GORAKHPUR: लोकसभा निर्वाचन की तारीखों का एलान होने के बाद से वोटर्स अपने मुद्दों को लेकर जागरूकता दिखाने लगे हैं. महिलाएं उसे वोट देने की बात कर रही हैं जो किचन की महंगाई से निजात दिलाए. बच्चों के टिफिन से लेकर रात के भोजन तक सामग्री जुटाने में लगी महिलाओं को हर कदम पर महंगाई का सामना करना पड़ता है. घर-गृहस्थी संभालने में उनके पसीने इसलिए छूट जाते हैं कि हर माह घरेलू उपयोग के सामानों की बढ़ती कीमतों से किचन का बजट बिगड़ जाता है. मिलेनियल्स मानते हैं कि बेरोजगारी मिटनी चाहिए. लेकिन साथ ही हमें उस अन्नदाता की सुख-सुविधाओं और कमाई के बारे में सोचना होगा जिसकी बदौलत दोनों टाइम थाली में लजीज व्यंजन सजते हैं. कुछ ऐसे ही मुद्दों पर रविवार को 10 नंबर बोरिंग, लच्छीपुर में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट मिलेनियल्स स्पीक जनरल इलेक्शन में लोग खुलकर बोले. कहा कि सरकार ऐसी चाहिए जो हर वर्ग का ध्यान रखे. महंगाई से निजात दिलाते हुए किसानों के खून पसीने की कमाई का उचित मूल्य दिलाए.

स्कूलों की हो समान फीस, मनमानी पर कसे शिकंजा

मिलेनियल्स स्पीक के मंच पर जनरल इलेक्शन को लेकर मुद्दों की बहस में बोलते हुए रंजीत सिंह ने कहा कि स्कूलों की मनमानी फीस कमर तोड़ देती है. एक ही तरह की पढ़ाई के लिए अलग-अलग शहरों में डिफरेंट फीस ली जाती है. इसलिए पूरे देश में एक स्ट्रक्चर होना चाहिए. स्कूल कोई हो, वहां शिक्षा के लिए बने मापदंडों में कोई असमानता न हो. चर्चा को आगे बढ़ाती हुई नीलिमा ने कहा कि स्कूलों में हर साल महंगी होती फीस ने कमर तोड़ दी है. बाजार में सस्ते दर में मिलने वाली किताब-कॉपी की मनमानी कीमत स्कूलों में वसूली जाती है. हर साल सेलेबस बदलने से कोई बच्चा अपने बड़े भाई की किताब लेकर दोबारा पढ़ाई नहीं कर सकता. शिक्षा व्यवस्था में असमानता और फीस की हालत पर चल रही बहस को अभिषेक सिंह ने देश के अन्नदाताओं की तरफ मोड़ दिया. उन्होंने कहा कि किसानों की बदौलत देश का हर नागरिक जीता है. सर्दी, गर्मी और बरसात में कड़ी मेहनत करके फसल उपजाने वाले किसानों को उचित मूल्य नहीं मिलता. होटल और रेस्टोरेंट में लजीज व्यंजन परोसने की कीमत वसूली जाती है. लेकिन लोग कभी यह नहीं सोचते हैं कि आखिर इसके पीछे असल में मेहनत किसने की है. उचित मूल्य के अभाव में किसानों की हालत सुधर नहीं रही है. इसलिए देश का अन्नदाता सुसाइड करने के लिए मजबूर हो रहा है.

वुमन इंपॉवरमेंट की बातों से ऊपर उठ करें काम

साक्षी ने कहा कि वुमन इंपॉवरमेंट की केवल बातें ही की जाती हैं. सामने से सुधार का रिजल्ट ठीक से नजर नहीं आता. इसलिए जो भी गवर्नमेंट आए वह हमारी बातों को गौर से सुनकर उस पर गंभीरता से काम करे. पुष्पा ने कहा कि महंगाई ने सबको बेहाल कर दिया है. सबसे ज्यादा हालत महिलाओं की खराब रहती है. हर माह किसी न किसी सामान की कीमत बढ़ जाती है. इससे किचन का बजट बोल जाता है. सरकार ऐसी होनी चाहिए जो गृहणियों के दुख-दर्द को समझते हुए किचन को महंगाई से कोसों दूर रखने में मदद करे. वह हमारी बातों को सुने और उस पर गंभीरता से काम करे तभी हमारा वोट उन्हें मिलेगा. कुछ इसी तरह का मुद्दा अनुपमा ने रखा. उन्होंने कहा कि घर और किचन के मुद्दों पर हम लड़ लेंगे. लेकिन सबसे अहम बात देश की सुरक्षा की है. देश के माहौल को देखते हुए सेना के जवानों की सुरक्षा, उनकी सुविधाओं का प्रमुखता से ध्यान रखने वाली सरकार चाहिए. इसके साथ हमारी सेना को आधुनिक हथियारों से लैस करना चाहिए ताकि हमारे जवान आतंकवादियों का सफाया कर सकें. इसको लेकर किसी भी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए.

