प्राइवेट सेक्टर के मरीजों को कंट्रोल करने के लिए सरकार और एनजीओ ने शुरु किया जीत प्रोजेक्ट

टीम करेगी जागरूक, डिफाल्टर का लगाएंगे पता

Meerut। टीबी को खत्म करने में शासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्राइवेट सेक्टर के डॉक्टर व फार्मासिस्ट की ओर से आ रही है। तमाम जतन के बाद भी शासन प्राइवेट सेक्टर से टीबी के मरीजों की शिनाख्त नहीं कर पा रहा है। इस जंग को जीतने के लिए शासन ने अब जीत यानि ज्वाइंट एफर्ट फॉर एलिमिनेटिंग ऑफ टीबी प्रोजेक्ट का सहारा लिया है। इस प्रोजेक्ट के तहत शासन और एनजीओ मिलकर टीबी के खिलाफ जंग लडें़गे।

यह है योजना

जीत प्रोजेक्ट के तहत प्राइवेट सेक्टर के टीबी के मरीजों को कंट्रोल किया जाएगा। इसके लिए जिला टीबी विभाग और सेंटर फॉर हैल्थ रिसर्च एंड इनोवेशन (पाथ ) मिलकर काम करेगी। इसके तहत सबसे बड़ा फायदा प्राइवेट मरीजों को स्पूटम की सीवी नॉट जांच में होगा। प्राइवेट में जहां करीब ढाई हजार रूपये में यह जांच होती है वहीं ट्रीटमेंट कोर्डिनेटर अपने सेंटर में जाकर मरीज का स्पुटम कलेक्ट करेगा और मरीज की निशुल्क जांच की जाएगी।

एरिया होंगे डिसाइड

टीबी की जांच करने वाले मेरठ में करीब मेरठ में करीब 300 प्राइवेट डॉक्टर्स रजिस्टर्ड हैं। इन डॉक्टर्स को एरिया वाइज 17 हब सेंटर में बांटा जाएगा। एक सेंटर के लिए एक कोर्डिनेटर नियुक्त किया जाएगा। जिसकी जिम्मेदारी इन सेंटर्स पर एक-एक मरीज के इलाज की मॉनिटरिंग की होगी। जीत प्रोजेक्ट के तहत 31 लोगों की टीम काम करेगी।

देशभर में चल रहा प्रोजेक्ट

जीत की प्रोजेक्ट लीड डा। भारती ने बताया कि देशभर के 10 राज्यों में टीबी के खिलाफ जीत प्रोजेक्ट के तहत जंग लड़ी जा़ रही हैं। जिसमें फिलहाल यूपी के 60 जिले, महाराष्ट्र के 65 जिले, जेएंडके में श्रीनगर, असम के 32 जिले, झारखंड के 13 जिले, छत्तीसगढ़ के 18 जिले, केरला के 14 जिले, संपूर्ण गोआ, उत्तराखंड के 3 जिले और उड़ीसा के 11 जिलों में यह प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। अब मेरठ में भी इसे शुरु किया जाएगा।

प्राइवेट सेक्टर के मरीजों की मॉनिटरिंग और डिफाल्टर्स ढूंढने के लिए जीत प्रोजेक्ट पर काम किया जाएगा। योजना की पूरी रणनीति तैयार हैं।

डॉ। एमएस फौजदार, जिला टीबी अधिकारी, मेरठ

Posted By: Inextlive