-पीडि़तों को नहीं मिल पा रहा न्याय, परेशानी में शिकायतकर्ता

केस:1

वार्ड संख्या 26 के रहने वाले युसूफ ने बताया कि उन्होंने सीएम पोर्टल पर छह माह में तीन बार शिकायत की। जिसमें उन्होंने वार्ड में रोड डलवाने की मांग की थी। जांच के लिए अफसर एक बार भी नहीं आए। पोर्टल पर जब चेक करो तो पता चलता है कि समस्या का निस्तारण किया जा चुका है। जबकि अभी तक रोड भी नहीं डाली गई।

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केस:2

जंक्शन रोड निवासी विपिन ने आईजीआरएस पोर्टल पर दिसम्बर 2018 में शिकायत की, जिसमें बताया कि उनके मकान के पास शराबी अक्सर शराब पीते हैं। विरोध करने पर झगड़ा करने पर उतारू हो जाते हैं। शिकायत के बाद कोई पूछने तक नहीं आया लेकिन समस्या को पोर्टल पर निस्तारित बता दिया गया।

केस:3

-शहर के वार्ड संख्या 25 में जलभराव की समस्या के लिए यहीं के निवासी रमेश ने आईजीआरएस पर शिकायत की थी। जिसमें लिखा कि बारिश के पानी से जलभराव होता है। इसके लिए कोई इंतजाम नहीं है। शिकायत जुलाई में की गई। लेकिन पूरी बारिश निकल गई आज तक समस्या का समाधान तो नहीं हुआ, लेकिन कागजों में समस्या का निस्तारण एक माह बाद ही कर दिया गया।

केस:4

शहर के रहने वाले अंगन लाल ने मीरगंज शुगर मिल के खिलाफ फरवरी 2019 को शिकायत की। शिकायत 5 फरवरी को गन्ना अधिकारी के पास पहुंची लेकिन उन्होंने जांच किए बगैर ही शिकायत का 15 फरवरी को निस्तारण कर दिया। अंगन लाल ने बताया कि फैक्ट्री से सटोरियों की पर्ची जारी होने का उनके पास प्रूफ भी था लेकिन उनके पास शिकायत के बारे में कोई पूछने तक नहीं आया।

केस: 5

शहर के रहने वाले मोहन लाल ने बताया कि उनका मीरगंज में गन्ना का खेत है। जिसका शुगर मिल ने गन्ना सर्वे कराया, लेकिन फीड नहीं किया। जिससे पर्ची आने में प्रॉब्लम हुई तो पता किया तो फैक्ट्री में पता लगा कि गन्ना फीड फैक्ट्री ने नहीं किया है। इसे लेकर फरवरी में शिकायत की गई तो 6 फरवरी को गन्ना अधिकारी को शिकायत दी गई। जिसके बाद 16 फरवरी को शिकायत का समाधान किए बगैर निस्तारित दिखा दिया गया।

बरेली:

सीएम पोर्टल पर कई शिकायतों के निस्तारण में अधिकारी कैसे खेल कर रहे हैं ये मामले उसकी हकीकत बताने के लिए काफी हैं। पब्लिक की समस्या का जल्द और जेन्यून समाधान हो। शायद इसी के लिए सीएम ने जन सुनवाई पोर्टल पब्लिक के लिए लांच किया था। पब्लिक की सीएम जन सुनवाई पोर्टल पर की गई शिकायतों का समाधान तो मिल रहा है, लेकिन हकीकत में नहीं सिर्फ कागजों में। अफसर सीएम पोर्टल पर की जा रही शिकायतों का फर्जी तरीके से समाधान कर ऑनलाइन निस्तारित लिख फाइल बंद कर देते हैं। हालांकि इस तरह के निस्तारण से परेशान पब्लिक बार-बार शिकायत तो करती है लेकिन समाधान सिर्फ कागजों में ही हो रहा है।

पीडि़त के पास भी नहीं जाते जांच अधिकारी

अफसरों की मानें तो जो भी शिकायत पीडि़त करता है उसके पास जांच अधिकारी भी जाते हैं और जांच के बाद समस्या का समाधान करते हैं। उसके बाद ही ऑनलाइन पोर्टल पर समस्या निस्तारित की गई लिखते हैं, लेकिन पीडि़तों की मानें तो उनके पास कोई जांच अधिकारी पूछने तक नहीं गया और उनके मोबाइल पर मैसेज आ गया कि समस्या निस्तारित हो चुकी है। समस्या निस्तारित का मैसेज देख पीडि़त भी दंग हैं कि जब समस्या जस की तस है तो निस्तारित क्या हुआ।

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हर महीने 550 शिकायतें

सीएम पोर्टल पर जिले भर से हर महीने लगभग 550 शिकायतें की जाती हैं, लेकिन इसमें से ज्यादातर शिकायतों का कागजों में ही निस्तारण कर दिया जाता है और हकीकत में समस्या जस की तस बनी रहती है। ऐसे में लोगों को सीएम की इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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वर्जन

- काकरका

आरएस द्विवेदी, एडीएमई

Posted By: Inextlive