बातचीत को आगे बढ़ाते हुए प्रेम श्रीवास्तव ने कहा कि नेता सबके होते हैं. लेकिन आज कल के नेताओं की हालत देखिए. समस्याओं से ज्यादा उनको जाति, धर्म और समुदाय की पड़ी रहती है. चुनाव जीतने के बाद नेताओं को इन सबसे ऊपर उठकर काम करने की जरूरत है. नेताओं को चाहिए कि अन्य मुद्दों के अलावा सिर्फ देशहित की बात करें तभी पूरे देश का चौतरफा विकास होगा. विकास ने कहा कि हायर एजुकेशन के बाद यूथ को सही और अच्छी जॉब नहीं मिल रही है, जिसके कारण यूथ में फ्रस्टेशन बढ़ रहा है. इसलिए गवर्नमेंट को ऐसी पॉलिसी लानी चाहिए कि क्वालिटी एजुकेशन देकर लोगों के लिए आय का मौका उपलब्ध कराया जाए. मिलेनियल्स स्पीक में दीपक चौधरी ने कहा कि इस इलेक्शन में एजुकेशन एक बड़ा मुद्दा बनेगा. इसलिए जो भी गवर्नमेंट आए उसे गवर्नमेंट स्कूलों को सुधारना चाहिए. प्राइवेट सूलों की फीस इतनी ज्यादा होती है कि हर कोई वहां अपने बच्चों को पढ़ा नहीं सकता. स्कूल वालों की मनमानी से हर कोई परेशान होता है. दीपक की बात का समर्थन करते हुए वेद प्रकाश मिश्रा, कमलेश और अंकित ने स्कूल के एजुकेशन सिस्टम में भारी बदलाव करने वाली सरकार को लाने की वकालत की. प्रदीप, साक्षी सहित अन्य लोगों ने विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय रखी.

मेरी बात

हर महिला के ऊपर घर-गृहस्थी चलाने की जिम्मेदारी होती है. होली का त्योहार करीब आ गया है. अभी से इस बात की चिंता सताने लगी है कि क्या-क्या तैयारियां की जाएं. महंगाई की वजह से हर साल बजट गड़बड़ हो जाता है. बाजार में मिलने वाली वस्तुओं के शुद्ध होने की गारंटी नहीं रहती है. ज्यादा पैसे देकर भी कोई वस्तु अच्छी खरीद रहे हैं इस बात पर यकीन करना उतना ही मुश्किल होता है जितना आजकल के नेताओं की बातों पर यकीन नहीं किया जा सकता है. सरकार ऐसी होनी चाहिए कि घर-गृहस्थी के सामानों की उपयोगिता, जरूरतों के हिसाब से दर तय करे. महंगाई से निजात दिलाए ताकि किचन में पकवानों की खुशबू सदा बनी रहे.

पुष्पा

कड़क मुद्दा

मिलेनियल्स स्पीक के मंच पर एक देश एक एजुकेशन सिस्टम पर जमकर बात हुई. लोगों ने कहा कि अलग-अलग जगह पर डिफरेंट फीस सिस्टम से अपने बच्चों को पढ़ा पाने में लोगों को काफी परेशानी होती है. प्राइवेट स्कूलों में प्रबंधन तंत्र का मनमाना रवैया किसी को पसंद नहीं आता. बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देने वाली शिक्षण संस्थाए बनाकर उनको बस्ते के बोझ से मुक्त कराने वाली सरकार चाहिए.

सतमोला खाओ, कुछ भी पचाओ

इलेक्शन के दौरान हर पार्टी के नेता देश का सिस्टम सुधारने की बात करते हैं. लेकिन चुनाव बीतते ही वह अपने वादे भूल जाते हैं. रोजगार, शिक्षा, सिक्योरिटी और हेल्थ सिस्टम में सुधार को लेकर कोई काम नहीं किया जाता है. इसलिए देश में एजुकेशन सिस्टम, हेल्थ सहित रोजमर्रा की जरूरतों को पूरी करने वाली सरकार से देश का भला हो सकेगा.

मिला सतमोला गिफ्ट हैंपर

मिलेनियल्स स्पीक के मंच पर वैसे तो कई मुद्दे उठाए गए, लेकिन पुष्पा ने किचन में आने वाली समस्याओं के समाधान पर विशेष जोर दिया. उन्होंने कहा कि महंगाई की मार से किचन बेजार हो जा रहा है. उनकी बात का सभी ने समर्थन किया. इसलिए सतमोला की ओर से उन्हें शानदार गिफ्ट हैंपर दिया गया. गिफ्ट हैंपर मिलने पर पुष्पा ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट और सतमोला का धन्यवाद किया.

