2020 ओलंपिक खेलों में कुश्ती का खेल बरकरार रहेगा.


रविवार को ब्यूनस आयरस में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति यानि क्लिक करें आईओसी के सदस्यों ने गुप्त मतदान में बेसबॉल/सॉफ्टबॉल और स्क्वॉश से पहले कुश्ती को चुना.हालांकि पहले कुश्ती 2020 खेलों की सूची में थी लेकिन इस साल फ़रवरी में आईओसी द्वारा सभी 26 ओलंपिक खेलों की समीक्षा के बाद इसे 2020 ओलंपिक शेड्यूल से हटा दिया गया था.इस साल के शुरु में आईओसी के फैसले से 2016 रियो खेलों के बाद इसका ओलंपिक सफर ख़त्म हो रहा था.एलक्स कैपस्टिक, बीबीसी संवाददाताकुश्ती की जीत अनपेक्षित नहीं थी. सात महीने पहले ओलंपिक कार्यक्रम से इसे हटाने के चौंकाने वाले फैसले के बाद खेल में बदलाव किए गए. आईओसी सदस्यों में ज़्यादातर पारंपरिक विचारधारा रखते हैं और ये वर्ग शुरु से ही कुश्ती के पक्ष में था.


लेकिन चुनाव की प्रक्रिया की निंदा हुई है. शुरुआती विचार ओलंपिक में एक नए खेल को लाने का था जो नहीं हुआ. कुश्ती को कायम रखने का फैसला स्क्वॉश और बेसबॉल-सॉफ्टबॉल की संयुक्त दावेदारी के लिए निराशाजनक तो है लेकिन इन खेलों के प्रतिनिधियों को पता था कि उनकी राह आसान नहीं है.फरवरी में ओलंपिक सूची से हटाए जाने के बाद कुश्ती की अंतरराष्ट्रीय संस्था ने इसमें कई बदलाव किए.

अंतरराष्ट्रीय कुश्ती संघ, फिला, के अध्यक्ष नेनाद लालोविच के नेतृत्व में खेल के नियमों, प्रबंधन, संयोजन में बड़े सुधार किए गए.2020 ओलंपिक में नए खेल को शामिल करने के लिए हुए मतदान में कुश्ती को पहले ही दौर में बहुमत मिल गया. कुश्ती को आइओसी सदस्यों के 95 में से 49 वोट मिले जबकि बेसबॉल/सॉफ्टबॉल के हिस्से में 24 और स्क्वॉश के हिस्से में 22 वोट आए.मतदान के बाद नेनाद लालोविच ने कहा कि आईओसी को अपने फैसले पर अफ़सोस नहीं होगा. उन्होंने कहा, "इस वोट से आपने दिखा दिया है कि अपने खेल को सुधारने के लिए हमने जो कदम उठाए उनसे फर्क पड़ा है."कुश्ती का खेल प्राचीन ओलंपिक खेलों का हिस्सा था. एथेंस में 1896 में पहले आधुनिक ओलंपिक खेलों में भी ये खेल शामिल किया गया था.साल 1900 में पेरिस के अलावा, कुश्ती ओलंपिक खेलों के हर संस्करण का हिस्सा रहा. लंदन 2012 में कुश्ती में 11 मेडलों के लिए 344 खिलाड़ियों ने भाग लिया.'भारत के लिए बड़ी कामयाबी'हमें पूरी उम्मीद थी कि कुश्ती रहेगा क्योंकि ये इतना पुराना खेल है और इसे इतने सारे देश खेलते हैं. लेकिन फिर भी कहीं थोड़ा सा डर भी था कि अगर कुछ ग़लत हो गया तो क्या होगा."

-योगेश्वर दत्त, ओलंपिक पदक विजेता पहलवानभारत के लिए कुश्ती में सबसे पहले 1952 हेलसिंकी ओलंपिक में खशाब जाधव ने कांस्य पदक जीता था. इसके बाद सुशील कुमार ने 2008 बीजिंग ओलंपिक में कांस्य और 2012 में रजत जीता और 2012 में ही योगेश्वर दत्त ने कांस्य पदक जीता.समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में सुशील कुमार ने इस फैसले को कुश्ती के लिए बेहतरीन ख़बर बताया.सुशील ने कहा, "इस फैसले से युवा कुश्ती खेलने के लिए प्रेरित होंगे. इससे भारतीय पहलवानों का भविष्य भी सुरक्षित हुआ है जिनका मकसद ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना है. भविष्य में हमें ओलंपिक में ज़रूर कई पदक मिलेंगे."बीबीसी से एक ख़ास बातचीत में योगेश्वर दत्त ने अपनी ख़ुशी ज़ाहिर की और कहा कि भारतीय पहलवान 2020 में पदक जीतने की पूरी तैयारी करेंगे.आईओसी के फ़ैसले पर योगेश्वर दत्त ने कहा, "हमें पूरी उम्मीद थी कि कुश्ती रहेगा क्योंकि कुश्ती इतना पुराना खेल है और इसे इतने सारे देश खेलते हैं इसलिए कुश्ती के निकलने का सवाल ही नहीं था. लेकिन फिर भी कहीं थोड़ा सा डर भी था कि अगर कुछ ग़लत हो गया तो क्या होगा."
वह ये भी मानते हैं कि खेल में हाल में किए गए सुधारों और 2020 खेलों की मेज़बानी टोकियो को मिलने का भी फायदा कुश्ती को मिला क्योंकि जापान को कुश्ती में काफ़ी पदक मिलते हैं.वहीं सुशील कुमार के गुरु और एशियन गेम्स के पदक विजेता गुरु सतपाल ने आईओसी के फैसले को कुश्ती के बड़ी जीत बताया है.वे कहते हैं कि जैसे ही टोकियो को ओलंपिक मेज़बानी मिलने की बात पता चली तभी हौसला बढ़ गया था कि कुश्ती को शामिल किया गया है.उन्होंने कहा, "भारत के लिए ये बहुत बड़ी कामयाबी है क्योंकि कुश्ती ही अकेला खेल है जिसमें भारत को चार व्यक्तिगत पदक मिले हैं इसलिए कुश्ती का ओलंपिक में रहना बहुत ज़रूरी था. हालांकि नियमों में बदलाव से भारत को नुकसान होगा लेकिन फिर भी हमारे पहलवान पदक जीतने के लिए पूरी तैयारी करेंगे."भारत के पूर्व खेल मंत्री और कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने ट्विटर पर लिखा है, "कुश्ती को ओलंपिक खेलों का हिस्सा होना ही था. भारत में कुश्ती के प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं. इससे हमें फायदा होगा."

Posted By: Satyendra Kumar Singh