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लाइफ में अगर आप किसी एक व्यक्ति की जिंदगी बचाने में सफल हो गए तो समझिए आपका धरती पर जन्म लेना सार्थक साबित हुआ। लेकिन एक ऐसा दान है जिससे आप एक नहीं कई जिंदगियां बचा सकते हैं और वो भी बड़ी आसानी से। आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कौन सा दान है जिससे आप एक नहीं कई जिंदगियां बचा सकते हैं। जीहां, वो है रक्तदान। इसके बारे में आपको शायद बहुत कुछ मालूम होगा लेकिन आज ब्लड डोनर डे है। ऐसे में रक्तदान के कई अनछुए पहलुओं के साथ सिटी में ब्लड बैंक्स की स्थिति समेत कई एहम जानकारियां आज आई नेक्स्ट आपको दे रहा है। जिससे आप बिना रुके रक्तदान करते रहें और जरूरतमंदों को नई जिंदगी देते रहें। आज हम उन दानियों के बारे में भी बात करेंगे जोकि इस महादान के माध्यम से कई जिंदगियों को जीवनदान दे चुके हैं। इसके अलावा और भी बहुत कुछ जानने के लिए पढि़ए ये रिपोर्ट

-सिटी में उर्सला, मेडिकल कॉलेज और कार्डियोलॉजी में है ब्लड बैंक, कई प्राइवेट ब्लड बैंक भी हैं शहर में

KANPUR: एक्सीडेंट्स में होने वाली मौतों में 27 परसेंट लोगों को काल के कपाल में जाने से बचाया जा सकता है। अब सवाल ये है कि कैसे? बिल्कुल आसान उत्तर है रक्तदान करके। रक्तदान के प्रति लोग जागरूक तो हुए हैं लेकिन उनको अभी उनको उसकी और एहमियत समझने की जरूरत है। क्योंकि जब लोग इसके प्रति जागरूक होंगे तो फिर किसी तरह की कोई मुश्किल सामने नहीं आएगी। एक प्राइवेट संस्था के सर्वे में सामने आया है कि 21 प्रतिशत लोग आज भी रक्तदान करने से डरते हैं जोकि पूर्णतया गलत है। बदलते समय के साथ अब बहुत कुछ बदल चुका है। हमको अपनी सोच भी बदलनी होगी।

आधी जरूरत ही पूरी होती है

कानपुर की बात करें तो हर महीने करीब 55 हजार यूनिट ब्लड की जरूरत पड़ती है और प्राइवेट और सरकारी ब्लड बैंकों के माध्यम से सिर्फ 27 हजार यूनिट ब्लड ही मिल पाता है। एक प्राइवेट संस्था की ओर से कराए गए सर्वे में सामने आया है कि शहर में करीब एक दर्जन ब्लड बैंकों की और जरूरत है। साल दर साल खून की जरूरत बढ़ती जा रही है। शहर में तीन सरकारी और करीब 19 प्राइवेट ब्लड बैंक हैं। सिर्फ उर्सला में हर महीने करीब पांच हजार यूनिट ब्लड जरूरतमंद ले जाते हैं। अगर बात मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक की करें तो यहां से करीब 10 हजार लोगों को ब्लड मिल पाता है।

इम्प्लाई की है कमी

उर्सला स्थित ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ। एससी वर्मा बताते हैं कि जिला चिकित्सालय के ब्लड बैंक में स्टाफ की कमी है। उर्सला ब्लड बैंक में एक टेक्निशियन है जबकि 10 पोस्ट खाली हैं। इनके न होने की वजह से काफी प्रॉब्लम सामने आती है। उनके मुताबिक शहर की विभिन्न सामाजिक और सरकारी संस्थाओं की ओर से समय-समय पर आयोजित ब्लड डोनेशन कैंप के माध्यम से हर महीने करीब पांच हजार यूनिट ब्लड एकत्रित होकर जरूरतमंदों तक पहुंचता है। वहीं अगर कानपुर मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक की बात करें तो यहां भी 2 पोस्ट खाली हैं लेकिन उर्सला से स्थिति कुछ ठीक है। बता दें कि कानपुर मेडिकल कॉलेज से सिर्फ शहर के ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों से भी लोग यहां ब्लड के लिए पहुंचते हैं। कार्डियोलॉजी स्थिति ब्लड बैंक की बात करें तो यहां से हॉस्पिटल में एडमिट पेशेंट्स को ब्लड अवेलेबल कराया जाता है। कार्डियोलॉजी की बात करें तो प्रदेश के कोने-कोने से आए पेशेंट्स यहां ट्रीटमेंट कराते हैं। औरेया, उरई, कानपुर देहात, जालौन, इटावा समेत कई जिलों से लोग इलाज के लिए आते हैं। यहां उपलब्ध ब्लड यहां के पेशेंट्स की भी जान बचाता है।

400 रुपए और डोनर की जरूरत

उर्सला और हैलट हॉस्पिटल के ब्लड बैंक से ब्लड लेने के लिए आपको डोनर के साथ ही 400 रुपए भी देने होंगे। कानपुर मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ। महेंद्र सिंह के मुताबिक 400 रुपए ब्लड की विभिन्न तरह की जांचों में होने वाला खर्च है। उनके मुताबिक कई ऐसे गंभीर रोगों के पेशेंट्स होते हैं जिनके की पास डोनर नहीं है। ऐसे में उनको कुछ फॉर्मेलिटीज पूरी करने के बाद बिना डोनर के भी ब्लड उपलब्ध कराया जाता है। उनके मुताबिक पूरी कोशिश रहती है कि जरूरतमंद को ब्लड अवेलेबल हो जाए।