कोट्स

एजुकेशन सिस्टम में भारी सुधार की आवश्यकता है. बच्चों के स्कूल बैग दिन पर दिन भारी होते जा रहे हैं. वर्तमान में पढ़ाई हो रही है जिससे रोजगार मिलने की कोई गारंटी नहीं है. एजुकेशन ऐसी होनी चाहिए कि हर किसी को रोजगार के अवसर मिल सकें. समान फीस की व्यवस्था लागू करने वाली सरकार चाहिए.

नीलिमा

देश की शिक्षा व्यवस्था में काफी असमानता है. इसको एक किए जाने की जरूरत है. जब हर जगह फीस से लेकर हर तरह की सुविधा के लिए सिर्फ एक दाम लिया जाएगा तो आधी समस्या अपने आप दूर हो जाएगी. दो से अधिक बच्चों को पढ़ाने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है.

रंजीत सिंह

इस देश का अन्नदाता किसान है. लेकिन उसे उसकी फसल का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है. किसान दिन प्रति दिन बेहाल होता जा रहा है. उचित मूल्य के अभाव में उसकी आर्थिक स्थिति बदल नहीं पा रही. इसलिए सरकार को चाहिए कि फसलों का ऐसा मूल्य निर्धारित करें कि पूंजी की अपेक्षा किसानों को संतोषजनक आय हो सके.

रवि शंकर

महिलाओं की सुरक्षा पर भी बात होनी चाहिए. हम उसी सरकार को चुनना चाहेंगे जो महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर गंभीरता से काम करें. महिलाओं के साथ होने वाले अपराध में शामिल अभियुक्तों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए पैरवी करे.

अनुपमा

युवाओं के लिए रोजगार की जरूरत है. सरकार ऐसी चाहिए जो हर युवा को उसकी योग्यता के अनुसार रोजगार मुहैया कराए. रोजगार की कमी से युवाओं के भीतर निराशा बढ़ती है. इसलिए तमाम लोग परेशान होकर अपनी जान गंवा देते हैं.

विकास सोनकर

देश में जाति-धर्म और संप्रदाय से हटकर बात करने वाले नेताओं की जरूरत है. ऐसे नेता चाहिए जो सबको अपना मानें. सरकार में आने के बाद नेताओं की जिम्मेदारी बनती है कि वे हर किसी को अपना समझें. लेकिन समाज को बांटकर नेता गलत काम करते हैं.

शिवम श्रीवास्तव

हेल्थ और एजुकेशन पर गवर्नमेंट ने कुछ काम अच्छा किया है, लेकिन निचले स्तर पर अभी और सुधार की गुंजाइश है. जब निचले स्तर पर विकास काम पूरा नहीं होगा तब तक हर किसी की समस्या का समाधान नहीं हो सकेगा.

दीपक चौधरी

व्यापारी वर्ग की समस्याओं को देखते हुए जीएसटी में ढील दिए जाने की जरूरत है. आम आदमी को इससे ज्यादा फर्क तो नहीं पड़ा लेकिन हर मामले में व्यापारी जीएसटी का हवाला देकर परेशान करते हैं. जीएसटी में गिरावट से सामान सस्ते हो जाएंगे.

वेद प्रकाश मिश्रा

जो सरकार युवाओं के मान-सम्मान का पूरा ख्याल रखेगी उसे ही समर्थन दिया जाएगा. हर बार इलेक्शन में युवाओं को हथियार बनाकर सरकारें छलती हैं. इसलिए युवाओं को चाहिए कि ऐसी सरकार का चुनाव करें जिससे हर युवा की अहमियत बनी रहे.

कमलेश प्रजापति

देश में बेरोजगारी की समस्या को दूर करने वाली सरकार चाहिए. हम इस बार ऐसी सरकार का चुनाव करेंगे जो शिक्षा और मेडिकल की सुविधाओं का दायरा बढ़ा सके. प्राइमरी एजुकेशन पर जोर देकर व्यवस्था को मजबूत बनाने में योगदान दें.

प्रदीप कुमार गौड़

देश के समुचित विकास के लिए हर वर्ग का विकास होना जरूरी है. इसलिए हमारी सरकार ऐसी होनी चाहिए जो युवाओं के लिए रोजगार के रास्ते खोले. वुमन सेफ्टी पर सरकार को सख्त कानून बनाने की जरूरत है.

अंकित कुमार

बेटियों के लिए सरकार की योजनाएं तो आती हैं लेकिन जागरुकता के अभाव में उसका कोई लाभ नहीं मिल पाता. इसलिए ऐसी सरकार चाहिए जो बेटियों को उनके अधिकार दिलाते हुए उनकी सुरक्षा के लिए काम करे.

साक्षी सोनकर

नेता होते सबके, करें सिर्फ देशहित की बात

Posted By: Syed Saim Rauf