-वायु प्रदुषण की रोकथाम के लिए कार्य योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए तकनीकी वर्कशाप का आयोजन

-सफर परियोजना निदेशक प्रो। गुफरान बेग ने लोगों को किया जागरूक

GORAKHPUR: जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण व यूनिसेफ लखनऊ के संयुक्त सहयोग से 'गोरखपुर में वायु प्रदुषण की रोकथाम के लिए नीति निर्माण व अंतर-विभागीय कार्य योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए तकनीकी वर्कशाप का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि भारत सरकार के सफर परियोजना निदेशक व आईआईटीएम पुणे के प्रमुख वैज्ञानिक प्रो। गुफरान बेग ने प्रतिभागियों को वायु प्रदूषण से संबंधी अध्ययन, पूर्वानुमान, विषलेषण के लिए भारत के चार प्रमुख महानगरों में संचालित सफर परियोजना के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए वायु प्रदूषण के कारणों, प्रमुख कारकों, निवारण के उपायों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि जिला आपदा प्रबंध प्राधिकरण, गोरखपुर के साथ मिलकर किन स्थलों पर 'सफर वैन' तैनात की जाएगी। कार्यवाही प्रारम्भ कर दी गई है। उम्मीद है कि विद्यालयों से प्रदूषण नियंत्रण जागरुकता कार्यक्रम प्रारंभ किया जाएगा। पर्यावरणविद् व गोरखपुर एन्वायरमेंटल एक्शन गु्रप के अध्यक्ष डॉ। शिराज वजीह ने कहा कि वायु प्रदूषण आज विश्व की 10 प्रमुख समस्याओं में से एक है। टियर-2 महानगरों में ये समस्या तेजी से बढ़ रही है। सीनियर चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ। एस के लाट ने वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि पीएम 10 व पीएम 2.5 सहित विभिन्न जहरीली गैसों जैसे-नाइट्रस ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, कार्बन डाईआक्साइड, लेड तथा प्लास्टिक वेस्ट से होने वाले श्वांस, हृदय रोगों व अन्य स्वास्थ्य विकारों के बारे जानकारी देते बचाव व आवश्यक सावधानियों के लिए महत्वपूर्ण सलाह दी।

वर्षा के जल का संचय जरूरी

बीएचयू, आईआईटी के सहायक प्रो। निखिल साबू ने अपने उद्बोधन में पावर प्वाइंट के माध्यम से परवियस पेवमेंट तकनीकी (भवनों, सड़क व इंटरलाकिंग के निर्माण), जिसके माध्यम से वर्षा के जल को संचय करते हुए जल-जमाव व जल/वायु प्रदूषण से निजात पाए जाने की सरल तकनीक को प्रदर्शित किया। मदन मोहन मालवीय यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नीकल के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो। गोविंद पांडेय ने कहा कि विभाग के माध्यम से जिले में तीन स्थलों पर वायु प्रदूषण मापक यंत्र स्थापित किए गए हैं। सफर परियोजना जिले में लागू होने से वायु प्रदूषण के रोकथाम के लिए सार्थक होगा।

बच्चों पर ज्यादा पड़ता है वायु प्रदूषण

यूनिसेफ से आई कार्यक्रम अधिकारी डॉ। उर्वशी चन्द्रा ने कहा कि वायु प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव बच्चों पर पड़ता है। यूनिसेफ इस दिशा में जिला आपदा प्रबंध प्राधिकरण, गोरखपुर अपना तकनीकी सहयोग प्रदान करती रहेगी। वर्कशापकी अध्यक्षता कर रहे डीएम के विजयेंद्र पांडियन ने वायु प्रदूषण के न्यूनीकरण के लिए उठाए जा रहे प्रशासनिक कदम और उपायों के बारे में जानकारी दी। कहा कि जिले में स्थापित हो रहे सभी नए उद्योग केंद्रों को शहर से काफी दूर स्थापित किया जा रहा है। जिससे उसका प्रभाव जनमानस पर कम हो। साथ ही उन्होंने डॉ। गुफरान बेग से अपेक्षा व्यक्त की कि सफर परियोजना जिला-गोरखपुर में लागू करें तथा इससे संबंधित किसी भी प्रकार के सहयोग के लिए जिला प्रशासन आपके साथ है।

रिसर्च पर िदया गया जोर

संचालन जिला आपदा विषेषज्ञ, गौतम गुप्ता ने किया। वर्कशाप में वायु प्रदूषण, पर्यावरण, आपदा प्रबंधन, कृषि, आजीविका, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता, मौसम विज्ञान, प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया, व्यवसायिक संगठन आदि क्षेत्रों से जुडे़ विभागीय अधिकारी, विशेषज्ञ व गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। जिले में बढ़ते वायु प्रदूषण के रोकथाम के विविध पहलुओं पर विचार-विमर्श किया तथा वायु प्रदूषण के न्यूनीकरण के लिए रोडमैप बनाने तथा रिसर्च करने पर विषेष जोर दिया गया।

Posted By: Inextlive