क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ : फिल्म, प्रशासन, लोकगीत, मीडिया और रिसर्च एजेंसीज के जानकार मंगलवार को बाल विवाह के मुद्दे पर चर्चा के लिए जुटे. मानवाधिकार और महिला मुद्दों पर काम करनेवाली स्वयंसेवी संस्था ब्रेकथ्रू के रीफ्रेम, कंवर्सेशन अराउंड अर्ली मैरिज कार्यक्रम में जब माइक पकड़कर 20 वर्षीय तब्बू ने अपनी दास्तां बताते हुए कहा कि बाल विवाह पर एक नुक्कड़ नाटक ने मेरी मां की सोच बदल दी. मेरी बड़ी बहन की शादी कम उम्र में होने से रुक गयी और मुझे अमेरिका तक जाने का मौका मिल गया. सिल्ली की रहने वाली तब्बू 2014 से ब्रेक थ्रू के साथ जुड़कर बाल-विवाह के प्रति ग्रामीणों को जागरूक कर रही हैं.

जागरुकता से रुकेगा बाल विवाह

मौके पर पार्टिसिपेंट्स ने कहा कि लोगों को जागरुक करने से ही बाल विवाह को रोका जा सकता है. समाज में ऐसी ही कई महिलाएं और संस्थाएं है जो साथ मिलकर बाल विवाह रोकने को लेकर जागरुकता फैला रही है. मौके पर सीएमएस के डॉयरेक्टर रघु, एनआरएमसी के वाइस प्रेसीडेंट शैलेश नागर, प्रेक्सिस के निदेशक अंनिदो बनर्जी. ब्रेकथ्रू की निदेशक रिसर्च डॉ लीना सुशांत, जेंडर स्पेस्लिस्ट नासीर हैदर खान, लोकगायिका चन्दन तिवारी, अभिनेत्री लेखिका अस्मिता शर्मा, सीनियर जर्नलिस्ट निराला बिदेशिया, बीबीसी की पत्रकार सिंधुवासिनी समेत अन्य मौजूद थे. जेंडर सेंसीटिव जर्नलिज़म का रिफ्रेम मीडिया अवार्ड गांव कनेक्शन की पत्रकार नीतू सिंह, जर्नलिस्ट असगर खान और रितिका को बाल विवाह को लेकर की गई रिपोर्टिग के लिए दिया गया.

Posted By: Prabhat Gopal Jha