तो आखिरकार दिल्‍ली में चुनाव प्रचार के शोर को विराम मिल ही गया. दिल्‍ली में विधानसभा चुनाव के प्रचार के लिये इस बार उम्मीदवारों को अधिकतम 22 और न्यूनतम 12 दिनों का वक्त मिला. इसके बावजूद यहां इतने कम समय में भी इतना जबरदस्‍त चुनाव प्रचार हुआ कि इतने ही दिनों में पूरे भारत को दिल्‍ली में चुनाव की स्थितियों के बारे में अंदाजा आसानी से लग गया. उम्मीदवारों और तमाम पार्टियों के बड़े नेताओं की ओर से सैकड़ों की तादाद में यहां नुक्कड़ सभाओं रैलियों जनसभाओं पदयात्राओं और रोड शोज का आयोजन किया गया.

थम गया प्रचार
इन सबके बाद गुरुवार शाम को चुनाव प्रचार का शोर जैसे पूरी तरह से म्यूट हो गया. प्रचार का शोर थमने के साथ ही दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी चंद्रभूषण कुमार ने जानकारी दी कि 2015 में इस बार चुनाव प्रचार से जुड़े कार्यक्रमों की इजाजत देने के लिये जो सिंगल विंडो सिस्टम बनाया गया था, उसकी ओर से काफी अच्छा काम किया गया है. वहां से कुल 21,702 चुनावी रैलियों, सभाओं और अन्य कार्यक्रमों की इजाजत दी गई. वो बात और है कि इस दौरान 1875 आवेदनों को स्थान, समय, सुरक्षा व्यवस्था जैसे कई आधारों पर नकारा भी गया.
मीडिया के लिये क्या था खास
प्रचार में मीडिया के योगदान को लेकर जानकारी देते हुये सीईओ ने यह भी बताया कि प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और रेडियो समेत अन्य प्रचार माध्यमों में विज्ञापनों के जरिए चुनाव प्रचार की इजाजत देने के लिये बनाई गई मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मॉनिटरिंग कमेटी ने कुल 187 ऑडियो विजुअल विज्ञापनों के आवेदनों को ही स्वीकार किया. बताया जा रहा है कि उनके लिये सर्टिफिकेट जारी किये गये. वहीं 21 आवेदनों को रिजेक्ट भी कर दिया गया.
252 लोगों के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर
इतना ही नहीं कई बार आचार संहिता के उल्लंघन के भी मामले सामने आये. गौर करें तो मालूम पड़ेगा कि ऐसे 252 मामले सामने आये, जिनमें से 171 मामलों में एफआईआर भी दर्ज की गई. सिर्फ इतना ही नहीं इस दौरान 32 लाख से ज्यादा की बेनामी रकम के साथ-साथ 1,35,000 से ज्यादा शराब की बोतलें भी जब्त की गई थीं. इनके अलावा पुलिस ने इस दौरान 38 अवैध हथियार भी बरामद किये. वहीं 1352 लाइसेंसी हथियार और 1134 कारतूस भी संबंधित जिलों में जमा कराये गये. कुल मिलाकर 28,327 लोगों को प्रिवेंटिव एक्शन के तहत बुक किया गया. इनके साथ ही 2543 लोगों के खिलाफ सीआरपीसी की अलग-अलग धाराओं के तहत कदम उठाये गये.
वोटिंग के लिये अलग है व्यवस्था
सीईओ ने जानकारी देते हुये यह भी बताया कि वोटिंग के साथ-साथ चुनाव आयोग ने काउंटिंग की भी हर तरह से जरूरी तैयारियां कर ली गईं हैं. 9 जिलों की 14 जगहों पर काउंटिंग सेंटर्स तैयार किये गये हैं. इनके अलावा चुनाव प्रचार थमने के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एग्जिट पोल या चुनाव को प्रभावित करने वाले सभी तरह के कार्यक्रमों के प्रसारण पर रोक लगा दी गई है. इनके अलावा वोट डालने के लिये भी एक तरह से अलग तरह की वोटिंग व्यवस्था का इंतजाम किया गया है. भले ही 7 फरवरी को वोट डाले जायेंगे, लेकिन जिन लोगों की चुनाव में ड्यूटी लगी है, उन्होंने पोस्टल बैलेट के जरिये वोट डालने भी शुरू कर दिये हैं. इसको लेकर अब तक 44 हजार से ज्यादा लोग पोस्टल बैलेट डाल चुके हैं. यह प्रक्रिया काउंटिंग के दिन सुबह 8 बजे तक जारी रहेगी. इनके साथ ही वोटर लिस्ट के अलावा करीब 78 लोगों के नाम एएसडी लिस्ट में डाले गये.

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Posted By: Ruchi D Sharma