तुरंत पहचान, इलाज आसान
वर्ल्ड स्ट्रोक डे स्पेशल
हार्ट अटैक के बाद मौत का दूसरा बड़ा कारण बन चुका है ब्रेन स्ट्रोक एक चौथाई है 40 वर्ष से कम उम्र के मरीजों की संख्या vineet.tiwari@inext.co.in PRAYAGRAJ: यह सच है। दुनियाभर में हार्ट अटैक के बाद ब्रेन स्ट्रोक से लोगों की मौत सबसे ज्यादा होती है। इस घातक रोग से बचना है तो लक्षणों की पहचान कर इलाज शुरू कराना जरूरी है। बहुत तनाव लेने, बीपी, शुगर और कॉलेस्ट्रॉल कंट्रोल में न रखने और अपनी डाइट का ध्यान न रखने पर आप ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन अटैक के शिकार हो सकते हैं। ब्रेन स्ट्रोक के शिकार बन रहे यंगस्टर्स पहले यह समस्या केवल वृद्धावस्था में ही देखी जाती थी अब युवाओं में स्ट्रोक के मामलों में वृद्धि देखी जा रही हैडब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट की माने तो ब्रेन स्ट्रोक के सौ मरीजों में 25 मरीजों की उम्र 40 साल से कम होती है।
घटिया लाइफ स्टाइल के चलते युवाओं के बीच ब्रेन स्ट्रोक अपनी जगह बनाने में सफल है क्या हैं कारण मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त की आपूर्ति बाधित होने या गंभीर रूप से कम होने के कारण स्ट्रोक होता है।मस्तिष्क के ऊतकों में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी होने पर कुछ ही मिनटों में मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं, जिसके कारण पेशेंट की मृत्यु या स्थायी विकलांगता हो सकती है।
इलाज में देरी होने पर लाखों न्यूरॉन्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और मस्तिष्क के अधिकतर कार्य प्रभावित होते हैं। लक्षण और निवारण अगर व्यक्ति के फेस पर साइड स्ट्रोक के लक्षण दिखते हैं, बोलने में दिक्कत होती है, तो उस व्यक्ति को जितना ज्यादा हो सके मुस्कुराना चाहिए। एक हाथ कमजोर या सुस्त हो, तो अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं और ध्यान दें कि क्या एक हाथ पूरी तरह से ऊपर जाने में असमर्थ है। व्यक्ति को बोलने में काफी दिक्कत होती है। ऐसे व्यक्ति को एक ही वाक्य को बार-बार दोहराते रहना चाहिए। जब तक कि वह उस वाक्य का सही उच्चारण न कर ले। बचाव के उपाय बीपी, डायबिटीज और वजन को नियंत्रण में रखें। बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी दवा के इस्तेमाल से बचें। आहार में फल और सब्जी भरपूर मात्रा में शामिल करें। लो कोलेस्ट्रॉल और लो सैचुरेटेड फैट डाइट लें। अल्कोहल का सेवन न करें। स्मोकिंग से परहेज करें। नियमित व्यायाम करें। क्या कहते हैं आंकड़े देश में हर साल ब्रेन स्ट्रोक के लगभग 15 लाख नए मामले दर्ज होते हैं।स्ट्रोक भारत में समय से पहले मृत्यु और विकलांगता का एक महत्वपूर्ण कारण है।
यह क्रोनिक एडल्ट डिसएबिलिटी का भी एक कारण है। स्ट्रोक के शुरुआती लक्षणों की पहचान होना बेहद जरूरी है। बीमारी को लेकर जागरुक हैं तो तत्काल इलाज से मरीज की जान बचाई जा सकती है। युवाओं को अपनी लाइफ स्टाइल को सहज और सरल बनाना होगा। डॉ। प्रकाश खेतान, न्यूरो सर्जन