Jamshedpur: इंडियन यंग वूमन में हर्ट रिलेटेड डिजीज यानी कार्डियो वस्कुलर डिजीज का खतरा बढ़ता जा रहा है. यंग वूमन में बढ़ते हर्ट प्रॉब्लम को लेकर ‘विजुअलाइजिंग द एक्सटेंट ऑफ हर्ट डिजीज इन इंडियन वूमन’ द्वारा किए गए सर्वे में यह बात सामने आयी. पहले जहां 55 पार वूमेन में यह खतरा था अब यह एज 15 साल कम हो गयी है. यानी 40-45 एज में ही महिलाओं में यह प्रॉब्लम सामने आने लगी है.

20 percent बढ़ा heart problem

‘विजुअलाइजिंग द एक्सटेंट ऑफ हर्ट डिजीज इन इंडियन वूमन’ द्वारा किए गए सर्वे में यह पाया गया कि पिछले 5 वर्षों में महिलाओं में हर्ट प्रॉब्लम में लगभग 20 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है। अहम बात यह है कि 20 से 40 साल के एज ग्र्रुप की महिलाओं में हर्ट डिजीज में 15 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है।

45 साल की ड्डद्दद्ग में ही heart disease
सिटी में पहले 55 साल की एज से ज्यादा की महिलाओं में हर्ट प्रॉब्लम के मामले सामने आते थे। अब 15 साल पहले ही लगभग 45 साल की एज में ही महिलाओं में हर्ट डिजीज के मामले सामने आने लगे हैं। ब्रह्मïानंद नारायण हृदयालय के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ परवेज आलम कहते हैं कि पिछले 10 साल में कंट्री में महिलाओं में हर्ट डिजीज में 30 परसेंट का ग्र्रोथ हुआ है। वहीं सिटी में 35 परसेंट महिलाएं हट प्रॉब्लम की शिकार हुई हैं।

बढ़े हैं early menopause के मामले
यूएस स्थित ‘द जोंस हॉपकिंस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसीन’ के एक इंडियन डॉक्टर धनंजय वैद्य के मुताबिक इंडियन वूमन में अर्ली मेनोपॉज एक बढ़ते हुए ट्रेंड के रूप में सामने आ रहा हैं और इस कारण महिलाओं में हर्ट डिजीज और स्ट्रोक के मामले सामने आ रहे हैं।

एस्ट्रोजन की कमी है कारण
देखा गया है कि एस्ट्रोजन हार्मोन के कारण मेंसूरेशन (पीरियड) की एज तक की वूमन में हर्ट प्रॉब्लम नहीं होती है, लेकिन अब ऐसी बात नहीं रही। पिछले कुछ सालों में मीनोपेज के पहले की एज में ही वूमन में हर्ट प्रॉब्लम सामने आने लगी है। इसका मेन रीजन लगातार चेंज हो रहे लाइफ स्टाइल को माना जा रहा है।

Changing life style है main reason
डॉ परवेज आलम कहते हैं कि आज की महिलाएं प्रोफेशनल हो रही हैं। घर के काम के कारण पहले ऐसी सिचुएशन नहीं थी, लेकिन वर्किंग वूमन पर वर्क प्रेशर के कारण मेंटल स्ट्रेस होता है। लगातार स्ट्रेस की वजह से हर्ट प्रॉब्लम की कम्प्लेन सामने आ रही है। वे कहते हैं कि आज खान-पान पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। तेजी से वेस्टर्न कल्चर को अपनाने के चलते जंक फूड का ही यूज कर रहे हैं। ऐसे में इस तरह की प्रॉब्लम तो स्वाभाविक है। इस तरह का खतरा घरेलू महिलाओं में वर्किंग वूमन से कम देखने को मिलता है।

'तेजी से चेंज होता लाइफ स्टाइल, लोगों द्वारा अपनाए जा रहे वेस्टर्न कल्चर व प्रोफेशनलिज्म के कारण इस तरह की प्रॉब्लम सामने आ रही है। हाल में महिलाओं में खासकर अर्ली एज में हर्ट डिजीज के मामले बढ़े हैं। महिलाओं के लिए यह अच्छा संकेत नहीं है.'
-डॉ परवेज आलम, कार्डियोलॉजिस्ट

Report by: goutam.ojha@inext.co.in

Posted By: Inextlive