सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश कर चुके यासीन पठान की पहचान पश्‍चिम बंगाल के घर-घर में है। यासीन पिछले 34 सालों से 28 मंदिरों के केयर टेकर बने हुए हैं। यासीन ने हिंदू मंदिरों के संरक्षण के लिए एक आंदोलन चलाया है।


यासीन के लिए यह काम इतना आसान नहीं था। यासीन ने साल 1973 में मिदिनापुर के पाथरा गांव में स्थित 300 साल पुराने मंदिरों को संरक्षण करना शुरु किया है। यासीन ने बताया कि लोग इन मंदिरों में आते थे औऱ यहां से ईंट-पत्थर ले जाते थे। तभी उन्होंने इन मंदिरों के संरक्षण की सोची और निगरानी करने लगे। इस दौरान यासीन को विरोध का सामना भी करना पड़ा। लोग उन्हें दूसरे धर्म का बताकर उनका विरोध करते थे। फिर भी यासीन ने हार नहीं मानी।

1992 में उन्होंने लोगों को इस संबंध में जागरूक करने के लिए 'पाथरा आर्कियोलॉजी कमिटी' का गठन किया। हिंदू, मुस्लिम और आस-पास के आदिवासियों को भी उन्होंने इस समिति का हिस्सा बनाया। 2003 में पुरातत्व विभाग ने इन मंदिरों के रख-रखाव का जिम्मा संभाला।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari