व‌र्ल्ड नो टुबैको डे स्पेशल

खतरा : कम उम्र में स्मोकिंग की लत दे रही है जानलेवा बीमारी

25 फीसदी हो गए हैं मरीज, 35 साल में दिखाई देने लगे हैं लक्षण

ALLAHABAD: युवाओं की चहेती सिगरेट उनकी मौत का कारण बनती जा रही है। आंकड़े बताते हैं कि ओपीडी में सांस के कुल रोगियों में से 25 फीसदी संख्या सीओपीडी (क्रानिक आब्सट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीजज) के मरीजों की हो चुकी है। अगर धूम्रपान की लत नही छूटी तो यह संख्या बढ़ भी सकती है। डॉक्टरों का भी मानना है कि एक बार सीओपीडी की चपेट में आने के बाद बीमारी से छुटकारा नही मिलता। मरीज को आजीवन दवाओं के भरोसे ही रहना पड़ता है।

घट गई मरीजों की औसत उम्र

फेफड़े की सबसे घातक बीमारियों में शामिल सीओपीडी के शुरुआत की औसत उम्र 40 वर्ष मानी जाती थी लेकिन अब यह घटकर 35 साल हो चुकी है। इसका कारण कम उम्र युवाओं में धूम्रपान का बढ़ता शौक है। माना जाता है कि महज 15 साल की उम्र में ही किशोर सिगरेट की लत का शिकार हो रहे हैं। इसके अलावा बीड़ी और हुक्का के प्रति बढ़ता प्रेम भी उन्हें इस बीमारी के नजदीक ले जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि सीओपीडी के मेन कारणों में साठ फीसदी धूम्रपान शामिल है। इसके अलावा इंडस्ट्रियल एरिया का धुआं, चूल्हा और प्रदूषण दूसरे कारणों में शामिल होते हैं।

कम खतरनाक नही हुक्का

डॉक्टर्स का कहना है कि आमतौर पर हुक्का पीने वालों का तर्क होता है कि इसमें पानी से छनकर आने वाले धुआं में तंबाकू नही होती। लेकिन, ऐसा नही है। अगर तंबाकू का हुक्का में उपयोग हो रहा है तो इसके केमिकल सीधे सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंच जाते हैं। लंबे समय तक हुक्के का उपयोग भी सीओपीडी का शिकार बना सकता है।

लक्षण

संास फूलना

खांसी

बलगम

पसलियां चलना

कमजोरी

क्या है सीओपीडी

सीओपीडी फेफड़ों की घातक बीमारी है जिसमें श्वास नलिकाएं सूजकर सिकुड़ जाती हैं। सूजन में लगातार वृद्धि होती रहती है और कुछ समय बाद फेफड़े छलनी हो जाते हैं। जिसे एंफयजीमा भी कहते हैं। यह रोग सांस लेने में दिक्कत के अनुभव से शुरू होता है और अंत में पूरे श्वसन तंत्र को प्रभावित कर देता है। सीओपीडी श्वसन तंत्र में होने वाले रोगों का समूह है जिसमें श्वास की लंबाई में लघुता आ जाती है। इससे शरीर की ऑक्सीजन लेने की क्षमता में कमी आ जाती है। फेफड़े में जलन की वजह से सांस की नलियां सिकुड़ जाती हैं।

फैक्ट फाइल

25

फीसदी ओपीडी में सीओपीडी के मरीज

35

की औसत उम्र में पता चला है बीमारी का

60

फीसदी धूम्रपान से होते हैं प्रभावित

4000

तंबाकू में मिलने वाले केमिकल्स की संख्या

धूम्रपान के तरीके

बीड़ी

सिगरेट

हुक्का

एक रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में बीमारियों से होने वाली कुल मौतों में सीओपीडी तीसरा बड़ा कारण होगा। इस बीमारी के पीछे धूम्रपान बड़ा कारण है। युवाओं में सिगरेट की लत वाकई चिंता का कारण है। इससे बचाव बेहद जरूरी है।

डॉ। आशुतोष गुप्ता, चेस्ट स्पेशलिस्ट

तंबाकू में शामिल हजारों केमिकल फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। यह धुएं के जरिए सीधे आक्सीजन में मिश्रित होकर ब्लड का दूषित करते हैं। इससे कई घातक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

-डॉ। आनंद सिंह,

फिजीशियन, बेली हॉस्पिटल

Posted By: Inextlive