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ब्लड बैंक से सभी को आसानी से ब्लड उपलब्ध कराया जाता है। इसके लिए जरूरतमंद को सिर्फ एक डोनर की जरूरत होती है। उर्सला में तो आसपास के जिलों से भी लोग इलाज कराने आते हैं। ऐसे में उनको भी यहीं से ब्लड अवेलेबल कराया जाता है। अगर डोनर्स बढ़ेंगे तो फिर ब्लड की कमी को आसानी से पूरा किया जा सकता है। ब्लड के सभी कम्पोनेंट अवेलेबल रहते हैं। इसकी सभी मशीनें भी अवेलेबल हैं।

डॉ। एससी वर्मा, प्रभारी, ब्लड बैंक उर्सला

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रक्तदान महादान है। ऐसे में हर स्वस्थ्य पुरुष 3 महीने में और महिला 4 महीने में एक बार ब्लड डोनेट कर सकती है। जब डोनर ब्लड करेंगे तो फिर ब्लड जरूरतमंद के लिए अवेलेबल भी रहेगा। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा संख्या में ब्लड डोनेट करना चाहिए। रक्तदान करने में किसी तरह की कोई प्रॉब्लम नहीं होती है।

डॉ। आरपी यादव, सीएमओ, कानपुर नगर

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6 ब्लड डोनेशन कैंप होते हैं ऑर्गनाइज

एलायंस क्लब मल्टीपल काउंसिल के चेयरपर्सन डॉ। मनमीत बताते हैं कि उनकी संस्था की ओर से हर साल करीब 6 ब्लड डोनेशन कैंप आयोजित किए जाते हैं। हर कैंप में करीब 50 यूनिट ब्लड एकत्रित होता है जोकि उर्सला या फिर मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक को दे दिया जाता है। ये ब्लड जरूरतमंदों के काम आता है। डॉ। मनमीत बताते हैं कि उनकी संस्था की ओर से पूरे देश में जगह-जगह ब्लड डोनेशन कैंप ऑर्गनाइज किए जाते हैं। जब कैंप ऑर्गनाइज होता है तो ऐसे लोग जोकि अक्सर ब्लड डोनेट करते हैं वो अपना अनुभव शेयर करते हैं। जिससे की ब्लड डोनर्स की संख्या में इजाफा हो सके।

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जब डोनेट करेंगे तभी तो मिलेगा ब्लड

जीटीबी हॉस्पिटल के एमडी डॉ। दीपक श्रीवास्तव बताते हैं कि हॉस्पिटल प्रशासन की ओर से भी ब्लड डोनेशन कैंप ऑर्गनाइज किया जाता है। उनके मुताबिक रक्तदान हर स्वस्थ्य व्यक्ति को जरूर करना चाहिए। वो बताते हैं कि ऑपरेशन के दौरान अक्सर ब्लड की जरूरत पड़ती है। ऐसे में पेशेंट्स के तीमारदार के दिमाग में एक जगह आती है और वो है ब्लड बैंक। वो वहां जाकर ब्लड ले तो आते हैं लेकिन अगर आप डोनेट नहीं करेंगे तो फिर वहां ब्लड कैसे मिलेगा? इसके लिए सबसे जरूरी है कि हम लोग ज्यादा से ज्यादा संख्या में ब्लड डोनेट करें। वो कहते हैं कि अक्सर प्रोग्राम्स में वो लोगों को ब्लड डोनेट करने के लिए कहते हैं। वो कहते हैं कि डॉक्टर्स को लोगों के मन से ये डर निकालना चाहिए कि रक्तदान करने से किसी तरह की कोई प्रॉब्लम होती है। डॉ। दीपक के मुताबिक वो खुद कई बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं।

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लोगों को जागरूक भी करते हैं

रोटरी क्लब ऑफ कानपुर नार्थ के पूर्व प्रेसीडेंट अजय दीक्षित बताते हैं कि उनकी संस्था की ओर से भी हर साल 4-5 ब्लड डोनेशन कैंप ऑर्गनाइज किए जाते हैं। उनके मुताबिक कैंप में ब्लड डोनेशन के साथ ही लोगों को जागरूक करने का काम भी वो लोग करते हैं। उनकी संस्था के मेंबर्स समय-समय पर लोगों को विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

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'हमारा फर्ज है कि ब्लड डोनेट करें'

सामाजिक कार्यकर्ता और एलायंस क्लब की पूर्व गवर्नर डॉ। त्रिप्ताकौर जुनेजा के मुताबिक उनकी संस्था के मेंबर्स भी साल में कम से कम 5 ब्लड डोनेशन कैंप जरूर ऑर्गनाइज करते हैं। वो बताती हैं कि अब लोग काफी जागरूक हैं। पहले तो ब्लड डोनेशन कैंप में काफी प्रचार के बाद भी लोग नहीं आते थे लेकिन अब स्थिति बदल रही है। लेकिन इसको और बदलना है। तभी हम ज्यादा से ज्यादा कैंप ऑर्गनाइज कर सकेंगे।

Posted By: Inextlive