Gorakhpur : पसीना निकलना बंद हो गया है तेज धूप भी अब बॉडी को नहीं जला रही है. ऐसा मालूम पड़ रहा है मानों सारी प्रॉब्लम खत्म हो गई है मगर टेंप्रेचर में अचानक चेंज के साथ आई ठंड गोरखपुराइट्स के लिए नई प्रॉब्लम लेकर आई है. चेंज होते टेंप्रेचर में बॉडी का इम्यून सिस्टम काफी वीक हो जाता है जिससे कई तरह की बीमारियां उसे अपना शिकार बना लेती है. सिटी में भी ऐसे लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जो फीवर खांसी जैसी प्रॉब्लम से परेशान है. साथ ही हार्ट और अस्थमा के मरीजों की प्रॉब्लम भी ठंड बढऩे के साथ बढ़ती जा रही है.


इंफेक्शन नहीं इम्यून सिस्टम वीक होने से बढ़ी प्रॉब्लमटेंप्रेचर में गिरावट के साथ जहां दिन की धूप मीठी लग रही है, वहीं रात का कोहरा ठंड का अहसास करा रहा है। टेंप्रेचर में अचानक आई चेंजिंग से बॉडी की इम्यूनिटी पॉवर वीक हो जाती है। इम्यून सिस्टम के वीक होने से कई तरह की बीमारियां लोगों को सता रही हैं। इससे पहले सिटी के लोगों को इंफेक्शन ने परेशान कर रखा था। सिटी का हर दूसरा शख्स ठंड आने के साथ किसी न किसी प्रॉब्लम से परेशान है। बढ़ सकती है हार्ट पेशेंट की प्रॉब्लम
टेंप्रेचर में अचानक चेंज आने से हार्ट और अस्थमा के मरीजों की प्रॉब्लम बढ़ जाती है। डॉक्टर्स के मुताबिक हार्ट और अस्थमा के मरीजों के लिए अचानक टेंप्रेचर चेंज होना जानलेवा भी साबित हो सकता है इसलिए ऐसे लोगों को इस सीजन में सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। साथ ही इस सीजन में ही हार्ट और अस्थमा के नए मरीजों की पहचान होती है। ठंड के साथ सता रहीं ये प्रॉब्लम्स- तेज फीवर- पूरी बॉडी में टूटन जैसा दर्द- सूखी खांसी- गले से निगलने में प्रॉब्लम- हमेशा थकान लगना- चक्कर आना- उल्टी आनाऐसे बचें मौसम के सितम से


- सुबह और शाम कपड़े पहनने पर ध्यान दें- नहाने के लिए गर्म पानी का यूज न करें- अचानक बॉडी का टेंप्रेचर चेंज न होने दें- प्रॉब्लम होने पर तुरंत डॉक्टर से एडवाइस लेंमौसम में अचानक चेंज होने से बॉडी का इम्यून सिस्टम वीक हो जाता है। ऐसे में फीवर समेत कई सिंपल बीमारियां भी उसे अपना शिकार बना लेती हैं। इस टाइम होने वाली बीमारियां इंफेक्शन के कारण नहीं होतीं।डॉ। सुधांशु शंकर, फिजीशियनटेंप्रेचर में चेंज होने से बॉडी एडजस्ट नहीं कर पाती, इससे कई बीमारियां हो जाती है। ये प्रॉब्लम दो से तीन वीक तक रहेगी। इस सीजन में फीवर, खांसी, गले से निगलने में प्रॉब्लम जैसी कई दिक्कतें होने के चांसेस अधिक रहते हैं। डॉ। एस श्रीवास्तव, फिजीशियन

Posted By: Inextlive