दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान लापता हुआ ब्रिटिश वायुसेना का एक विमान पूरे सत्तर साल बाद मिस्र के रेगिस्तान में लगभग साबुत हालत में पाया गया है.

ये विमान पायलट फ़्लाइट सार्जेंट डेनिस कॉपिंग सहित 1942 में गायब हो गया था। लेकिन पायलट का अब भी पता नहीं चला है और न ही उनके अवशेष मिले हैं। ब्रिटिश सरकार ने अब कहा है कि पायलट के अवशेष खोजने के लिए एक अभियान शुरू किया जाएगा। आशंका व्यक्त की जा रही है कि पुरानी चीजों को इकट्ठा करने के शौकीन लोग इस विमान के मलबे को भी ले उड़ेंगे।

जून 1942 में 24 वर्ष का पायलट अमरीका में बने एक इंजन वाले किटीहॉक विमान पी-40 के साथ मिस्र के रेगिस्तानी इलाक़े के ऊपर उड़ते हुए लापता हो गया था।

'भारी गलती'

लेकिन ढाई महीने पहले वादी अल-जदीद नामक सुदूर रेगिस्तानी इलाके में एक तेल कंपनी के लिए काम करने वाले पोलैंड के कामगार जेकब पेरका को इस विमान का मलबा दिखाई पड़ा। पेरका की खींची तस्वीर में विमान लगभग साबुत है, हालाँकि उसका इंजन और पंखा अलग हो गए हैं। लेकिन पायलट का कोई नामो निशान नहीं है।

ऐसा लगता है कि विमान में ईंधन खत्म होने के बाद पायलट ने इमरजेंसी लैंडिंग की और फिर सबसे बड़ी गलती कर बैठा। पायलटों को सिखाया जाता है कि ऐसी स्थिति में जहाज़ से दूर हरगिज नहीं जाना चाहिए। पर इस मामले में ऐसा लगता है कि उसने जहाज़ का पैराशूट और रेडियो निकाल लिया और मदद तलाशने के लिए रेगिस्तान में चला गया।

खतरनाक रेगिस्तानरॉयल एअर फ़ोर्स में उड्डयन इतिहासकार डेविड कीन कहते हैं कि दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान कई हज़ार हवाई जहाज़ या तो मार गिराए गए थे या फिर दुर्घटना के शिकार हुए। लेकिन उनमें से बहुत कम ही साबुत हालत में बरामद किए गए हैं।

उन्होंने कहा, “ये विमान इसलिए इतना विशेष है क्योंकि ये लगभग साबुत बचा हुआ है और रेगिस्तान की सतह पर भी इतने साल तक जस का तस बना हुआ है। जैसे कि समय के बुलबुले में कैद रहा हो.” पर इस विमान को वहाँ से निकालना आसान नहीं होगा।

मिस्र के जिस रेगिस्तानी इलाके में ये पड़ा है वो बहुत खतरनाक इलाका माना जाता है क्योंकि वो लीबिया और मिस्र के बीच तस्करों के रास्ते में पड़ता है। ब्रिटिश अधिकारियों ने कहा है कि इस विमान के पायलट के रिश्तेदारों को तलाशने की कोशिश भी की जाएगी।

Posted By: Inextlive