंटी के बेटे ने स्कूल में एडमिशन के लिए डोनेशन के तौर पर भारी अमाउंट दिया है?...ट्रेन से लेकर बस तक और ऑफिसेस से लेकर मैरिज फंक्शन तक, हम सभी को गॉसिप करना अच्छा लगता है. शायद ही कोई ऐसा होगा जो खुले तौर पर यह एक्सेप्ट करे कि उसे गॉसिप पसंद है लेकिन यह सच है कि गॉसिपिंग को सभी लोग एंज्वॉय करते हैं. गॉसिप हमें तभी बुरी लगती है जब यह हमारे बारे में होती है. सालों की रिसर्च के बाद साइकोलॉजिस्ट्स भी इस नतीजे पर पहुंचे कि जो लोग अपनेआप में खुश नहीं रहते हैं वे सोसाइटी में दूसरों की बातें करते हुए ज्यादा सुकून महसूस करते हैं. वैसे भी गॉसिप आमतौर पर लोगों को अट्रैक्ट करती है.


मीडिया में आने वाले सेलिब्रिटी से रिलेटेड गॉसिप पर लोग ज्यादा ध्यान देते हैं. हालांकि कई लोग गॉसिप को हार्मलेस एक्टिविटीज से जोडक़र देखते हैं पर वे इस बात को नहीं समझ पाते कि गॉसिप गुस्सा, इरिटेशन और फ्रस्ट्रेशन के लिए जिम्मेदार हो सकता है.  गॉसिप र्यूमर्स को जन्म देते हैं और इससे ऑफिस में कलीग्स के बीच और घर में फैमिली मेम्बर्स के बीच रिलेशनशिप पर भी बुरा असर पड़ता है. ...If not gossip, then what? जैसा कि हम खुद को सोशल एनिमल मानते हैं, ऐसे में हमें खुद को बिजी और खुश रखने की जरूरत होती है. खुद को एंजेग रखने का बेस्ट तरीका है खुद से बातें करना. कहीं चौंक तो नहीं गए. जी, हां हम सेल्फ-टॉक की ही बात कर रहे हैं. सेल्फ टॉक एक आर्ट होती है जो हमें हमारे इमेजिनेशन से भी ज्यादा हेल्प कर सकती है. हमें कुछ शेयर करने के लिए अपने सामने किसी की जरूरत क्यों महसूस होनी चाहिए. ऐसा क्यों नहीं हो सकता कि हम खुद अपने अंदर झांकें और खुद अपने आप से बातें करें. हम खुद से अलग दूसरों को केवल इसलिए ढूंढ़ते हैं क्योंकि हम खुद के अंदर नहीं जा पाते हैं. तो चलिए कुछ हेल्प आपकी हम कर देते हैं कि आप खुद से बातें कैसे करें...    Just listen and change your self talk, here the way...इनर डायलॉग्स यानी सेल्फ टॉक हमारी जिंदगी पर गहरा असर डालते हैं. हम अपनी सेल्फ- टॉक में पॉजिटिव चेंज लाकर अपनी लाइफ भी बदल सकते हैं.स्टेप 1:  सेल्फ-टॉक को ऑब्जर्व करें

सेल्फ-टॉक के जरिए आपका माइंड आप से हर सिचुएशन में बातें करता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सिचुएशन पॉजिटिव है या निगेटिव . ये बातें या तो आपको एंकरेज कर सकती हैं या आपको निराश भी कर सकती हैं. पहले स्टेप में आप सिर्फ निगेटिव और पॉजिटिव दोनों तरह के सेल्फ टॉक को बिना जजमेंटल हुए सुनते रहिए.स्टेप 2: आप क्या सुनना चाहते हैं?अब डिसाइड कीजिए कि आप किस तरह के सेल्फ-टॉक को ज्यादा सुनना चाह रहे हैं, निगेटिव या पॉजिटिव. अगर आप पॉजिटिव सेल्फ-टॉक की तरफ अट्रैक्ट होते हों तो अपने दिन भर की उन सिचुएशंस पर नजर रखिए जिन्हें आप अपने पॉजिटिव एटिट्यूड से चेंज कर सकते हैं.स्टेप 3:  जब सेल्फ-टॉक निगेटिव होइस स्टेप में आपको अपने निगेटिव सेल्फ-टॉक पर नजर रखनी है. जब आप निगेटव सेल्फ टॉक कर रहे हों तो अलर्ट हो जाइए. अगर आपका टोन ज्यादा निगेटिव है तो उसके असर को थोड़ा कम कर सकते हैं. उन सेल्फ टॉक को भी रिकग्नाइज कीजिए कि जो आपको एनकरेज और मोटिवेट करते हों ताकि आप पॉजिटिवली आगे बढ़ सकें.स्टेप 4: क्या है आपकी पसंद?

लास्ट स्टेप में आप उन सेल्फ-टॉक को तुरंत बंद कीजिए जो आपको अंदर से कमजोर करते हों और जहां आप खुद हारा हुआ महसूस करते हों. हर दिन आप अपने सेल्फ टॉक को मैनेज कीजिए. इसे सीखने में थोड़ा वक्त लगता है, थोड़ा पेशेंस रखिए.Hindi news from Lifestyle News Desk, inextlive

Posted By: Surabhi Yadav