महिलाओं के जिम्मे परिवार नियोजन का ठेका
पिछले वित्तीय वर्ष की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, महकमे में मचा हड़कंप
लक्ष्य का दस फीसदी भी पुरुष नहीं करा सके नसबंदी ALLAHABAD: जिले में परिवार नियोजन का ठेका केवल महिलाओं ने ले रखा है। पुरुष इस मामले में अपनी पत्िनयों से कहीं पीछे हैं। पिछले वित्तीय वर्ष की स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट देखकर तो यही लगता है, जिसमें नसबंदी के मामलों में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों की अपेक्षा बहुत अधिक रही है। पुरुष नसबंदी में लक्ष्य से काफी पीछे रह जाने पर विभागीय अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है, पुरुषों को इस अभियान में शामिल करने के लिए नए सिरे से कवायद शुरू कर दी गई है। एक चौथाई संख्या भी नहींरिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल निर्धारित लक्ष्य का पचास फीसदी महिलाओं ने नसबंदी कराई, जबकि इसके मुकाबले कुल लक्ष्य का दस फीसदी पुरुषों ने परिवार नियोजन का रास्ता अपनाया। आंकड़े बताते हैं कि पांच महिलाओं पर एक पुरुष ने नसबंदी करवाकर परिवार नियोजन की जिम्मेदारी निभाई। वित्तीय वर्ष 2015-16 में महिला नसबंदी का लक्ष्य 25981 रखा गया था, जिसमें से 13048 महिलाओं ने भागीदारी निभाई। इसी तरह पुरुषों का लक्ष्य 2887 निर्धारित था, जिसके मुकाबले महज केवल 301 पुरुष ही नसबंदी कराने हॉस्पिटल पहुंचे।
शुरुआत में ही आंकड़े खराबपुरुषों को नसबंदी के लिए प्रेरित करने की स्वास्थ्य विभाग की पॉलिसी इस साल भी फेल होती नजर आ रही है। मौजूदा वित्तीय वर्ष 2016-17 की शुरुआत में एक बार फिर पुरुष नसबंदी का आंकड़ा पटरी से उतरता नजर आ रहा है। अप्रैल से लेकर अभी तक महज 29 पुरुषों ने नसबंदी कराई है जबकि महिलाओं की संख्या 389 पहुंच चुकी है। इससे बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पुरुषों की नसबंदी के लिए विशेष कैंप के आयोजन कराने का फैसला किया है।
पुरुषों को मिलते हैं अधिक पैसे शासन की ओर से पुरुषों को अधिक से अधिक नसबंदी के लिए प्रेरित करने के लिए अधिक प्रोत्साहन देने का निर्णय लिया गया है। पुरुषों को प्रोत्साहन राशि के रूप में दो हजार रुपए दिए जाते हैं जबकि महिलाओं को दी जाने वाली रकम 1400 रुपए है। बावजूद इसके पुरुष पीछे हैं। महिला और पुरुषों को नसबंदी केंद्रों तक ले जाने वालों को प्रेरक के रूप में तीन सौ रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इसलिए केंद्रों पर नहीं आते पुरुषपिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग की ओर से नसबंदी को लेकर किए गए सर्वे में कई बिंदु सामने आए, जिनसे पता चला कि आखिर क्यों पुरुष इस अभियान से दूरी बनाए हुए हैं-
- पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को निभानी चाहिए परिवार नियोजन की जिम्मेदारी।
- नसबंदी के बाद पुरुषों की यौन शक्ति और शारीरिक क्षमता मे कमी आ जाती है। - नसबंदी कराने के बाद पुरुषों का समाज में उपहास उड़ाया जाता है। ये हैं फैक्ट - पुरुषों की अब एनएसवी यानी नॉन स्कालपेल वासक्टमी की जाती है। - यह सर्जरी पंद्रह मिनट में पूरी हो जाती है और तीन दिन में पुरुष कामकाज शुरू कर सकता है। - सर्जरी के सात दिन बाद पुरुष यौन संबंध बना सकता है। नसबंदी केंद्रों तक पुरुषों को लाने की कवायद जारी है। हॉस्पिटल्स में विशेष कैंप लगाए जा रहे हैं। साथ ही ग्रामीण इलाकों में जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं। उम्मीद है इस साल लक्ष्य को काफी हद तक पूरा किया जा सकेगा। विनोद सिंह, डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट मैनेजर, एनआरएचएम