तीनों बच्चों के साथ खुद को किया आग के हवाले, चारों मरे

पति बाम्बे में करता है जॉब, कर रही थी साथ ले जाने की जिद

एक की उम्र तो कभी इतनी भी नहीं थी कि ठीक से अपने पिता और भाई-बहन को पहचान सके। पति के साथ ही रहने की जिद पर अड़ी महिला को उस पर भी तरह नहीं आया। उसने तीनों बच्चों को साथ लेकर खुद को आग के हवाले कर लिया। जब तक इसके बारे में किसी को पता चलता और वे दरवाजा तोड़कर घर के भीतर घुसते कोई जिंदा बचने लायक नहीं था। एक की सांसें चल जरूर रहीं थीं लेकिन, एंबुलेंस सूचना मिलने के काफी देर बाद पहुंचने से उसे भी बचाया नहीं जा सका। पुलिस ने चारों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

शाम छह बजे की घटना

यह दर्दनाक घटना मेजा थाना क्षेत्र के दरी अहिरावन का पुरवा गांव में शनिवार की शाम छह बजे सामने आई। मरने वालों में 32 साल की प्रेमकली, नौ साल का रामू, चार साल की लक्ष्मी और दो साल का श्यामू शामिल है। घटना के वक्त परिवार के यही चार सदस्य घर पर मौजूद थे। गांव में मृतका की सास विमला देवी और एक देवर कल्लू भी रहते हैं। संयोग से दोनों उस वक्त घर से बाहर थे। घटना की भनक सबसे पहले गांव के लोगों को लगी। उन्होंने घर के भीतर से धुंआ उठता हुआ देखा तो सन्न रह गए। आनन-फानन में वहां पहुंचे और आवाज लगाई। भीतर से कोई रिस्पांस नहीं मिला तो उन्हें खतरे का अंदेशा हो गया। इसके बाद उन्होंने मिलकर दरवाजा तोड़ दिया और घर के भीतर घुसे तो रामू को छोड़कर सब की मौत हो चुकी थी। रामू की सांसे चल रहीं थीं लेकिन अस्पताल ले जाते समय रास्ते में उसने भी दम तोड़ दिया।

पति एक देवर व ससुर मुंबई में

प्रेमकली के ससुर रामकैलाश मुंबई में रहकर जॉब करते हैं। उन्होंने अपने बड़े बेटे सुभाष और दूसरे नंबर के विनोद को भी वहीं पर काम दिला दिया था। सुभाष की शादी प्रेमकली के साथ करीब 13 साल पहले हुई थी। शादी के बाद वह कुछ दिनों के लिए पति के साथ मुंबई गई भी थी। इधर बीच घर की सारी जिम्मेदारी सास विमला देवी और 18 साल के देवर कल्लू पर आ जाने के बाद पति सुभाष ने उसे घर छोड़ने का फैसला लिया था। प्रेमकली आ तो गई लेकिन गांव में उसका मन नहीं लगा और वह लगातार प्रेशर बनाए हुए थी कि पति अपने साथ मुंबई ले चलें। गांव वाले बताते हैं कि पति-पत्‍‌नी के बीच इसी को लेकर अक्सर तकरार हुआ करती थी। प्रेमकली अब यहां कतई रहने को तैयार नहीं थी। शुक्रवार को भी दोनों में फोन पर इसी को लेकर बतकुच्चन हुई थी।

सास खेत गई थीं, देवर काम से

गांव वालों के अनुसार आज सुबह विमला देवी धान की फसल की निराई के लिए खेत गई हुई थीं। देवर कल्लू भी घर में नहीं था। घर में अपने बच्चों के साथ प्रेमकली ही थी। इसी दौरान प्रेमकली ने बच्चों की उम्र की परवाह किए बिना ही इतना बड़ा डिसीजन ले लिया। इससे पूरा गांव सन्नाटे में रहा। घर पहुंचते ही विमला देवी बेहोश हो गई। देर शाम तक कल्लू घर नहीं लौटा था। इसे लेकर तरह-तरह की चर्चा थी।

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जेवर-नकदी लेकर जली

बच्चों के साथ खुद को आग के हवाले करने से पहले ही प्रेमकली ने अपने जेवर और नकद रुपए भी रख लिए थे। मौके पर मिले अधजले नोटों और पिछले जेवरात से यही संकेत मिला कि जिद के चलते उसने अपने साथ ही अपना सबकुछ जला देने का कठोर फैसला लिया था।

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नहीं पहुंची एंबुलेंस 108

ग्रामीणों ने रामू को बाहर निकाला तो उसकी सासें चल रही थीं। इस पर उन्होंने 108 नंबर पर एंबुलेंस के लिए कॉल कर दिया। ग्रामीण इंतजार करते रह गए और एंबुलेंस नहीं पहुंची। नतीजा रामू को भी बचाया नहीं जा सका। दूसरे संसाधन से अस्पताल ले जाने पर डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया।

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रस्सी से बांधा था बच्चों को

मौके पर जली हुई रस्सी भी मिली है। इससे आशंका जताई जा रही है कि प्रेमकली ने अपने बच्चों को जलाने से पहले रस्सी से बांध दिया था ताकि वह भाग न सकें। यानी वह किसी को भी जिंदा नहीं देखना चाहती थी और फाइनली उसकी यह मंशा पूरी भी हो गई।

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रजाई-गद्दा भी बिछा लिया था

गर्मी के सीजन में रजाई के इस्तेमाल का सवाल भी पैदा नहीं होता लेकिन चन्द्रकली ने अपनी कोई भी निशान शायद न छोड़ने का फैसला लिया था। इसी के चलते उसने गद्दे के साथ रजाई भी बिछा ली थी। इसके बाद मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगाई। इससे आग चंद सेकंड के भीतर ही विकराल हो गई और किसी को बचने का मौका नहीं मिला।

Posted By: Inextlive