नारी निकेतन से 8 संवासिनी 6 माह से ‘लापता’ हैं। इन्हें गुपचुप किसी प्राइवेट प्लेस पर शिफ्ट किया गया है। दावा उनकी लाइफ स्टाइल में सुधार लाने के लिए प्रयोग का किया जा रहा है लेकिन यह महिला सुरक्षा के कायदों से खिलवाड़ है। हैरान करने वाली बात यह है कि नारी निकेतन के स्टाफ से लेकर उच्चाधिकारियों तक इस मामले पर कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं है।

देहरादून (ब्यूरो) महिला एवं बाल विकास मंत्री को भी इस बारे में जानकारी नहीं है। शिफ्ट की गई सभी संवासिनियां मानसिक विमंदित बताई जा रही हैं, ऐसी महिलाओं को शेल्टर होम से बाहर शिफ्ट करने में बड़ा खतरा भी हो सकता है। गोपनीय सूत्रों से जानकारी मिलने पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम ने पड़ताल की तो पता चला कि संवासिनियों को सुधार के नाम पर हर्बटपुर के एटनाबाद में एक फ्लैट में रखा जा रहा है। लेकिन, वहां इनकी सुविधा और सुरक्षा को लेकर नारी निकेतन प्रशासन सवालों के घेरे में है। अगर सुधार के लिए ऐसा कोई प्रयोग किया भी जा रहा है तो गुपचुप क्यों?

एक फ्लैट में 8 संवासिनियां

सूत्रों से जानकारी मिली कि नारी निकेतन की 8 मानसिक विमंदित संवासिनियों को सुधार के नाम पर हर्बटपुर के एटनाबाद में दो कमरों के फ्लैट में रखा गया है। ये संवासिनी ऐसी हैं जिनकी मानसिक स्थिति खराब है। बाहर के माहौल में उन्हें लोगों के बीच रखकर दिमागी हालात सुधारने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन इसके लिए महिला कल्याण विभाग ने ट्रायल का जो तरीका अपनाया उसे जानकार गैर कानूनी बता रहे हैं। सरकारी शेल्टर होम में रह रही संवासिनिंयों को कैसे किसी बाहरी संस्था या लोगों को सौंपा जा सकता है। जबकि संवासिनिंयो और बालिकाओं को परिजनों के अलावा किसी अन्य बाहरी व्यक्ति या संस्था की संरक्षा में नहीं दिया जा सकता। सूत्रों ने बताया कि कभी मानसिक विमंदित के तौर पर नारी निकेतन लायी गई इन महिलाओं को आत्म-निर्भर बनाने के लिए बेकरी आइटम, अगरबत्ती बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है, यहां तक कि उहें शॉपिंग के लिए बाजार भी भेजा जा रहा है।

नारी निकेतन में संवासिनी के साथ अमानवीयता

केदारपुरम स्थित नारी निकेतन में रहने वाली मूकबधिर संवासिनी का पांच वर्ष पहले यौन उत्पीड़न मामला काफी चर्चा में रहा था। गर्भवती होने पर अबॉर्शन करा भ्रूण गाड़ देने जैसी हैरान करने वाले घटनाएं दून में पहले सामने आ चुकी हैं। संवासिनियों के लिए जब नारी निकेतन ही पूरी तरफ सेफ नहीं हैं, तो उन्हें नारी निकेतन से बाहर भेजना कितना खतरनाक हो सकता है।

एक संवासिनी ने दीवार पर मारा सिर

महिला कल्याण विभाग के अफसर संवासिनियों की शिफ्टिंग को उन्हें स्वस्थ करने की ट्रायल का हिस्सा जरूर बता रहे हैं, लेकिन मानसिक विमंदित संवासिनियों को डील करना इतना आसान नहीं। कुछ दिन पहले ही एक संवासिनी दीवार से सिर पटकने लगी थी। जिससे, अधिकारियों के हाथ-पैर फूल गए। इस घटना से साफ है कि मानसिक विमंदित संवासिनियां कब क्या कदम उठा लें, कहा नहीं जा सकता। ऐसे में उनकी सुरक्षा पर सवाल उठते हैं।

'संवासिनियों की शिफ्टिंग का क्या प्लान है। हम क्या कर रहे हैं। इस बारे में अभी कोई खुलासा नहीं कर सकते।'

- मोहित चौधरी, चीफ प्रोबेशन ऑफिसर, महिला कल्याण विभाग

'मानसिक विमंदित संवासिनियों को मुख्य धारा में लाए जाने के लिए ट्रायल पर उन्हें सामान्य जीवन जीने के लिए किसी गोपनीय स्थान पर रखकर ट्रेनिंग दी जा रही है।'

- योगेंद्र यादव, डायरेक्टर, महिला कल्याण विभाग

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Posted By: Satyendra Kumar Singh