- शहर में महिला सुरक्षा को लेकर जरा सी भी नहीं है अलर्टनेस

- ऑटो ड्राइवर्स के वेरिफिकेशन प्रॉसेस के पूरा होने के बाद भी अब तक हजारों ऑटो ड्राइवर्स को नहीं मिला है आई कार्ड और बिल्ला

VARANASI :

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दिल्ली से आई युवती कुछ दिनों पहले कैंट से ऑटो लेकर सारनाथ को जा रही थी। इस दौरान ऑटो वालों ने उसके साथ आशापुर में छेड़छाड़ शुरू कर दी। जिसके बाद लड़की तो खुद को बचाकर ऑटो से उतर गई लेकिन ऑटो की कम्प्लेंट इसलिए नहीं कर सकी क्योंकि न ही ऑटो ड्राइवर के गले में कोई आई कार्ड था और न ही वर्दी पर बैज।

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बीते साल एक टैक्सी में बरेली से आई दो बहनों संग टैक्सी चालक ने छेड़छाड़ की। जिसके बाद लड़की ने शोर मचाया और भीड़ इकठ्ठा होने पर टैक्सी चालक दोनों लड़कियों को बीच रास्ते में उतारकर भाग निकला। लड़कियों ने टैक्सी का नंबर तो नोट कर लिया लेकिन टैक्सी ड्राइवर की कोई पहचान न होने से मामला रफा दफा हो गया।

ये केसेज आपको ये बताने के लिए काफी है कि ऑटो और टैक्सी में ड्राइवर्स के वेरिफिकेशन प्रॉसेस के पूरा न होने के कारण ग‌र्ल्स कितनी अनसेफ हैं। कहने को तो शहर में चल रहे ऑटोज के लिए परमिट के साथ हर ड्राइवर को बिल्ला, आईकार्ड और वर्दी पहनना जरूरी है लेकिन ऐसा होता नहीं है। जिसके कारण ऑटो और ट्रैक्सी में आये दिन महिलाएं छेड़छाड़ का शिकार होती हैं।

आधा अधूरा किया काम

शहर में कुल भ्भ्00 रजिस्टर्ड ऑटोज और लगभग ब्भ्0 रजिस्टर्ड टैक्सीज चल रही हैं। ऑटोज के लिए पिछले दिनों ये नियम आया कि हर रजिस्टर्ड ऑटो का चालक वर्दी और बिल्ला संग गले में आईकार्ड टांगकर ही ऑटो चलायेगा। ये सारा प्रॉसेस महिलाओं संग हो रही घटनाओं को रोकने के लिए शुरू किया गया था। जिसके बाद ट्रैफिक पुलिस फास्ट हुई और बगैर बिल्ला वर्दी वाले ऑटो चालकों का चालान कटना शुरू हुआ। इस दौरान ऑटो यूनियन ने हंगामा किया और वर्दी, बिल्ले के लिए कुछ वक्त मांगा। जिसके बाद ट्रैफिक पुलिस ने इनको वक्त दिया और यूनियन के साथ आरटीओ ने मिलकर भ्भ्00 में से लगभग तीन हजार ऑटो ड्राइवर्स को बिल्ला और आईकार्ड तो दिया लेकिन ख्भ्00 ऑटो ड्राइवर्स इससे अछूते रह गए। जिनको अब तक कोई बिल्ला और आई कार्ड नहीं दिया गया है। वहीं साढ़े चार सौ टैक्सी ड्राइवर्स की भी कोई ड्रेस कोड न होने से इनको भीड़ में पहचानना मुश्किल है।

इललीगल कर रहे हैं बंटाधार

पुलिस, ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ की ओर से ऑटो और टैक्सी वालों को लेकर बनाये गए वेरिफिकेशन का बंटाधार अगर कोई कर रहा है तो वह हैं शहर में अवैध रूप से चल रहे ऑटोज और टैक्सी। अगर ऑटो और टैक्सी यूनियन की मानें तो शहर में लगभग भ्भ्00 वैध ऑटोज के अलावा पांच हजार अवैध ऑटो चलन रही हैं जबकि साढ़े चार सौ रजिस्टर्ड टैक्सी के अलावा शहर में चल रहे दो सौ से ज्यादा ट्रैवल एजेंट हजारों टैक्सीज चला रहे हैं। इन गाडि़यों में बैठने वाले पैसेंजर्स की सुरक्षा को लेकर कोई अलर्टनेस नहीं है और किसी घटना के बाद इनको पहचानना भी मुश्किल है क्योंकि इनके पास न ही वर्दी-बिल्ला और न ही आई कार्ड।

