-गुजरात के पाटन से आयीं दोनों ट्रेनें, भूखे सफर कर रहे वर्कर्स

बरेली-लॉकडाउन में फंसे वर्कर्स को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए दूसरे राज्यों से ट्रेनें आ रही हैं और फिर बसों से वर्कर्स को उनके घर भेजा जा रहा है लेकिन सैकड़ों किलोमीटर का सफर वर्कर्स व अन्य माइग्रेंट भूखे ही तय कर रहे हैं। जब उन्हें ट्रेन रुकने पर बरेली जंक्शन पर खाना मिलता है तो उनकी भूख मिटती है फिर चाहें खाने में खिचड़ी ही क्यों न हो। संडे को 12 घंटे के अंदर ही दो ट्रेनों से 2 हजार से अधिक वर्कर्स बरेली जंक्शन पर पहुंचे। जहां एक ट्रेन सुबह पहुंची तो दूसरी ट्रेन शाम के वक्त। दोनों ही ट्रेनें गुजरात के पाटन से आयीं। इससे एक दिन पहले भी सुबह गुजरात के पाटन से ट्रेन आयी थी। बरेली में अब तक 5 ट्रेनों का आवागमन हो चुका है, जिसमें एक एक ट्रेन महाराष्ट्र और एक ट्रेन पंजाब से आयी है।

देर से ही पहुंच रहीं ट्रेनें

रेलवे जंक्शन पर सुबह पौने 7 बजे ट्रेन पहुंची। ट्रेन में 14 सौ माइग्रेंट वर्कर्स पहुंचे, जिसमें सबसे ज्यादा वर्कर्स बदायूं और कासगंज के वर्कर्स थे। सभी को करीब 50 बसों से उनके गंत्वय तक भेज दिया गया। वर्कर्स रात में गुजरात के पालमपुर स्टेशन पर बैठे थे। उस दौरान ही उन्हें खाने के लिए दिए गए थे, उसके बाद से वह भूखे ही थे। सुबह बरेली पहुंचने पर उन्हें खिचड़ी से पैकेट दिया गया। इसी तरह से पहले दूसरी ट्रेन के रात में 8 बजे पहुंचने का टाइम रखा गया था, जिसे बदलकर दोपहर 4 बजे कर दिया लेकिन बाद में टाइम फिर बदलकर 6 बजे किया गया। इस बार भी ट्रेन देरी से ही पहुंची।

पैदल आ रहे वर्कर्स

सीएम लगातार वर्कर्स को पैदल और साइकिल से न चलने के लिए बोल रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी वर्कर्स आ रहे हैं। जिसकी वजह से वर्कर्स की जान खतरे में पड़ रही है। कई शहरों में वर्कर्स हादसे का शिकार हो गए हैं तो कोई लंबा सफर तय करने से परेशान होकर जान गंवा चुके हैं। बरेली में हाइवे हो या फिर शहर के अंदर पैदल या साइकिल से वर्कर्स के आने का सिलसिला जारी है। इसके अलावा वर्कर्स ट्रकों में छिपकर भी आ रहे हैं। कई मामलों में पुलिस भी इन्हें ट्रकों में बैठाकर रवाना कर दे रही है। अब प्रशासन भी इतनी संख्या में वर्कर्स के पहुंचने से इंतजाम करने से मन मारकर कतरा रहा है लेकिन मामला सामने आने के बाद इंतजाम करना पड़ रहा है।

बंद हो रहे कम्युनिटी किचन

लॉकडाउन में जब लोग परेशान हुए तो पुलिस ने उनके खाने का इंतजाम करना शुरू किया। पुलिस ने लोगों के सहयोग से कम्युनिटी किचन स्टार्ट कराए, जिसके बाद कई कम्युनिटी किचन स्टार्ट हुए। उसके बाद प्रशासन की ओर से तहसीलों में भी कम्युनिटी किचन शुरू कराए गए। इन किचन से जरूरतमादों को भोजन दिया जा रहा है, इसके अलावा अब ट्रेन व बसों से आने वाले और शेल्टर होम में ठहरे वर्कर्स को भी भोजन पहुंचाया जा रहा है। हालांकि अब धीरे-धीरे कुछ प्राइवेट कम्युनिटी किचन बंद होते जा रहे हैं। कुछ तो अब खर्च नहीं उठा पा रहे हैं तो कुछ के खर्च का सरकारी खाते में बिल तैयार कराने की बात आयी तो बंद कर दिए गए।

Posted By: Inextlive