आंध्र प्रदेश में एक लोकसभा सीट और 18 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस जीत का परचम लहराने की ओर बढ़ती दिख रही है.


अब तक आए परिणामों और रुझानों से दिखता है कि 18 में से 15 सीटों पर और साथ ही नेल्लोर लोकसभा सीट पर वाईएसआई कांग्रेस का कब्जा होने जा रहा है.

इनमें से 16 सीटें कांग्रेस के पास थीं लेकिन जगन मोहन की पार्टी में चले जाने के कारण विधायकों की सदस्या समाप्त हो गईं थीं. एक सीट प्रजाराज्यम पार्टी के नेता चिरंजीवी के राज्यसभा में चले जाने के कारण रिक्त हुई जबकि एक अन्य सीट पर प्रजाराज्यम की विधायक ने इस्तीफ़ा देकर वाईएसआर कांग्रेस का दामन थाम लिया था.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इसके बाद राज्य में राजनीति बदलेगी और बहुत संभव है कि राज्य की कांग्रेस सरकार के लिए आने वाले दिन भारी गुज़रें.

जगन मोहन रेड्डी कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के बेटे हैं. राजशेखर रेड्डी की मौत के बाद मुख्यमंत्री न बनाए जाने से नाराज़ जगन मोहन ने बगावत करके अपनी पार्टी बना ली थी.

इसके बाद से उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला चल रहा है और सीबीआई ने उन्हें गिरफ़्तार कर रखा है. फिलहाल वे न्यायिक हिरासत में जेल में हैं.

सहानुभूतिकहा जा रहा है कि ऐन चुनाव से पहले जगन मोहन रेड्डी की गिरफ़्तारी कांग्रेस को भारी पड़ी है और जिस भारी जीत की ओर वाईएसआर कांग्रेस बढ़ रही है वह सहानुभूति का परिणाम है.

हालांकि वाईएसआर कांग्रेस के प्रति लोगों की सहानुभूति जगन मोहन की गिरफ़्तारी से पहले भी थी.

कहा जा रहा है कि सबसे खराब स्थिति में भी वाईएसआर कांग्रेस 18 में से 14 पर जीत दर्ज करेगी और कुछ सीटों पर ये जीत रिकॉर्ड मतों से होगी.

नेल्लोर लोकसभा सीट पर भी वाईएसआर कांग्रेस के मेकापति राजमोहन रेड्डी जीत की ओर बढ़ रहे हैं.

ये सीट मेकापति राजमोहन रेड्डी के इस्तीफ़े से खाली हुई थी जब वे कांग्रेस छोड़कर वाईएसआर कांग्रेस में चले गए थे.

अभी परिणाम आने शेष हैं कि लेकिन वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के कार्यालय 45, जुबली हिल्स के बाहर जश्न शुरु हो चुका है.

पटाखे फोड़े जा रहे हैं और नारे लगाए जा रहे हैं.

माना जा रहा है कि जगन मोहन रेड्डी की माँ और वाईएसआर कांग्रेस की अध्यक्ष वाईएस विजयम्मा दोपहर बाद किसी समय प्रेसवार्ता करेंगीं.

कांग्रेस-टीडीपी की परेशानी
मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी के लिए बहुमत बनाए रखना एक चुनौती बन सकती है
वर्ष 2009 में आंध्र प्रदेश में कांग्रेस को मिली 33 लोक सभा सीटों के कारण ही उसे केंद्र में गठबंधन सरकार बनाने में मदद मिली थी.

अगर आंध्र प्रदेश में कांग्रेस की पकड़ ढीली पड़ती है तो अगले चुनाव में कांग्रेस का जीतना और भी ज्यादा मुश्किल हो जाएगा.

294 सीटों की विधान सभा में कांग्रेस के पास अब केवल 151 सदस्य रह गए हैं और उसे मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के सात सदस्यों का समर्थन हासिल है.

लेकिन अगर वाईएसआर कांग्रेस अधिकतर सीटें जीत लेती है तो कांग्रेस के और भी कई सदस्य पार्टी छोड़ कर वाईएसआर कांग्रेस में जा सकते हैं.

राजनीतिक पंडित कह रहे हैं कि अगर ऐसा हुआ तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की नौबत भी आ सकती है.

दूसरी ओर मुख्य विपक्षी दल तेलुगूदेसम पार्टी भी वाईएसआर कांग्रेस की इस जीत से परेशानी में पड़ेगी क्योंकि इससे अगले विधानसभा चुनाव में जीत का उसका सपना टूट सकता है और यहाँ तक कि मुख्य विपक्षी दल की कुर्सी भी ख़तरे में पड़ सकती है.

Posted By: Kushal Mishra