चेन्नई में हुए एक इवेंट में करीब 21 हिंदू विवाहिताओं ने अपना मंगलसूत्र उतार दिए क्योंकी वे इसे महिलाओं की गुलामी का प्रतीक मानती हैं.


तमिल सुधारवादी संगठन द्रविड़ार कझगम के द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में 21 महिलाओं ने अपने मंगलसूत्र उतार कर ये जाहिर किया कि मंगलसूत्र महिलाओं की दासता की निशानी है और अब वो इससे मुक्त हो गयी हैं. द्रविड़ार कड़गम संगठन तर्कवादी नेता पेरियार की विचारधारा का सर्मथक है ओर इस संगठन ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार द्वारा बीफ बैन करने के खिलाफ बीफ उत्सव और थाली मुक्त उत्सव मनाने की घोषणा की थी. थाली स्थानीय भाषा में मंगलसूत्र को कहते हैं जिसे विवाहित महिलायें बेहद पवित्र और सम्मानीय आभूषण मानती हैं.   
गौरतलब है कि हिन्दू मुन्नानी जैसे हिंदू वादी संगठनों की तरफ से हो रहे विरोध के बाद स्थानीय पुलिस ने आशांति और सांप्रदायिक तनाव के डर से इस प्रोग्राम पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन सोमवार शाम मद्रास हाई कोर्ट ने द्रविड़ार कड़गम से कहा कि उन्हें अभिव्यक्ति की आजादी है और वे कार्यक्रम कर सकते हैं. इसके बाद मंगलवार सुबह मद्रास हाई कोर्ट की दो जजों की बेंच ने राज्य सरकार की अपील पर इस प्रोग्राम को बैन कर दिया था. लेकिन डीके ने दलील दी है कि जबतक कोर्ट के लगाए प्रतिबंध पर कोई कार्रवाई होती, कार्यक्रम संपन्न हो चुका था और भारतीय संविधान के जनक बीआर अंबेडकर की 124वीं जयंती पर 21 विवाहित महिलाओं ने अपनी 'थाली' उतार डाली. कहा तो ये भी जा रहा है कि एक टीवी चैनल पर डिबेट के दौरान डीके ने चेन्नै ऑफिस में क्रूड बम के जरिए हमला करके विरोध प्रदर्शन की योजना भी बनाई थी.

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Posted By: Molly Seth