- एसएन-लेडी लॉयल, जीआरपी के बीच घंटों दौड़ता रहा आशा ज्योति केंद्र का स्टाफ

- नहीं पसीजा स्टाफ, जीआरपी ने बिना टिकट पकड़कर भेजा था

आगरा: एसएन इमरजेंसी के डॉक्टरों की संवेदनहीनता एक बार फिर सामने आई। रविवार तड़के आशा ज्योति केंद्र के स्टाफ द्वारा लाई गई महिला एक घंटे तक दर्द से तड़पती रही। उसका रक्तचाप 190 के पार पहुंचने से वह बेहोश हो गई। मगर, इमरजेंसी का स्टाफ नहीं पसीजा। महिला की हालत बिगड़ती देख उसे एसएन के गायनिक विभाग में लेकर गए तो वहां 20 मिनट तक स्ट्रेचर नहीं मिला। काफी मशक्कत के बाद उसे भर्ती कराया जा सका। उधर, मामले में जीआरपी से मदद की कहा तो उसने भी पल्ला झाड़ लिया।

जीआरपी ईदगाह ने 20 सितंबर की देर रात ट्रेन में चेकिंग के दौरान अजमेर की 40 वर्षीय महिला को बिना टिकट पकड़ा। उसे एक दिन को शेल्टर देने के लिए 21 की सुबह आशा ज्योति केंद्र भेज दिया। जीआरपी ने अगले दिन महिला के परिजनों का पता लगा उसे उनके पास भेजने की बात कही। इस बीच महिला की तबीयत बिगड़ने पर उसे अस्पताल में दिखाकर दवा दे दी।

रविवार तड़के चार बजे महिला को ब्लीडिंग के साथ तेज दर्द होने लगा। आशा ज्योति केंद्र की स्टाफ गुलफिशां आफरीन और स्टाफ नर्स मोनिका दयाल ने जीआरपी से संपर्क किया। महिला की हालत के बारे में बताया लेकिन जीआरपी ने अपने हाथ खड़े कर दिए। इधर, महिला की हालत ज्यादा बिगड़ गई। स्टाफ उसे 181 की रेस्क्यू वैन से लेकर एसएन इमरजेंसी पहुंचे। मगर, स्टाफ ने महिला को भर्ती करने से मना कर दिया। उसे लेडी लॉयल ले जाने की कहा।

दर्द से तड़पती महिला का ब्लड प्रेशर 190 के पार पहुंचने के चलते वह बेहोश हो गई। आशा ज्योति केंद्र का स्टाफ महिला को एसएन के गायनिक विभाग लेकर भागा। वहां पर तैनात स्टाफ ने 20 मिनट तक स्ट्रेचर उपलब्ध नहीं कराया। इसे लेकर आशा ज्योति केंद्र की टीम की स्टाफ से तीखी तकरार हो गई। इसके बाद स्ट्रेचर मिला, यहां डॉक्टरों द्वारा इलाज शुरू किया गया। दो घंटे बाद महिला की स्थिति नियंत्रण में आई। डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि महिला गर्भवती है। केंद्र प्रबंधक दीपशिखा कुशवाहा ने बताया महिला का सोमवार को अल्ट्रासाउंड कराने के बाद आगे का उपचार कराया जाएगा।

जीआरपी ने दिखाई हद दर्जे की लापरवाही

जीआरपी ईदगाह ने महिला के मामले में हद दर्जे की लापरवाही दिखाई। महिला को आशा ज्योति केंद्र भेजने के बाद उसके परिजनों के बारे में जानकारी पता करके सूचित करना चाहिए था। जो नहीं किया, जबकि महिला के पास अपना और जिसके साथ वह रहती है, उसका भी आधार कार्ड था। जीआरपी ने उसे चेक नहीं किया। आशा ज्योति केंद्र में भेजने के बाद अपना पल्ला झाड़ लिया। सुबह महिला को भर्ती कराने में मदद मांगी तो हाथ खड़े कर दिए। अधिकारियों के लगातार फोन मिलाए लेकिन किसी ने नहीं उठाया।

युवक ने धर्म छिपा शादी करके दिया धोखा

महिला ने काउंसिलिंग में बताया कि वह मूलरूप से विशाखापट्टनम की रहने वाली है। उसकी शादी वर्ष 2002 में हुई थी। शादी के कुछ समय बाद उसे पता चला कि अल्पसंख्यक संप्रदाय से है। उसने नाम बदलकर उसे और परिवार के लोगों को धोखा देकर शादी की है। उसे दो बच्चे भी हुए, दिव्यांग एक बेटे की मौत हो गई। पांच साल पहले वह पति के उत्पीड़न से परेशान होकर उसे छोड़कर चली आई। वह अजमेर में एक फैक्ट्री में काम करने लगी। यहां उसकी मुलाकात रमेश कुमार से हुई। पांच साल से वह रमेश के साथ रह रही है।

Posted By: Inextlive