आशियाना में एक अकाउंटेंट ने अपनी मालकिन महिला कारोबारी के खिलाफ ही साजिश रच डाली। उसने महिला कारोबारी के जीएसटी रजिस्ट्रेशन में अपना मोबाइल नंबर व पता भर दिया और दूसरी कंपनियों के साथ मिलकर करोड़ों के फर्जी ई-वे बिल डाउनलोड कर डाले।


- महिला कारोबारी के रजिस्टे्रशन पर अकाउंटेंट ने किया फर्जीवाड़ा- जीएसटी विभाग के अलर्ट पर पीडि़ता ने की पड़ताल- दिल्ली व बरेली की कंपनियां फर्जीवाड़े में शामिल, एफआईआर

लखनऊ (ब्यूरो)। जीएसटी विभाग के अलर्ट पर जब महिला कारोबारी ने पड़ताल की तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। पीडि़ता की तहरीर पर आशियाना पुलिस ने आरोपी अकाउंटेंट समेत चार नामजद व अज्ञात कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। करेक्शन कराने को कहा था


इंस्पेक्टर आशियाना विश्वजीत सिंह के मुताबिक, रजनीखंड निवासी दीक्षा मिश्रा की औरंगाबाद ओमेक्स एवेन्यू में मेसर्स अथर्व इंटरप्राइजेज नाम से फर्म है। वे मौरंग, गिट्टी, बालू समेत तमाम खनिजों का व्यापार करती हैं। दीक्षा ने पुलिस को बताया कि 20 सितंबर 2018 को उनके अकाउंटेंट ने जीएसटी ऑनलाइन पोर्टल पर उनकी फर्म का रजिस्ट्रेशन किया। इस दौरान उसने फर्म के पते की जगह अपना पता और मोबाइल नंबर की जगह अपना मोबाइल नंबर डाल दिया। जब जीएसटी सर्टिफिकेट मिला तो उसमें पता व मोबाइल नंबर अपना न देख दीक्षा ने अकाउंटेंट राशिद सिद्दीकी को इसे सही कराने को कहा। पर, राशिद ने ऐसा नहीं किया। खुद किया विभाग से संपर्क

दीक्षा ने बताया कि जीएसटी की ओर से आने वाली सूचनाएं और जीएसटी रिटर्न की जानकारी उन्हें नहीं मिल रही थी। शक होने पर उन्होंने बीती 18 फरवरी को राज्य कर अधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर अपना मोबाइल नंबर, पता व ई-मेल आईडी अपडेट कराने का निवेदन किया। 22 मार्च को जीएसटी विभाग से सूचना मिली कि उनके जीएसटी ई-रिटर्न, फार्म 3 बी और डाउनलोड ई-वे बिल में भारी अंतर है। दीक्षा के कारोबार में ई-वे बिल की जरूरत नहीं होती, इसलिए वे इस सूचना को देख चकरा गईं। उन्होंने आईडी का लॉग-इन पासवर्ड रीसेट किया और खुद लॉगइन कर पड़ताल की। जिसमें पता चला कि उनकी आईडी से दिल्ली की राधा इंटरप्राइजेज, सिल्वर लाइफ इंटरप्राइजेज व मल्होत्रा ट्रेडर्स से खरीद के लिये 1.29 करोड़ के फर्जी ई-वे बिल जनरेट किये गए थे। आईडी पासवर्ड बेचा था

दीक्षा ने पुलिस को बताया कि उन्होंने न ही इन कंपनियों से कोई माल खरीदा और न ही कोई पेमेंट किया। पड़ताल में यह भी पता चला कि बिक्री के लिये बरेली की गणपति वुड प्रोडक्ट और नारायणी इंटरप्राइजेज के अलग-अलग वाहनों के कई तारीखों में 99 ई-वे बिल डाउनलोड किये गए। इनकी कुल कीमत 1।38 करोड़ रुपये थी। जब दीक्षा ने राशिद से पूछताछ की तो उसने कुबूल किया उसने कमीशन के लालच में फर्जी बिल पर जाली सिग्नेचर कर दोस्त परवेज उर्फ राजा को आईडी का यूजरनेम व पासवर्ड बेच दिया। जब दीक्षा ने उससे शिकायत की बात कही तो वह दीक्षा से गालीगलौज करने लगा। एक-दूसरे पर डालने लगे जिम्मेदारी दीक्षा ने बताया कि जब उन्होंने गणपति वुड और नारायणी इंटरप्राइजेज को ई-मेल कर माल प्राप्ति, पेमेंट, डिलीवरी वाहन की डिटेल मांगी तो कंपनी के मालिक राजकुमार तुलसियान की कॉल आई। उन्होंने बताया कि सभी ई-वे बिल उन्होंने खुद को दिल्ली का सीए नितिन गर्ग बताने वाले शख्स से खरीदे हैं। नितिन से संपर्क करने पर उसने बताया कि उसने लॉगइन आईडी व पासवर्ड उसने संजू यादव नाम के शख्स से किराये पर लेकर ई-वे बिल डाउनलोड किये हैं। संजू ने दीक्षा को बताया कि उसने आईडी व पासवर्ड परवेज और राशिद से किराये पर लिया है और उन्हें इसका कमीशन दिया जाता है। जिसके बाद दीक्षा ने राशिद सिद्दीकी, परवेज खान, संजू यादव, नितिन गर्ग और राजकुमार तुलसीयान व अन्य खरीदार कंपनियों को नामजद करते हुए पुलिस को तहरीर दी। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।lucknow@inext.co.in

Posted By: Shweta Mishra