-वोटिंग में कर्मचारियों का फैसला, 567 वोट में से 558 फैक्ट्री चलाने के पक्ष में, 8 वीआरएस के पक्ष में

-विमको बंद होने के निर्णय के विरोध में मैदान में उतरे कर्मचारी

BAREILLY: मैनेजमेंट द्वारा विमको को बंद करने के निर्णय से कर्मचारियों के सामने रोजगार के लाले पड़ गए हैं। विमको से जुड़े कर्मचारी किसी भी सिचुएशन में वीआरएस लेने के पक्ष में नहीं हैं। इस संबंध में कर्मचारी यूनियन ने कर्मचारियों की मंशा जानने के लिए दो मुद्दे पर मतदान भी कराया। मैक्सिमम कर्मचारी फैक्ट्री चलाने के पक्ष में हैं।

भ्भ्8 कर्मचारी नहीं चाहते वीआरएस

कर्मचारी किसी भी कीमत पर वीआरएस लेने के पक्ष में नहीं हैं। कर्मचारियों की राय जानने के लिए थर्सडे को दो मुद्दे पर मतदान कराया गया। हालांकि वोटिंग सिर्फ परमानेंट कर्मचारियों ने किया। टोटल म्म्ब् में से भ्म्7 वोट पड़े। इनमें से भ्भ्8 कर्मचारी फैक्ट्री चलाने के पक्ष में, 8 वीआरएस के पक्ष में और एक वोट कैंसिल रहा।

यूनियन पदाधिकारियों ने की मीटिंग

विमको संघर्ष समिति और केंद्रीय महासंघ सीटू, इंटक और बीएमएस के संयुक्त आह्वान पर मीटिंग हुई। सीटू के जिला मंत्री जगदीश गंगवार ने कहा कि, बरेली की शान विमको को बचाने के लिए कर्मचारी सड़क पर उतरेंगे। इस मौके पर इंटक के प्रदेश महासचिव सतीश मेहता, चंद्रपाल, राजेंद्र घिल्डियाल सहित अन्य यूनियन नेताओं ने भी कंपनी के चलाए जाने के पक्ष में रणनीति तैयार किया।

वीआरएस का लालच दे रहा मैनेजमेंट

वहीं विमको मैनेजमेंट वीआरएस देकर मामला सुलझाने में लगा हुआ है। कंपनी में बतौर सुरवाइजर काम करने वाले संतोष कुमार ने बताया कि, जिन लोगों की नौकरी को दो साल है, कंपनी उनको 90 परसेंट, चार साल वालों को 80 और म् साल वालों को 7क् परसेंट बेसिक इंडक्स का देना चाहती है। हालांकि कर्मचारी अड़े हैं और रोजाना की तरह थर्सडे को भी तय समय पर कर्मचारी ड्यूटी करने पहुंचे, लेकिन कोई काम नहीं हुआ।

900 कर्मचारियों के सामने रोजी रोटी का संकट

विमको पर पूर्ण रूप से ताला लटकने पर करीब 900 कर्मचारियों का परिवार संकट में आ जाएगा। विमको में वर्तमान समय में म्म्ब् कर्मचारी परमानेंट हैं। बाकी संविदा, ट्रेनी और अप्रेंटिस के तौर पर जुड़े हैं। फिलहाल मैनेजमेंट ने प्रोडक्शन बंद भी कर दिया है।

कर्मचारियों का परिवार भ्ाी सदमे में

मैनेजमेंट के इस फैसले से कर्मचारियों के छोटे-छोटे बच्चों की पढ़ाई भी डिस्टर्ब होने लगी है। नौकरी खोने के डर से कर्मचारियों का परिवार सदमे में आ गया है। हक की लड़ाई के लिए कर्मचारियों के परिवार का हर सदस्य मैनेजमेंट के विरोध में खड़ा नजर आ रहा है। अब देखने वाली बात यह है कि, शहर के बाकी बंद इंडस्ट्रीज की तरह विमको से जुड़े कर्मचारियों को बिना उनका हक दिए ही उनकी मांगों को दरकिनार कर दिया जाता है या फिर मैनेजमेंट कुछ उनके बारे में सोचती है।

दो साल से बंद है ओटी

कंपनी ने दो साल पहले ही ओटी बंद कर मंशा जता दी थी। ओटी सिस्टम खत्म होने से कर्मचारियों की पहले की कमर टूट चुकी थी। मैक्सिमम कर्मचारी ओटी के पक्ष में थे। लेकिन मैनेजमेंट अडिग रहा। भ्म् एकड़ में फैले विमको प्रोडक्शन से जुड़े हुए सात डिपार्टमेंट हैं। इनमें पैकिंग, बॉक्स फीलिंग, क्लॉसिंग, डिपिंग, एचएच लाइन सहित डिपार्टमेंट शाि1मल हैं।

दम तोड़ रही जिंदगी

नौकरी जाने के डर से कर्मचारियों और उनके पारिवारिक सदस्यों की जिंदगी भी दम तोड़ने लगी है। सीबीगंज के रहने वाले विमको के परमानेंट कर्मचारी श्याम लाल सागर के छोटे बेटे प्रेम सिंह ने पिता की नौकरी जाने के डर से जहर खाकर जान दे दी। प्रेम की म् महीने पहले ही शादी हुई थी।

कोट

कंपनी के इस निर्णय से कर्मचारी टूट जाएंगे। यूनियन और कर्मचारी यह नहीं चाहते कि कंपनी बंद हो। हम वीआरएस नहीं काम करने के पक्ष में हैं। मतदान का जो रिजल्ट आया है वह भी कंपनी चलाने के पक्ष में है।

राजीव शांत, संयुक्त सचिव, सेंट्रल ऑफ ट्रेड यूनियन

पिछले ख्0 साल से कंपनी में काम कर रहा हूं। घर में 8 मेंबर हैं। सबकी जिम्मेदारी मेरे कंधों पर है। ऐसे में फैक्ट्री का बंद होना एक बहुत बड़ा संकट है।

नवल किशोर, कर्मचारी, विमको

घर के सभी सदस्य चिंतित हैं कि अब क्या होगा। आने वाले संकट के डर से रात में नींद तक नहीं आ रही है। किसी भी कीमत पर वीआरएस लेने के पक्ष में नहीं है।

मेहर अली, कर्मचारी, विमको

मैंने कंपनी चलाए जाने के पक्ष में मतदान किया है। यह एक नहीं बल्कि कई परिवारों से जुड़ा मामला है।

यासिन अली, कर्मचारी विमको

Posted By: Inextlive