पीला कार्ड का काम, फंसा रहा झाम
- नगर निगम में भवनों के दाखिल खारिज प्रक्रिया में लग रहा है निर्धारित से ज्यादा समय
- टैक्स विभाग में सैकड़ों आवेदन लम्बित, भवन स्वामी काट रहे कार्यालय का चक्कर 1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ ष्टड्डह्यद्ग-1 तेलियाबाग निवासी दुर्गा प्रसाद मिश्र ने वरासत दर्ज करने के लिए आवेदन किया, लेकिन नगर निगम के टैक्स इंस्पेक्टर ने गलत रिपोर्ट लगा दी। इस पर उन्होंने नगर आयुक्त से शिकायत की, लेकिन समाधान नहीं हुआ। ष्टड्डह्यद्ग-2 पांडेयपुर निवासी श्रीधर तिवारी ने मकान खरीदा। इसका दाखिल खारिज कराने के लिए महीनों से वे नगर निगम का चक्कर लगा रहे हैं। टैक्स विभाग के कर्मचारी टालमटोल कर रहे हैं। ष्टड्डह्यद्ग-3 सिकरौल निवासी भूपेश पटेल अपने मकान की वरासत दर्ज कराने के लिए दो महीने से दौड़ रहे हैं। उत्तराधिकार प्रमाणपत्र देने के बावजूद उन्हें निगम के अफसर टरका रहे हैं।ये केसेज तो महज बानगी भर हैं। फैक्ट यह है कि नगर निगम के टैक्स विभाग के अफसर व कर्मचारी पीला कार्ड (इंफॉर्मेशन ऑफ हाउस) बनाने में तमाम झाम फंसा रहे हैं। इससे मकानों का दाखिल खारिज कराना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। स्थिति यह है कि निर्धारित समय में महज 30 से 40 फीसदी मामले ही निस्तारित हो पा रहे हैं। शेष आवेदकों को कागजों में तमाम तरह की कमी बताकर दौड़ाया जा रहा है। यही हाल वरासत से जुड़े मामलों का भी है।
बढ़ रही शिकायतें, समाधान नहीं दाखिल खारिज प्रक्रिया का समय से निस्तारण नहीं होने से निगम में शिकायतें बढ़ती जा रही हैं। पब्लिक के साथ ही दर्जनों पार्षदों ने कार्यकारिणी की बैठक में व नगर आयुक्त डॉ। नितिन बंसल से मिलकर शिकायतें दर्ज कराई। पार्षदों ने टैक्स विभाग के अफसरों और कर्मचारियों पर लापरवाही और धांधली बरतने का आरोप लगाया। यह हाल तब है जबकि ऐसे ही कुछ मामलों में लापरवाही बरतने पर नगर आयुक्त ने पिछले दिनों एक टैक्स इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर दिया था। ऐसे करें आवेदन - नया मकान बनवाने पर रजिस्ट्री के फोटो स्टेट कागज के साथ एफिडेविट लगाकर आवेदन करें। - मकान खरीदने पर भी यही प्रक्रिया अपनानी होगी। - वरासत से जुड़े मामलों में डीएम, उनकी ओर से नामित अधिकारी या दीवानी कोर्ट से जारी किए गए उत्तराधिकार प्रमाणपत्र के साथ आवेदन करना होगा। - दाखिल खारिज प्रक्रिया पूरी तरह से मैनुअल है। इसके लिए कागजी कार्रवाई पूरी करनी होती है। क्या हैं नियम?- जनहित गारंटी योजना के तहत आवेदन करने के 45 दिन के भीतर प्रक्रिया पूरी कर पीला कार्ड जारी करना होता है।
- कागजों में कोई खामी होने पर दाखिल खारिज प्रक्रिया को रोकने का अधिकार नगर निगम के पास है। - निर्धारित समय में प्रक्रिया पूरी न करने पर सम्बंधित कर निरीक्षक पर कार्रवाई भी हो सकती है। कार्ड पर होती है ये जानकारी - भवन स्वामी का नाम - मकान नम्बर - निर्धारित टैक्स - नामांकन की डेट - नामांकन की पत्रावली संख्या इस तरह बढ़ी संख्या - 25 से 30 आवेदन नगर निगम में आते हैं डेली - 30 से 40 फीसदी आवेदन डेली होते हैं निस्तारित - 615 टोटल आवेदन आए जुलाई महीने में - 380 मामले समय सीमा पूरा होने के बाद भी हैं लम्बित - 10 मामले फिलहाल कोर्ट में हैं विचाराधीन - 05 बिन्दुओं पर जानकारी होती है पीले कार्ड में दाखिल खारिज प्रक्रिया का निस्तारण करने के लिए हर दो महीने में एक बार प्रधान कार्यालय में कैम्प लगाया जाएगा। जिसमें अफसर ज्यादा से ज्यादा मामलों का निस्तारण करेंगे। इसके लिए नगर निगम की कार्यकारिणी से अनुमोदन भी हो चुका है। डॉ। नितिन बंसल, नगर आयुक्त