यूपी सरकार ने आबकारी नीति में किए बडे़ बदलाव, आधीरात को नहीं मिलेगी शराब
ज्यादा उठान पर रिनीवल में सहूलियत
राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि कैबिनेट ने वर्ष 2018-19 के लिए आबकारी नीति का निर्धारण कर दिया है। इससे सूबे में शराब के कारोबार में चली आ रही कुछ ग्रुप की मोनोपोली और क्रोनी कैपिटलिज्म खत्म हो जाएगी। अब शराब का कारोबार पूरी पारदर्शिता के साथ होगा। विशेष लोगों को फायदा पहुंचाने को बसपा सरकार में बरेली, मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद जोन को मिलाकर बनाए गये स्पेशल जोन को खत्म कर दिया गया है। अब लाइसेंस पाने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। ई-लॉटरी के माध्यम से लाइसेंस वितरित किए जाएंगे। एक जिले में किसी को भी दो से ज्यादा लाइसेंस नहीं मिलेंगे। इसमें प्रॉक्सी रोकने को आधार और पैन कार्ड को अनिवार्य बनाया गया है। शराब की अवैध बिक्री, तस्करी को रोकने के लिए होलोग्राम व्यवस्था को खत्म करते हुए ट्रैक एंड ट्रैश सिस्टम लागू किया जाएगा। राजस्व बढ़ाने को इंसेंटिव प्रोग्राम चलाया जाएगा। इसके तहत 2018-19 में जिनके पास दुकानों का लाइसेंस होगा, उन्हें देसी शराब का छह फीसद, अंग्रेजी शराब का 40 फीसद और बीयर का 30 फीसद ज्यादा उठान करने पर अगले साल रिनीवल की प्रक्रिया में छूट दी जाएगी।
प्रमुख सचिव आबकारी कल्पना अवस्थी ने बताया कि जल्द ही आबकारी विभाग को मद्य निषेध की जिम्मेदारी भी मिल सकती है। वर्तमान में समाज कल्याण विभाग के पास यह जिम्मा है। इसमें आमूलचूल परिवर्तन लाने को इसे आबकारी में समायोजित किया जा सकता है।29 फीसद बढ़ेगा राजस्वनई आबकारी नीति से राज्य सरकार को करीब 29 फीसद राजस्व बढऩे की उम्मीद है। दरअसल वर्तमान वित्तीय वर्ष में सरकार को शराब की बिक्री से 15,730 करोड़ का राजस्व मिला था। नई नीति के बाद यह 4673 करोड़ रुपये बढ़ जाएगा।