चौराहों पर भी नहीं है अलर्टनेस

ऑटो और टैक्सी में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कोई अलर्टनेस पुलिस की ओर से नहीं है। यही वजह है कि चौराहों पर तैनात पुलिस और ट्रैफिक पुलिस के जवानों के सामने ऑटो वाले तेज म्यूजिक चलाते हुए ऑटो वाले निकलते हैं और इनको रोककर ऐसा न करने की हिदायत देने वाला भी कोई नहीं होता है और तो और ऑटो में लगातार बढ़ रहे अपराधों को रोकने में भी पुलिस पूरी तरह से फेल है।

महिलाओं के लिए नहीं चल सकी बस

ऑटो और टैक्सी में तो महिलाएं सेफ नहीं हैं। वहीं रोडवेज बसों में भी महिलाओं की सुरक्षा भगवान भरोसे है। बसों में महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दो साल पहले दिल्ली में बस के अंदर हुए निर्भया कांड के बाद केन्द्र सरकार ने हर स्टेट में महिलाओं के लिए अलग बस चलाने का आदेश दिया था। जिसके बाद आज तक यहां महिलाओं के लिए अलग बस की कोई व्यवस्था नहीं है और न ही बस के ड्राइवर और कंडक्टर आई कार्ड टांगकर चलते हैं।

कौन रोकेगा इनको

- शहर में चल रही भ्भ्00 रजिस्टर्ड ऑटोज और साढ़े चार सौ रजिस्टर्ड टैक्सी के लिए बनाये गए नियमों का सख्ती से पालन कराने की जिम्मेदारी ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ की है

- ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ ने ही आरटीए की बैठक में पास किया ऑटो ड्राइवर्स के लिए वर्दी, बिल्ला और आई कार्ड का नियम।

- नियम के बाद कैंप लगाकर भ्भ्00 में से लगभग तीन हजार ऑटो ड्राइवर्स को बांटे गए बिल्ले और आई कार्ड

- जबकि लगभग ख्भ्00 ऑटो ड्राइवर्स को अब भी नहीं मिले हैं बिल्ला और आई कार्ड

- आई कार्ड और बिल्ला पाने वाले ऑटो ड्राइवर्स भी नहीं लगाकर चलते हैं बिल्ला और न गले में टांगते हैं आई कार्ड

- वर्दी का नियम भी आधे ऑटो चालक ही कर रहे हैं पालन

- इसके बाद भी इन ऑटो चालकों के खिलाफ सख्ती से अभियान चलाने वाला नहीं है कोई विभाग

महिलाएं नहीं हैं सेफ

- ऑटो और टैक्सी के लिए बने नियम के बाद इसे फॉलो ने करने के कारण इनमे जर्नी करने वाली महिलाएं हैं अनसेफ

- ऑटो ड्राइवर्स के वर्दी, बिल्ला और आई कार्ड पहनने से उनकी हो सकती है पहचान

- किसी घटना के होने से इन ऑटो के ड्राइवर्स की बिल्ला नंबर के आधार पर की जा सकती है खोज

- रजिस्टर्ड टैक्सी में भी पैसेंजर्स खासतौर पर ग‌र्ल्स सेफ्टी के लिए लगना था एक स्विच

- इस स्विच का सीधा लिंक होता पुलिस कंट्रोल रूम से

- टैक्सी में कोई वारदात होने पर इस स्विच को दबाते ही टैक्सी में लगे जीपीएस सिस्टम से टैक्सी की लोकेशन ट्रेस कर मदद को मिलती पुलिस

- लेकिन आज तक नहीं लगा ये स्विच और न ही फॉलो हुआ आदेश

Posted By: Inextlive