RANCHI: ब्लड डोनेट करके आप किसी की जान बचा सकते हैं। इसी फार्मूला पर आगे बढ़ते हुए रांची में रहने वाले जगन्नाथ हास्पिटल के चीफ एडमिनिस्ट्रेटिव आफिसर डॉ। सौरभ बक्शी म्ब् साल की उम्र में अब तक क्ख्म् बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। बी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप वाले डॉ। बक्शी ने क्ख्म् लोगों को जीवनदान देने में भी अहम भूमिका निभाई है। इतना ही नहीं, उन्होंने पहली बार ब्लड डोनेट क्97क् में इंडो-पाक युद्ध के दौरान सदर हास्पिटल रांची में किया था, जहां से ब्लड कलेक्ट करके नामकुम मिलिट्री कैंप भेजा गया था। वार के दौरान ब्लड की डिमांड बढ़ गई थी और रांची से भी काफी ब्लड सप्लाई हुई थी। तब से कोई ऐसा साल नहीं जब उन्होंने हर चार महीने में ब्लड डोनेट नहीं किया हो।

तीन बार और डोनेशन का मौका

डॉ बक्शी बताते हैं कि एक डॉक्टर के रूप में मैं लोगों को भी ब्लड डोनेट करने के लिए प्रेरित करता हूं। वह बताते हैं कि क्8 साल की उम्र से लेकर म्भ् साल तक कोई भी व्यक्ति ब्लड डोनेट कर सकता है। इसलिए म्ब् साल के बाद भी डॉ बक्शी अभी तीन बार और ब्लड डोनेट करना चाहते हैं। उन्होंने अपनी मां को भी चार बार खून दिया है। वह बताते हैं कि इससे बॉडी में बोन मैरो के अलावा नए टिश्यूज भी बनते रहते हैं, जिससे इंसान कई तरह की बीमारियों से भी दूर रहता है।

पढ़ाई-ड्यूटी के दौरान भी डोनेशन

भागलपुर मेडिकल कालेज में भी वह अपनी पढ़ाई के दौरान दोस्तों को इसके लिए प्रेरित करते थे। वहीं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया झारखंड में भी ख्भ् साल सीनियर मेडिकल आफिसर के पद पर रहते हुए उन्होंने कभी ब्लड डोनेट करना नहीं छोड़ा। वह कहते हैं कि समाज ने हमें बहुत कुछ दिया है और उसके बदले में कुछ तो रिटर्न देना जरूरी है।

यूथ के लिए बने आइकन

म्ब् साल की उम्र के इस पड़ाव पर भी डॉ। बक्शी ने एक रिकार्ड बनाया है। साथ ही वह यूथ्स के लिए भी एक आइकन बन चुके हैं। चूंकि उनसे प्रेरित होकर ब्लड डोनेट करने वालों में यूथ्स की संख्या काफी अधिक है। मेडिकल साइंस में एक यूनिट ब्लड से तीन लोगों की जान बचाई जा सकती है। इस हिसाब से देखा जाए तो डॉ बक्शी ने फ्78 को नया जीवन दिया है।

कास्ट को नहीं मानते डॉ। बक्शी

क्ख्म् बार ब्लड डोनेट कर चुके डॉ। बक्शी जाति और धर्म में विश्वास नहीं करते हैं। चूंकि जब खून की जरूरत होती है तो यह नहीं देखा जाता कि खून किसने दिया है। इसलिए वह इन चीजों से हटकर लोगों को ब्लड डोनेट करने का मैसेज देते हैं। वह कहते हैं कि अगर किसी को खून की जरूरत पड़ती है, तो हिचकिचाने की बजाय आगे आकर ब्लड डोनेट करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।

Posted By: Inextlive