राजधानी पटना के हेरिटेज इंपॉर्टेट स्थल संरक्षण के अभाव में जर्जर होते जा रहे हैं। ऐसे कई स्थल आज भी पटना शहर में हैं, जिसके रख-रखाव की जरूरत है। पटना कॉलेज की ही बात करें, तो यह डच शैली में बना हुआ है, पर धीरे-धीरे यह भी नष्ट होता जा रहा है। डाकबंगला चौराहे पर स्थित रिजवान कैसल गोथिक स्टाइल में बना हुआ है। एक्सप‌र्ट्स की मानें, तो बिहार में इस स्टाइल की एक भी बिल्डिंग नही है, पर भवन तो जर्जर हो चुकी है। आज इस पर भू माफियाओं की भी नजर है। कुछ ऐसा ही हाल दरभंगा हाउस सहित कई स्थलों का है।

- अवशेषों व पुरातत्व महत्व की चीजों को सहेजने का काम तक नहीं हो रहा

- सितंबर में दरभंगा के जरहटिया गांव से आठवीं शताब्दी की बुद्ध की प्रतिमा मिली थी

PATNA: पुरातत्व के लिहाज से बिहार बहुत ही समृद्ध स्टेट रहा है। इसके पौराणिक महत्व के स्थलों को देखने के लिए देशभर के अलावा विदेशों से भी लोग आते हैं। हाल ही में बिहार गवर्नमेंट ने कहा था कि बिहार में आने वाले फॉरेन टूरिस्टों की संख्या बढ़ी है। आंकड़े बताते हैं कि बिहार में सबसे अधिक बौद्धिस्ट टूरिस्ट आते हैं। आए दिन बिहार के अन्य-अन्य शहरों से भी पुरातात्विक अवशेष मिलते हैं। ऐसे अवशेषों में से बौद्धिस्ट अवशेषों की संख्या अधिक है। यह यहां के पुरातत्वविद भी स्वीकारते हैं, पर हकीकत यह है कि इन अवशेषों व यहां के पुरातत्व महत्व की चीजों को सहेजने का काम तक नहीं हो रहा है। मात्र एक ऑफिसर और दो तकनीकी सहायक के भरोसे बिहार में पुरातत्व निदेशालय चल रहा है।

स्टेट के संग्रहालयों की स्थिति खराब

धरोहरों को संजोने के लिए बिहार में संग्रहालय की स्थापना की गयी, पर बिहार में जितने भी संग्रहालय हैं वे कर्मचारी विहीन हैं। मैक्सिमम जिलों के संग्रहालयों में ताला ही लटका रहता है। कई संग्रहालय तो ऐसे हैं, जिनके नहीं खुलने के कारण उस इलाके से निकली मूर्तियां और अवशेष गांवों व मंदिरों में रखे हुए हैं। मालूम हो कि पिछले सितंबर माह में मधुबनी दरभंगा के इलाके के जरहटिया गांव से आठवीं शताब्दी की बुद्ध की प्रतिमा मिली थी। फिलहाल यह दरभंगा के लक्षिमेश्वर संग्रहालय में रखी हुई है। नियमत: इसे पटना के संग्रहालय में होना चाहिए, पर इसे देखने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के एक अधिकारी जाते हैं और उसके बाद से अब तक उस मूर्ति की सुध नहीं ली गयी। हाल ही में इसी मूर्ति का सिरोभाग मिला है, जो पास के गांव में रखा हुआ है।

स्तूपों को काट रहे गांव के लोग

पटना म्यूजियम के एक अधिकारी बताते हैं कि हाल के दिनों में कई शहरों में बौद्ध स्तूप मिले हैं, पर उनके संरक्षण की दिशा में कोई पहल नहीं की जाती है। ऐसा ही एक बौद्धस्तूप मधुबनी जिले के अंधराठारही प्रखंड के आसपास मिला है। यह स्तूप पालकालीन है, पर इसके संरक्षण की दिशा में अबतक कोई कदम नही उठाया गया है। इन स्तूपों को आसपास के ग्रामीण काट कर नष्ट कर रहे हैं। ऐसा ही एक स्तूप कई सालों पहले बेगूसराय के मंझौल में भी पाया गया है। इसकी सूचना पुरातत्व विभाग को भी दी गई, पर वह भी अपनी दुर्दशा पर रो रहा है। अंधराठारही से बौद्धस्तूप के अलावा सूर्य, विष्णु और यक्षिणि की भी प्रतिमाएं मिली हैं, पर उनके संरक्षण की दिशा में कदम नहीं उठाये जा रहे हैं।

कर्मी थे नहीं, चोरी हो गई मूर्ति

सहरसा के महिषी से ग्यारहवी ंऔर बरहवीं शताब्दी के बुद्ध की मूर्ती मिली है। जिसे मजबूरन पटना संग्रहालय लाया गया क्योंकि जिले मे ंउसे संरक्षित करने की व्यवस्था नहीं थी। यहां प्रंदह साल पहले एक म्यूजियम की स्थापना की गयी। लेकिन उसमें एक भी कर्मी नही ंहैं इस कारण से वहंा की कई मूतिर्या चोरी हो गयी।

क्यों बंद है बलिराजगढ की खुदाई्र

बलिराजगढ़ मधुबनी में है। इसे क्9फ्8 मे ही एएसआई ने अपने अधीन मे ले लिया था। इसकी खुदाई सबसे पहले क्9म्ख् में शुरु की गयी। फिर लंबे समय तक बंद रहा। बाद में सीएम नीतीश कुमार के पहल के बद इसकी खुदाई ख्0क्ब् में शुरु हुई लेकन वर्तमान में बंद ही है। जबकि यहा से मगध काल के अवशेष मिले हैं।

तेलहारा, जहानाबाद सहित कई जगहों से पुरातत्व के अवशेष मिले हैं। लेकिन राज्य सरकार की उदासीनता के कारण इसे संरक्षित नहीं किया जा रहा है। राज्य सरकार नया म्यूजियम तो बना रही है लेकिन उसे पटना में ही अपने पुरातत्व महत्व के धरोहरों को सहेजने की फिक्र नहीं है।

अरुण सिंह, पुरातत्व विशेषज्ञ

Posted By: Inextlive