- शहर से दूर बने कोचिंग सेंटर में तराश रहे एथलीट्स का हुनर

- साईकिल को हर्डल्स, पेड़ों की टहनियों के सहारे प्रैक्टिस कर हासिल की सफलता

अंकित चौहान, बरेली : टूटी साइकिल के हर्डल्स और पेड़ की टहनियां के सहारे एक्सरसाइज कर मंडल के कई खिलाड़ी नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर सफलता का मुकाम हासिल किया। जी हां यह शब्द चौंकाने वाले जरूर हैं लेकिन हकीकत है। एक इंटर नेशनल एथलीट ने कोच बनकर मंडल के उन एथलीट का हुनर तराश कर सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाया जो संसाधनों और मार्गदर्शन की कमी के चलते हार मान चुके थे। हम बात कर रहे हैं इंटर नेशनल एथलीट और क्वालीफाइड टेक्निकल ऑफिसर साहिबे आलम की। पिछले दस साल से लगातार बिना किसी मदद के खिलाडि़यों का हुनर तराश रहे हैं।

जंगल में सेंटर बनाकर तराशने लगे हुनर

साहिबे आलम बताते हैं कि खिलाडि़यों का हुनर तराशने के लिए वह स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में ही प्रैक्टिस कराना चाहते थे, लेकिन बात नहीं बनी। फिर भी हार नहीं मानी और शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर कस्बा रिठौरा स्थित मैट्रो पॉलिटन इंटरनेशनल स्कूल के पीछे ट्रेनिंग सेंटर बनाकर ऐसे खिलाडि़यों का हुनर तराशना शुरू कर दिया जिनमें एथलेटिक्स के प्रति जुनून तो था, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते वह अपने हुनर को निखार नहीं पा रहे थे।

बिना संसाधन जज्बे से तराशा हुनर

साहिबे आलम ने खिलाडि़यों का हुनर तराशने का जिम्मा तो उठा लिया लेकिन प्रैक्टिस के लिए जरूरी उपकरण न होने के चलते कुछ ही दिनों में खिलाडि़यों की हिम्मत टूटने लगी, लेकिन साहिबे आलम ने इसका भी हल ढूंढ निकाला। जिन साइकिल से खिलाड़ी प्रैक्टिस के लिए आते थे उन्हें ही हर्डल के रूप में इस्तेमाल किया और एक्सरसाइज के लिए पेड़ों की टहनियों को सहारा बना लिया। इनके सहारे प्रैक्टिस करके कई खिलाड़ी मंडल का नाम रोशन कर चुके हैं। यह सिलसिला पिछले करीब दस साल से जारी है।

धीरे-धीरे बढ़ता गया कारवां

साहिबे आलम बताते हैं कि जब उन्होंने सेंटर की शुरूआत की तब सिर्फ पांच खिलाड़ी ही प्रैक्टिस करने के लिए आते थे, लेकिन जैसे-जैसे खिलाडि़यों को इस अनूठे सेंटर के बारे में पता लगा तो खिलाड़ी बढ़ते गए और एक महीने में ही उनके सेंटर पर 20 खिलाडि़यों का गु्रप बन गया। बिना संसाधनों के जी तोड़ मेहनत कर खिलाड़ी अपना हुनर तराश रहे हैं।

इन खिलाडि़यों ने कमाया नाम

गौतम शर्मा वर्ष 2017 में 26 नवंबर को विशाखापटनम में हुई नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप 1000 मीटर रेस में शानदार प्रदर्शन कर मंडल का नाम बढ़ाया था।

प्रिंसी चौहान- यूपी एथलेटिक्स एसोसिएशन की ओर से बनारस में वर्ष 2009 में आयोजित चैंपियनशिप में 100 मीटर हर्डल रेस में गोल्ड, 2010 में प्रयागराज में सिल्वर और 2011 में मेरठ में भी सिल्वर मेडल जीता।

वैशाली पुंडीर - वर्ष 2014-15 में कोच्चि में जूनियर इंटर जोनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में शॉटपुट में सिल्वर मेडल जीता।

वर्जन

हर किसी में कोई न कोई हुनर छिपा है, बस जरूरत है उसे बाहर लाने की। मैंने भी ऐसा ही किया। आर्थिक संकट था तो मजबूरी को ही ताकत में बदल दिया। दस साल पहले शुरु किया सफर अभी भी जारी है, कई खिलाडि़यों ने मेडल जीतकर मंडल का नाम बढ़ाया है। आगे भी ऐसे खिलाड़ी तैयार करते जाएंगे।

साहिबे आलम, इंटरनेशनल एथलीट, कोच।

Posted By: Inextlive