- पटना कमिश्नरी के मामलों की हुई सुनवाई

-14 अगस्त को बचे मामलों की होगी सुनवाई

PATNA : बिहार राज्य महिला आयोग में राज्य भर से पीडि़तायें शिकायत करने आती हैं। लेकिन हर किसी को न्याय मिल ही जाय ऐसा जरूरी नहीं भी नहीं है। जस्टिस डिले, जस्टिस डिनाय वाली कहावत आयोग हमेशा चरितार्थ करती थी। इस कारण आयोग के मेंबर को अक्सर पीडि़ताओं की खरी खोटी भी सुननी पड़ती थी। अक्सर देखा जाता था कि आवेदिका आयोग की मेंबर से शिकायत करती नजर आती थीं कि मैडम इतना लंबा समय हो गया है अबतक कुछ हुआ नहीं। आयोग आश्वासन तो देती थी लेकिन हकीकत ये था कि दूसरा पक्ष आयोग के समक्ष उपस्थित ही नही होता था।

जिला पुलिस भी नहीं करते थे कोऑपरेट

आयोग की ओर से अक्सर डीजीपी व अन्य पुलिस पदाधिकारियों को लिखा जाता था कि जिले के एसपी आयोग के मामलों में इंटरेस्ट नहीं लेते हैं। इस कारण होता ये था कि आयोग के बार बार समन भेजने के बाद भी दूसरा पक्षा आयोग के समक्ष उपस्थित ही नहीं होता था। महिला आयोग के प्रति पुलिस का रवैया गंभीर हो इसके लिए कई पुलिस पदाधिकारियों को जिलों से बुलाकर पटना में ट्रेनिंग भी दी गयी। लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात। आखिरकार आयोग को ही इसका हल ढ़ूंढ़ना पड़ा।

कैंप लगाकर चल रही है सुनवाई

आयोग की ओर से अब मामलों की सुनवाई कैंप लगाकर की जाने लगी है। महिला आयोग आपके द्वार नाम से कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत आयोग हर कमिश्नरी में कैंप लगाकर मामले की सुनवाई करेगी। 8 जून से क्ख् जून तक पटना कमिश्नरी की सुनवाई चली। सुनवाई के आखरी दिन बताया गया कि कुल भ्ख्ब् मामले आये। अबतक के हिसाब से आयोग की दोनो पक्ष को सुनवाई के लिए नोटिस भेजती थी। लेकिन इस बार ये जिम्मा डिस्ट्रिक्ट पुलिस एडमिनिस्ट्रेशन को दे दिया गया। यही कारण रहा कि इस बार मामले की सुनवाई में थोड़ी तेजी दिखी। आयोग की चेयरमैन अंजुम आरा ने कहा कि हमारा पहला कैंप बहुत ही अच्छा रहा। बीस से पच्चीस फीसदी लोग नहीं आये। ऐसे लोगों के लिए क्ब् अगस्त का दिन रखा गया है।

नहीं आये तो होगा एफआईआर

अक्सर देखा जाता था कि आयोग के बार बार समन भेजने के बाद भी सेकेंड पार्टी आयोग के समक्ष उपस्थित नहीं होता था। इसके बाद आयोग जिला के एसपी को संबंधित व्यक्ति को लिखती थी। लेकिन अब ये सब कुछ नही होने जा रहा। आयोग की तरफ से कहा गया है कि अगर कोई आयोग के आदेश के बाद नहीं पहुचंता है तो संबंधित जिले का एसपी उसपर एफआईआर दर्ज करेंगे। आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि कैंप का प्रयोग सफल रहा है। अब से जिस भी जिले के मामले आधिक हो जायेंगे वहां कैंप लगाकर ही मामलों का निपटारा किया जायेगा।

बेसहारों को भी घबराने की जरूरत नहीं

कई ऐसी पिडिता भी आयोग के समक्ष आयी जिसके पास आवेदन टाइप कराने के भी पैसे नहीं होते थे। साथ ही कई ऐसे मामले आये जिसमें पीडि़ता को न तो ससुराल पक्ष रखने को तैयार था और न ही घर के लोग। अब ऐसे लोगों को भी घबराने की जरूरत नहीं है। बिहार राज्य महिला आयोग और बिहार लीगल सर्विस अथॉरिटी के बीच करार हुआ है। ऐसे में अगर किसी पीडि़ता के पास पैसे नहीं हैं केस लड़ने के तो आयोग ऐसे केसेज को लीगल अथॉरिटी के पास भेजेगी और अथॉरिटी केस का खर्च वहन करेगी। साथ ही जिसे कोई रखने वाला नहीं है उसे आयोग प्रोटेक्शन होम भेज देगी।

Posted By: Inextlive