- यूपी में हर 60 महिला पर एक पुरूष ही कराता है नसबंदी

- पुरुषों की नसबंदी सरल और महिलाओं की जटिल

-बिहार के बाद देश में यूपी की प्रजनन दर सबसे ज्यादा

- 2020 तक प्रदेश की प्रजनन दर 3.1 से 2.1 लाने का लक्ष्य

LUCKNOW: प्रदेश की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है और जनसख्या विस्फोट होने को है। प्रदेश की सकल प्रजनन दर भी 3.1 है जबकि देश की 2.3 है। फिर भी प्रदेश के पुरुष जनसंख्या रोकने के लिए कदम आगे बढ़ाने में अभी भी महिलाओं से बहुत पीछे हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में जनसंख्या रोकने के लिए आगे आने वाली 60 महिलाओं के सापेक्ष एक पुरुष ही है। जो बेहद चिंताजनक है।

महिलाएं आगे

महानिदेशक परिवार कल्याण डॉ। एमआर मलिक के मुताबिक 2015-16 में प्रदेश में 249613 महिलाओं ने नसबंदी कराई। जबकि पूरे प्रदेश में सिर्फ 3101 पुरुषों ने ही नसबंदी कराई। जबकि 119000 महिलाओं ने पीपीआईयूसीडी का भी सहारा लिया। इस प्रकार से जनसंख्या रोकने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर प्रदेश के पुरुष महिलाओं से कोसों पीछे हैं।

पुरुष नसबंदी सरल और सफल

केजीएमयू के डॉॅ। एसएन शंखवार के अनुसार पुरुष नसबंदी ज्यादा सरल और सफल प्रक्रिया है। यह कम समय में पूरा होने वाली कारगर प्रक्रिया है और उसी दिन अपने घर जा सकते हैं और अपने काम कर सकते हैं। जिससे पुरुषत्व में किसी प्रकार की कमी नहीं आती। इसलिए व‌र्ल्ड पापुलेशन डे पर पुरुष आगे आएं और अपनी जिम्मेदारी निभाएं। डॉक्टर्स के अनुसार पुरुष नसबंदी कराने वाले को सरकार 2000 रुपए प्रोत्साहन राशि देती है। जबकि महिला नसबंदी में यह राशि 1400 रुपए है। इसके अलावा प्रसव के बाद नसबंदी कराने पर लाभार्थी को 2200 रुपए दिया जाता है।

अगर नसबंदी के कारण सात दिन के अंदर किसी महिला की मृत्यु होती है तो परिजनों को दो लाख रुपए और 8 से 30 दिन में होने पर 50 हजार रुपए क्षतिपूर्ति भी दी जाती है। यही नहीं नसबंदी के बाद गर्भधारण होने पर लाभार्थी को 30 हजार रुपए सरकार देती है।

हर 5 में एक

आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में पांच में एक महिला गर्भधारण करना नहीं चाहती है लेकिन वह गर्भ निरोधक का उपयोग नहीं करना करते। इसके अलावा प्रदेश के 20.7 प्रतिशत दंपत्ति गर्भधारण नहीं करना चाहते फिर भी गर्भनिरोधक का उपयोग नहीं करते। ऐसे दंपत्तियों की संख्या अन्य राज्यों के मुकाबले यूपी में अधिक है।

बच्चों में जन्म का अंतर कम

एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक दो बच्चों के जन्म में कम से कम तीन साल का अंतर होना चाहिए। कम अंतराल में मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा है। लेकिन 59.3 परसेंट शिशुओं के जन्म में अभी भी 3 साल से कम का अंतर है।

जनसंख्या बढ़ाने पर नंबर पर

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक प्रजनन दर के मामले में बिहार के बाद यूपी का दूसरा स्थान है। देश की प्रजनन दर 2.3 है जबकि बिहार की 3.4 और यूपी की 3.1 है। इसे घटाकर 2020 तक 2.1 करने का लक्ष्य है। 2.1 प्रजनन दर तक पहुंचने का मतलब है कि जनसंख्या अब और नहीं बढ़ेगी। लेकिन इस लक्ष्य से हम बहुत दूर हैं।

यह है वास्तविकता-

उत्तर प्रदेश में हर 4 में से एक महिला का विवाह 18 की उम्र से पहले हो जाता है।

- प्रदेश में 43.3 परसेंट किशोरियां गर्भवती है या मां बन चुकी हैं।

- 15 से 19 की उम्र की 60 परसेंट महिलाएं मानती हैं कि स्वास्थ्य संबंधी निर्णय उनके हाथ में नहीं है।

Posted By: Inextlive