- अनोखी मुहिम के जरिए नई पौध को सींचने में लगे यंग इंजीनियर्स

- स्कूल-स्कूल जाकर प्रैक्टिकल नॉलेज देने की कर रहे हैं कोशिश

GORAKHPUR: पढ़ाई है लेकिन नॉलेज नहीं, थ्योरी है मगर प्रैक्टिकल नहीं, बातें हैं लेकिन हकीकत में कुछ भी नहीं। यह हाल है एजुकेशन सिस्टम का, जिसकी वजह से जॉब होने के बाद भी लोगों के पास नौकरी नहीं है। यह सिर्फ किताबी बातें नहीं हैं, बल्कि आज के जमाने की हकीकत है, जिसे रियलाइज करने के बाद शहर के दो होनहारों ने एक अनोखी मुहिम शुरू कर इस सिस्टम में चेंज लाने का बीड़ा उठाया है। इसके तहत वह स्कूल-स्कूल कॉन्टैक्ट कर बच्चों को वह सभी इंफॉर्मेशन प्रैक्टिकली दे रहे हैं, जिसे सिर्फ किताबों में पढ़कर लोग भूल जाते हैं और प्रोफेशनल लाइफ में पहुंचने के बाद उन्हें स्ट्रगल करना पड़ता है।

बच्चों से हार के बाद हुआ अहसास

गोरखपुर के रहने वाले बासू अग्रहरी और निशिता अग्रहरी, यूं तो यंग इंजीनियर हैं, लेकिन इस फील्ड में उन्होंने जो फेस किया, वह नहीं चाहते कि किसी दूसरे को फेस करना पड़ा। बासू की मानें तो रोबोटिक्स के एक इवेंट में पार्टिसिपेट करने के लिए वह कॉलेज की तरफ से दिल्ली गए हुए थे, इस इवेंट में स्कूल लेवल के स्टूडेंट्स ने भी शिरकत की थी। को-इंसीडेंटली उनका मुकाबला भी 6-7वीं के स्टूडेंट्स से ही हो गया। इसमें उन्हें मात खानी पड़ी। जिसके बाद उन्होंने एजुकेशन सिस्टम की हकीकत जानी और उसे बदलने के लिए अकेले ही निकल पड़े।

काफी पीछे है पूर्वाचल

बासू का कहना है कि उस इवेंट के बाद मैंने रियलाइज किया कि पूर्वाचल में पढ़ाई का जो लेवल है, वह दिल्ली और मेट्रो सिटीज से कितना पिछड़ा हुआ है। इसकी सबसे अहम वजह यह है कि यहां सिर्फ किताबी नॉलेज दी जाती है, जबकि वहां बच्चों को सभी चीजों का प्रैक्टिकल कराया जाता है। एबीईएस गाजियाबाद से बीटेक करने वाले बासू और आईटीएम से पहले डिप्लोमा और फिर बीटेक की डिग्री हासिल करने वाली निशिता ने स्ट्रैटजी तैयार की और उसी के हिसाब से बच्चों की नींव मजबूत करने में लग गई हैं।

सेकेंड से बच्चों का सेलेक्शन

यंग इंजीनियर्स ने 4 से 12वीं तक के बच्चों के लिए यह स्कीम शुरू की है। इसके तहत वह प्राइमरी लेवल पर स्कूल-स्कूल कॉन्टैक्ट कर रहे हैं और एक टाइम शेड्यूल्ड कर बच्चों को प्रैक्टिकल नॉलेज देने में लगे हुए हैं। इनका खुद का डिजाइन किया क्लास वाइज सिलेबस है। मौजूदा वक्त में 25 से ज्यादा स्कूल्स से इनका टाईअप हो चुका है और यह दूसरे स्कूल्स में दायरा बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं। अब तक 1500 से ज्यादा बच्चों को यह ट्रेन भी कर चुके हैं।

नए इंजीनियर्स को भी इनविटेशन

बासू का कहना है कि यंग इंजीनियर्स देश में बदलाव ला सकते हैं, इसके लिए सबसे पहले नींव मजबूत करनी होगी। इसके बाद जो पौध निकलेगी, वह अच्छा फल देगी। इसलिए उनका पूरा फोकस बच्चों पर ही है। इसके लिए वह अपने साथियों को जोड़कर टीम को एक्सपेंड कर रहे हैं। इसमें अगर बाहरी कोई समाज की सेवा करने के लिए जुड़ना चाहता है, तो उसका भी स्वागत है। इसके लिए वह एफबी पर भी मुहिम चलाने की तैयारी कर रहे हैं, जिससे सिर्फ शहर ही नहीं, बल्कि दूसरे शहरों के लोगों को भी जोड़ा जा सके।

Posted By: Inextlive