व‌र्ल्ड अर्थ डे पर मिलकर लें संकल्प, बदलेंगे अपनी आदत

अभी नहीं रखा धरती का ख्याल तो जीवन होगा बदहाल

ALLAHABAD: बढ़ती जनसंख्या, तनती इमारतें, हरे पेड़ों की कटान, जलादोहन और कार्बन के अधाधुंध उत्सर्जन से धरती की सेहत बिगड़ रही है। पिछले 20 वर्षो में धरती का तापमान 0.6 डिग्री सेंटीग्रेट बढ़ गया है। इसका असर अनस्टेबल क्लाइमेट के रूप में सामने है। ऐसा ही चलता रहा तो न धरती बचेगी और न हम। भूकंप, अति वृष्टि, सूखा बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं जीवन को तहस नहस कर देंगी। इसलिए हमें अपनी आदत बदलनी होगी। तो आइए व‌र्ल्ड अर्थ डे पर मिलकर धरती मां के साथ ही अपना जीवन बचाने का संकल्प लें।

बढ़ायें छोटे-छोटे कदम, दिखेगा बदलाव

एक पेड़ लगायें

कम से कम एक पेड़ जरूर लगाएं। यह ऑक्सीजन देगा, छांव देगा, हानिकारक कार्बनडाईआक्साइड को अवशोषित करेगा। इसकी हरियाली आपका तनाव भी भगाएगी।

पानी की बोतल साथ रखें

हम ग्लास से दो घूंट पानी पीकर बाकी गिरा देते हैं। लेकिन अब ऐसा करने से पहले सोचें कि देश में कई लोग एक-एक बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। बेहतर होगा कि कहीं बाहर जाएं तो पानी की बोतल साथ रखें। इसके दो फायदे होंगे। पानी पीते रहने की सेहतमंद आदत बनेगी और पानी बर्बाद होने से बचेगा।

पॉलीथिन को करें बाय-बाय

पॉलीथीन के घातक प्रभाव को देखकर ही इस पर प्रतिबंध लगा है। इसलिए अब सब्जी या अन्य सामान खरीदने जाएं तो कपड़े का थैला जरूर साथ लेकर जाएं। पॉलीथिन की जरूरत नहीं पड़ेगी।

पैदल चलें, साइकिल चलायें

इसका फायदा भी पृथ्वी, पर्यावरण के साथ आपको भी मिलेगा। पैदल चलेंगे या साइकिल चलाएंगे तो पैर से लेकर दिमाग तक सेहतमंद होगा। साइकिल चलाने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं। मानसिक तनाव भी दूर होगा। पेट्रोल का खर्च भी कम होगा। पर्यावरण को भी प्रदूषण से राहत मिलेगी।

धरती को बीमार बनाने के जिम्मेदार

उद्योगपति अपने मुनाफे के चक्कर में नदी व धरती के गर्भ से स्वच्छ व निर्मल जल खींचकर बर्बाद व प्रदूषित कर रहे हैं।

रोजाना बढ़ते वाहनों के पदूषण से प्राण दायक वायु जहरीली होती जा रही है

जनरेटर व प्रेशर हार्न के अत्यधिक प्रयोग से ध्वनि प्रदूषण अपनी सीमाएं लांघ रहा है

कृषि में रासायनिक खाद व कीटनाशक का प्रयोग बढ़ने से मिट्टी के पोषक तत्व समाप्त हो रहे हैं

प्रदूषण से ओजोन परत का क्षरण हो रहा है। एसी व रेफ्रिजरेटर से निकलने वाली क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस से धरती का गर्म होना जारी है।

क्लाइमेट चेंज की वजह से बहुत तेजी से टम्पेरचर बढ़ा है। कार्बनडाइ आक्साइड का उत्सर्जन अधिक हो रहा है, जो ग्रीन हाउस को नुकसान पहुंचा रहा है। 20 वर्षो में पृथ्वी का तापमान 0.6 डिग्री सेंटीग्रेट बढ़ गया है। अगर इसी तरह से पॉपुलेशन बढ़ती रही, जलादोहन और कार्बनडाइ आक्साइड का उत्सर्जन बढ़ता रहा तो स्थिति काफी खतरनाक होगी।

प्रो। जेएन त्रिपाठी

अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

हम सभी संकल्प लें कि प्रत्येक दिन प्रकृति को बचाने के विचार को समाज में फैलाने का कार्य करेंगे। सिर्फ हरे कपड़े पहन लेने से कुछ नहीं होगा। धरा को हरा-भरा बनाने के लिए प्रयास करना जरूरी है। अगर कुछ ऐसे कड़े निर्णय हम वास्तव में कर लें तो समस्या का समाधान संभव है।

राजेंद्र तिवारी उर्फ दुकान जी

समाज सेवी व गंगा रक्षक

क्या हमें रोजाना प्राणदायक वायू नहीं चाहिए? क्या हमें प्यास रोजाना नहीं लगती है? क्या हमारा पेट रोजाना रोटी नहीं मांगता है? तो फिर प्रकृति के संरक्षण के लिए एक ही दिन क्यों सोचें? इसके लिए रोज समय निकाल कर कार्य करना होगा। महज पृथ्वी दिवस पर पौधरोपण से क्या होगा, यह क्रम साल भर चलना चाहिए।

कमलेश सिंह

पूर्व पार्षद एवं समाज सेवी

इलाहाबाद

कोई भी दिवस जागृति पैदा करने का अवसर होता है। लेकिन यदि हमें उस दिवस की रस्म अदायगी ही करनी है तो ये दिवस तो प्रत्येक वर्ष आते रहेंगे और समस्याएं घटने के बजाए बढ़ती रहेंगी। आज वास्तव में सम्पूर्ण प्रकृति संकट के दौर से गुजर रही है। इससे उबरने के लिए पृथ्वी के प्रत्येक नागरिक को योगदान देना होगा।

मनोज श्रीवास्तव

अध्यक्ष ग्लोबल ग्रीन्स

Posted By: Inextlive