धरती से सूरज की यात्रा पर निकला दुनिया का पहला सोलर प्रोब मिशन सभी को चौंका रहा है। सूरज तक पहुंचकर यह स्‍पेसक्राफ्ट क्‍या जांच करेगा यह तो बाद ही बात है लेकिन अभी तो हर कोई यही जानना चाहता है कि सूरज की इतनी भयानक गर्मी में भी यह मशीन आखिर कैसे पिघलने से बची रहेगी। तो चलिए जानते हैं इस सोलर प्रोब की चमत्‍कारिक क्षमता के बारे में।

वाशिंगटन (आईएएनएस) नासा ने दुनिया का सबसे दमदार और अनोखा सोलर मिशन 12 अगस्त को स्पेस में लॉन्च कर दिया है। अमेरीका के फ्लोरिडा में कैप-कैनरेवल स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया पार्कर सोलर प्रोब इंसान द्वारा बनाया गया पहला सबसे तेज सोलर मिशन है, जिसकी स्पीड हमारी आपकी सोच से भी परे है। नासा ने घोषणा कर दी है कि यह प्रोब धरती की कक्षा से निकलकर बेस स्पेसक्राफ्ट से अलग हो गया है और लाखों किमी की स्पीड से सूरज की ओर दौड़ चुका है।

लाखों किमी प्रति घंटे की स्पीड से जा रहा है सूरज की ओर
नासा द्वारा सूरज को छूने भेजा गया सोलर प्रोब 190 किमी प्रति सेकेंड यानि 6 लाख 90 हजार किमी प्रति घंटे की स्पीड से सूरज की यात्रा पर जा रहा है। इंसानों द्वारा बनाया गया यह अब तक का पहला सबसे तेज स्पेस मिशन है। इसी स्पीड से पार्कर सोलर प्रोब सूरज के नजदीक 6.12 मिलियन किलोमीटर की दूरी तक जाएगा। यानि यह प्रोब सूरज की वातावरण की जांच के दौरान उससे करीब 60 लाख किलोमीटर दूर होगा।

कई लाख डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच पिघले और जले बिना करेगा काम
पार्कर सोलर प्रोब सूरज के कोरोना यानि सूरज के आसपास के कई लाख किमी के खतरनाक तापमान वाले दायरे में चक्कर लगाएगा। इसके बावजूद यह प्रोब पिघलेगा कैसे नहीं, यह सवाल दुनिया भर के लोगों को परेशान कर रहा है। बता दें कि यह प्रोब वास्तव में कई मिलियन यानि लाखों डिग्री सेल्सियस वाले तापमान और सूरज की भीषण रोशनी के बीच होगा लेकिन इसकी हीट शील्ड को ऐसा बनाया गया है कि इतने भयानक तापमान पर भी प्रोब की मशीनों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। नासा ने इसके बारे में खुलासा किया है कि सूर्य के कोरोना का तापमान पर भले ही लाखों डिग्री सेल्सियस हो लेकिन वास्तव में प्रोब की हीटशील्ड को 1400 डिग्री सेल्सियस तक का ही तापमान झेलना पड़ेगा। इसके पीछे की वजह के बारे में नासा ने भौतिक विज्ञान का एक फैक्ट बताया है। जिसके मुताबिक स्पेस पूरी तरह से खाली है, ऐसे में वहां बहुत कम ऐसे पार्टिकल्स या कण मौजूद होते हैं जो तापमान और ऊर्जा को दूसरे किसी ऑब्जेक्ट तक ट्रांसफर कर सकें। इसके अलावा प्रोब का घनत्व भी बहुत कम होने के कारण इस तक पहुंचने वाली गर्मी बहुत कम हो जाएगी। यही वजह है कि कोरोना का तापमान लाखों डिग्री होने के बावजूद प्रोब की हीट शील्ड पर 1400 डिग्री की ही गर्मी पहुंचेगी।

 

The @NorthropGrumman third stage has ignited! #ParkerSolarProbe pic.twitter.com/gDdhbaxR2A

— NASA_LSP (@NASA_LSP) August 12, 2018हीटशील्ड से गुजरकर 1400 डिग्री का तापमान बचेगा सिर्फ 30 डिग्री
नासा ने अपने सोलर प्रोब को सूरज के नजदीक परिक्रमा करने के लिए एक ऐसी हीटशील्ड प्रदान की है, जो भयानक तापमान को सहकर प्रोब के सिस्टम और मशीन को बचाए रखेगी। जान हॉपकिंस लैब द्वारा विकसित की गई यह हीटशील्ड 8 फीट व्यास वाली और 4.5 इंच मोटी है। कार्बन कार्बन एडवांस्ड तकनीक से बनी इस शील्ड में कार्बन प्लेट की दो खास लेयर्स का सैंडविच जैसा बनाया गया है, जिसके भीतर प्रोब की पूरी मशीनरी सुरक्षित रहेगी। इसके अलावा तापमान को कम करने के लिए प्रोब में मौजूद इंसुलेशन और कूलिंग सिस्टम का भी बड़ा रोल है। नासा ने इस हीटशील्ड को 1650 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर टेस्ट करके देख लिया है कि यह शील्ड प्रोब को कुछ नहीं होने देगी और हीटशील्ड के बाहर का तापमान भले ही 1400 डिग्री के आसपास हो, लेकिन इसके भीतर मौजूद प्रोब की मशीनरी और संचार उपकरण 30 डिग्री के नॉर्मल रूम टेंम्प्रेचर पर काम कर सकेंगे।

Posted By: Chandramohan Mishra