युवाओं पर भारी नई गाड़ी की सवारी
युवाओं पर भारी नई गाड़ी की सवारी
- सबसे अधिक एक्सीडेंट मार्च, अप्रैल और मई में sanjeev.pandey@inext.co.in LUCKNOW (25 April) : नई गाडि़यों की सवारी युवाओं के लिए काल बन रही है। देश में सबसे अधिक एक्सीडेंट इन्हीं गाडि़यों से हो रहे हैं, जिसमें देश के भविष्य युवा अपनी जान गंवा रहे हैं। यह खुलासा सड़क परिवहन एवं राज्य मार्ग मंत्रालय भारत सरकार की रिसर्च विंग की रिपोर्ट में हुआ। इतना ही नहीं देश में सबसे अधिक एक्सीडेंट मार्च, अप्रैल और मई में हो रहे हैं। युवा होते हैं देश की पूंजीकिसी भी देश की सबसे बड़ी पूंजी युवाओं को माना जाता है। सभी देश इन्हें उत्पादकता की श्रेणी में शामिल करते हैं। वहीं हमारे देश में युवा आबादी पर रोड एक्सीडेंट का ग्रहण लग गया है। परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार रोड एक्सीडेंट में सबसे अधिक युवा ही शिकार हो रहे हैं। 18 से 35 साल के आयु वर्ग में 46 प्रतिशत युवा रोड एक्सीडेंट में जान गंवा चुके हैं। आयु वर्ग मात्र दस साल बढ़ा दिया जाता है यानि 18 से 45 साल कर दिया जाता है तो इस आयु वर्ग में कुल एक्सीडेंट में 69 प्रतिशत लोग असमय काल के मुंह में समां गए। ऐसे में केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने देश में सभी को रोड एक्सीडेंट में कमी लाने के साथ ही घायलों को बचाने के लिए विशेष निर्देश जारी किए हैं।
दो पहिया वाहन से सबसे अधिक एक्सीडेंट रिपोर्ट मे युवाओं की मौत के बाद एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है, जिसके अनुसार देश भर में सबसे अधिक एक्सीडेंट नई गाडि़यों से हो रहे हैं। पांच साल से कम उम्र वाली गाडि़यां सबसे अधिक एक्सीडेंट का शिकार हो रही हैं। एक्सीडेंट का शिकार होने वाली गाडि़यों में सबसे अधिक दो पहिया वाहन शामिल हैं। दो पहिया वाहन चालक ही सबसे अधिक दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं। कोट देश की लाइसेंसिंग प्रक्रिया में बदलाव करने की जरूरत है। विदेशों की तरह ही यहां ऐसी तकनीक अपनाई जाए, जिससे सिर्फ उन लोगों को ही लाइसेंस मिल सके जो सही से गाड़ी चलाना जानते हों। इसके लिए नियमों को और सख्त करना होगा। पी गुरु प्रसाद ट्रांसपोर्ट कमिश्नर परिवहन विभाग, उत्तर प्रदेश कोटलगातार मार्च, अप्रैल और मई में एक्सीडेंट और इनमें मरने वालों की संख्या बढ़ रही है। इसी के चलते इस बार सड़क सुरक्षा का कार्यक्रम अप्रैल में आयोजित किया गया। जबकि इससे पहले यह कार्यक्रम जनवरी में होता रहा है। दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सभी स्टेट अपने लेवल से प्रयास कर रहे हैं। इसको लेकर रोड सेफ्टी से जुड़े कई विभाग जल्द ही एक साथ बैठक करेंगे। इसमें पीडब्लूडी, नेशनल हाइवे अथॉरिटी, ट्रैफिक पुलिस, पुलिस, स्वास्थ्य और नगर निगम के अधिकारी शामिल होंगे। सड़क सुरक्षा के बाद इस पर तेजी से काम किया जाएगा।
गंगाफल अपर परिवहन आयुक्त परिवहन विभाग उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन एवं राज्य मार्ग मंत्रालय भारत सरकार की रिसर्च विंग (गवर्नमेंट आफ इंडिया, मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवेज (एमओआरटीएच, मोर्थ), ट्रांसपोर्ट रिसर्स विंग, नई दिल्ली) 2016 की रिपोर्ट के अुनसार - करीब 1,50,000 लोग एक्सीडेंट में गंवा रहे जान आयु वर्ग - 18 से 35 वर्ष के बीच रोड एक्सीडेंट में 69571 ने गंवाई जान - 18 से 40 वर्ष के बीच रोड एक्सीडेंट में 103,409 ने गंवाई जान -84.5 प्रतिशत पुरुष का रेशियो - 15.5 प्रतिशत महिलाएं का रेशियो नई गाडि़यों से एक्सीडेंट का रेशियो - 5 साल से कम उम्र की गाडि़यों से 40 प्रतिशत - 5 साल से अधिक और 10 साल से कम उम्र वाली गाडि़यों से 33 प्रतिशत एक्सीडेंट- 10 साल से अधिक और 15 साल से कम उम्र वाली गाडि़यों से होने वाले एक्सीडेंट-15 प्रतिशत
- 15 साल से अधिक उम्र वाली गाडि़यों से 9 प्रतिशत एक्सीडेंट इस महीने में सबसे अधिक घटनाएं - 42843 मार्च - 42010 अप्रैल - 43368 मई बाक्स इसलिए अप्रैल में मनाया जा रहा है सड़क सुरक्षा सप्ताह हर साल सड़क सुरक्षा सप्ताह जनवरी में मनाया जाता रहा है। 28 सड़क सुरक्षा सप्ताह जनवरी में मनाए गए हैं, लेकिन 29वां सड़क सुरक्षा सप्ताह इस बार अप्रैल में मनाया जा रहा है। इसका कारण मार्च, अप्रैल और मई में सबसे अधिक एक्सीडेंट होना है। ऐसे में इन महीनों में एक्सीडेंट रोकने के लिए विशेष कार्य करने होंगे और सजगता रखनी होगी। परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार मोर्थ 2017 की रिपोर्ट अभी तैयार नहीं है। इसे फाइनल करने की प्रक्रिया चल रही है।