कैंसर से जूझ रहे मरीजों को जीने की राह दिखा रही उम्मीद संस्था

दर्जनों मरीजों ने अपनी इच्छाशक्ति से दी कैंसर को मात

Meerut। मन में यदि इच्छा हो और समय से बीमारी की पहचान होने के बाद सही इलाज मिल जाए तो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को भी मात दी जा सकती है। इसी इच्छाशक्ति का नतीजा है कि इस गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने के बाद भी शहर में ऐसे दर्जनों मरीज हैं जो ना सिर्फ बीमारी से बाहर आ चुके हैं बल्कि खुद दूसरों के लिए मिसाल बनकर कैंसर से लड़ने और जीतने का संदेश दे रहे हैं। शहर में कई संस्था विभिन्न माध्यमों, कैंपेन, फेसबुक ग्रुप, व्हाट्सऐप ग्रुप आदि के माध्यम से कैंसर के प्रति अलख जगा कर लोगों की जिंदगी बचा रहीं हैं। इन लोगों के प्रयास से आज कैंसर जैसी गंभीर बीमारी पर लोगों की खुद की इच्छा शक्ति भारी पड़ रही है।

कैंसर से जीतने की 'उम्मीद'

शहर में कैंसर से जूझ रही महिलाओं के लिए शहर में उम्मीद नाम की संस्था कई सालों से काम कर रही है। इस संस्था में शामिल महिलाएं कैंसर की मरीज होने के बाद भी कैंसर को मात देकर एक उदाहरण बनी हैं और अब कैंसर की महिला मरीजों के लिए उपचार, शिविर, दवा वितरण व काउंसलिंग का काम कर इस बीमारी से उभारने का काम कर रही हैं।

जल रही क्रांति की मशाल

इन महिलाओं ने शिविर लगाकर जागरुकता फैलाने के साथ फेसबुक पर भी गु्रप व पेज बनाकर कैंपेन चलाया है। उम्मीद-एक कैंसर सर्वाइवर्स सपोर्ट नाम के इस गु्रप को तीन हजार से अधिक लोग जुडे़ हैं और लगातार कैंसर के मरीजों को जागरुक कर रहे हैं।

कैंसर की जंग जीत कर बनी मिसाल

ममता दीक्षित

सचिव उम्मीद संस्था

4 जून 2013 को कैंसर की बीमारी का पता चलने के बाद ममता दीक्षित ने न सिर्फ अपने आप को संभाला और खुद को गहरे अवसाद से निकालते हुए कैंसर की बीमारी को दूर कर दिया। कैंसर के मरीजों में जीने की उम्मीद जगाने के लिए ममता दीक्षित उम्मीद संस्था के साथ जुड़ कर लगातार कैंसर के मरीजों के लिए काम कर रही हैं। ममता दीक्षित को कला निधि अवार्ड, दुल्लीचंद अवार्ड, शौर्य अवार्ड आदि से भी सम्मानित किया जा चुका है।

गरिमा सिंह

11 मई 2016 को ब्लड कैंसर का पता चलने के बाद करीब छह माह तक गरिमा सिंह ने लगातार कैंसर से जंग लड़ी और अपनी दृढइच्छा शक्ति के चलते कैंसर को मात दे दी। गरिमा सिंह ने बताया कि अपने एकमात्र बेटा उनके लिए उम्मीद की किरण बना और अपने बेटे के लिए ही वो इस बीमारी से लड़ कर कैंसर से बाहर आई। आज गरिमा सिंह ना सिर्फ बतौर शिक्षक डीएमए स्कूल में जॉब कर रही है बल्कि उम्मीद संस्था से जुड़कर कैंसर के मरीजों में जागरुकता फैला रही हैं।

कैंसर कोई असाध्य रोग नहीं है। इसकी समय पर पहचान कर पूरा इलाज करना बेहद जरूरी है। अधिकतर मरीज इलाज की जटिलताओं से घबरा जाते हैं, जबकि मजबूत इच्छा शक्ति से कैंसर की जंग आसानी से जीती जा सकती है।

डॉ। सुभाष सिंह

कैंसर विशेषज्ञ, मेडिकल कॉलेज

कैंसर को लेकर लोगों का नजरिया धीरे-धीरे बदल रहा है। पहले लोग कैंसर का नाम सुनकर घबरा जाते थे, लेकिन अब उन्हें पता है कि कैंसर का इलाज संभव है और तमाम लोगों ने सही इलाज से कैंसर की जंग को जीता भी है।

डॉ। सुनील गुप्ता

केएमसी कैंसर संस्थान

Posted By: Inextlive