स्पेस मिशन्स को लेकर भारत का यह साल बेहद सफल रहा है। इसी कड़ी में एक और नाम जुडऩे जा रहा है बेंगलुरु की टीम इंडस का। इस टीम की निगाहें साल के अंत तक चांद पर दुनिया का पहला प्राइवेट स्पेसक्राफ्ट भेजने पर है। अपने टारगेट से यह टीम अब केवल एक कदम दूर है। पूरा होने के बाद यह क्राफ्ट एक पीएसएलवी के जरिए श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया जाएगा।


इसरो करेगा टेस्टिंगफर्म की मार्केटिंग इंचार्ज शीलिका रविशंकर कहती हैं, हमने एक क्वालिफिकेशन मॉडल तैयार किया है। यह अगस्त के दूसरे ह ते में इसरो की टेस्टिंग फैसिलिटी में कड़े परीक्षणों से गुजरेगा। अगला कदम एक लाइट मॉडल का निर्माण होगा। आईआईटी दिल्ली के स्टूडेंट रह चुके फर्म के संस्थापक राहुल नारायण ने चेन्नई इंटरनेशनल सेंटर में 'मिशन टू द मून : यूल्ड बाई ऐंबिशन' सेशन के दौरान अपने प्रोडक्ट के बारे में बताया।100 लोगों की टीम
राहुल की कंपनी गूगल के ल्यूनर एक्स प्राइज कॉ िपटिशन के फाइनल में पहुंचने वाली 5 टीमों में से एक थी। 600 किलो का यह स्पेसक्राफ्ट इसरो के लगभग 2 दर्जन रिटायर्ड वैज्ञानिकों की मदद से बना है। साथ ही करीब 100 लोगों की टीम भी इस पर काम करी है। 6 किलो के अपने 'रोवर- एक छोटी सी आशाÓ के अलावा यह स्पेसक्राफ्ट एक जापानी टीम का बनाया हुआ रोवर भी ले जाएगा। यह फ्रेंच सेपेस एजेंसी के लिए कैमरा भी ले जाएगा। लैंडिंग है मुश्किल * टेकऑफ  के लगभग 15 मिनट बाद स्पेसक्राफ्ट लॉन्च व्हीकल से अलग हो जाएगा। * फिर यह धरती के दो चक्कर लगाते हुए ऊपर की ओर जाएगा। फिर यह चांद की ओर उड़ान बढ़ेगा।


* कुल 3।8 लाख किमी का रास्ता तय करके यह क्राफ्ट 5 दिन में चांद के ऑर्बिट में पहुंचेगा। * वहां 4 दिन रहने के बाद क्राफ्ट चांद पर उतरेगा। लैंडिंग ही सबसे मुश्किल काम है।* मगर, इसरो के इस मिशन से जुड़े होने के चलते राहुल लैंडिंग को लेकर आश्वस्त हैं।ट्रांसजेंडर्स को मिल सकता है जेंडर चुनने का अधिकार, पार्लियामेंट कमेटी ने की सिफारिश

National News inextlive from India News Desk

Posted By: Shweta Mishra