- टिकटार्थियों, प्रत्याशियों ने सपा मुख्यालय से बनाई दूरी

-जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट में लगने लगा नेताओं का जमावड़ा

- शिवपाल की ताकत घट रही, नाममात्र को बचे प्रदेश अध्यक्ष

LUCKNOW:

स्थान- सपा मुख्यालय, समय दिन के बारह बजे। मुख्यालय पर सन्नाटा, चुनिंदा कार्यकर्ता और खबरनवीस। भीतर भी उंगलियों पर गिने जा सके जाने वाले कार्यकर्ता, पदाधिकारियों व प्रवक्ताओं के कमरे भी लगभग खाली

स्थान- जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट, समय दिन के बारह बजे। ट्रस्ट के भीतर और बाहर सड़क पर लग्जरी गाडि़यों की भरमार। भीतर पांव रखने तक की जगह तक नहीं। बायोडाटा लिए तमाम टिकटार्थी कार्यालय प्रभारी एसआरएस यादव व काबीना मंत्री राजेंद्र चौधरी के कमरे के बाहर बारी का इंतजार करते

समाजवादी पार्टी की राजनीति का केंद्र बनी दोनों प्लेसेज से संकेत साफ था कि पार्टी में अब संगठन पर वर्चस्व की जंग शुरू हो चुकी है। आमतौर पर सपा मुख्यालय में दिखने वाली टिकटार्थियों, प्रत्याशियों, नेताओं और कार्यकर्ताओं की भीड़ अब जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट में सिमटती जा रही है। कहना गलत न होगा कि परिवार में छिड़ी रार के बाद नेताओं ने भी अपनी आस्था बदलने की तैयारी शुरू कर दी है। यही वजह है कि वे ट्रस्ट पर बने नये कार्यालय को अपना नया पार्टी मुख्यालय स्वीकार चुके हैं।

शिवपाल कैंप में मायूसी

पिछले कुछ दिनों से जारी घटनाक्रम के दौरान सबसे ज्यादा नुकसान शिवपाल कैंप को हुआ है। सूबे के सबसे ताकतवर मंत्री माने जाने वाले शिवपाल सिंह यादव के आवास पर पुराने दिनों के मुकाबले अब कम भीड़ नजर आने लगी है। कभी यहां मंत्रियों, विधायकों, अधिकारियों का जमावड़ा रहता था। पारिवारिक रार के बाद सत्ता और ताकत को भांपते हुए उन्होंने अपने कदम फाइव केडी तक ही सीमित कर लिए हैं। यही वजह है कि चुनिंदा नेताओं के अलावा शिवपाल के साथ वरिष्ठ नेताओं की बैठकी भी कम होती जा रही है। अब पार्टी मुख्यालय और उनके आवास जाने वालों में बर्खास्त मंत्री और कुछ वरिष्ठ नेता ही शाि1मल हैं।

सोमवार को मिली थी झलक

बदलाव की बयार का अहसास सोमवार को पार्टी की संयुक्त बैठक में देखने को मिली थी जब युवा नेताओं ने सपा मुख्यालय पर पहले से ही कब्जा जमा लिया था। बैठक शुरू होने के साथ ही अखिलेश के समर्थन में गगनभेदी नारे लगने शुरू हो गये थे। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के संबोधन के दौरान हो रही हूटिंग उन्हें लगातार विचलित कर रही थी। यही वजह रही कि उन्हें मंच से कहना पड़ा था कि 'हम अपने लोग भी बुला सकते थे'। अब देखना यह है कि शिवपाल किस तरह संगठन पर दोबारा अपनी पकड़ मजबूत बनाते हैं।

Posted By: Inextlive