-रेडीमेड गारमेंट्स और जरी जरदोजी को बढ़ावा देने के लिए मीरगंज में बनेगा सीएफसी

-शासन की मिली मंजूरी, करीब पांच करोड़ की मशीनें लगाने को निकाला टेंडर

बरेली। वर्ष 1966 में आई सुपरहिट फिल्म मेरा साया फिल्म के गीत 'झुमका गिरा रे बरेली की बाजार में' से फेमस होने वाली बरेली अब रेडीमेड गारमेंट और जरी से विश्वस्तर पर अपनी अलग पहचान बनाएगी। इसके लिए शासन ने पहल की है। मीरगंज में सीएफसी (कॉमन फैसिलिटी सेंटर) बनाने की योजना को शासन ने मंजूरी दे दी है। यहां करीब 5 करोड़ की लागत से मशीनें लगाई जाएंगी। सेंटर बनने के बाद फ‌र्स्ट राउंड में यहां से रेडीमेड गारमेंट्स को एक्सपोर्ट करने की तैयारी है। वहीं जरी जरदोजी को बढ़ावा देने के लिए एसोसिएशन के जरिए जरी कारोबारियों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

कारोबारियों को मिलेगा अनुदान

बरेली के रेडीमेड गारमेंट कारोबारियों ने एक एसोसिएशन बनाया है। इसमें 50 कारोबारी शामिल हैं। सीएफसी बनने के बाद इन कारोबारियों को प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से अनुदान भी दिया जाएगा।

अब सीधे कर सकेंगे एक्सपोर्ट

बरेली से रेडीमेड गारमेंट आज भी एक्सपोर्ट किए जाते हैं, लेकिन इसके लिए मिडिएटर का सहारा लेना पड़ता है। उद्योग विभाग के अधिकारियों के मुताबिक यहां के कारोबारियों के सामानों के ब्रांड बदलकर एक्सपोर्ट होता है, सीएफसी स्थापित होने से यहां के गारमेंट का अपना ब्राण्ड होगा और वे सीधे एक्सपोर्ट कर सकेंगे।

जरी कारोबारियों के प्रपोजल का इंतजार

यूरोपियन कंट्रीज में जरी के साडि़यों, लहंगा आदि की ज्यादा डिमांड है। इसके चलते ओडीओपी योजना के तहत बरेली से जरी को चुना है। बताते चलें कि पहले एक माह में 20 ट्रक माल एक्सपोर्ट होता था, लेकिन अब ऑर्डर पर ही काम किया जाता है। ऐसे में सरकार इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। खुद विभागीय मंत्री नितिन गडकरी इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए प्रपोजल मांग चुके हैं, लेकिन जरी कारोबारियों के कलस्टर न बनने के कारण इस प्रपोजल सरकार तक नहीं भेजा जा सका है।

कारोबारियों को हो रही दिक्कत

जरी के कारोबार से जुड़े लोग तकनीकि रूप से योग्य है, लेकिन एजुकेशन की नॉलेज न होने के कारण वे अपने कारोबार को बढ़ावा देने में पीछे रह जा रहे हैं। हालांकि इनकी मदद करने को विभाग अब कई योजनाएं चला रहा है। उद्यम समागम के माध्यम से इस कारोबार से जुड़े लोगों को जानकारी दी जा रही है।

2014 के बाद छाई मंदी

वर्ष 2013-14 तक जरी कारोबारी माल एक्सपोर्ट करते थे। इसके लिए ड्रा बैक (सब्सिडी) 13-14 परसेंट तक मिलती थी। लेकिन 2014 के बाद सरकार ने इसे बंद कर दिया। हालांकि 2016 में फिर से सब्सिडी देना शुरू किया, लेकिन इस बार 6 परसेंट ही ड्रा बैक शुरू किया। इसके चलते 25 परसेंट से ज्यादा कारखाने बंद हो गए। जानकार बताते हैं कि बरेली में 20 करोड़ से भी कम का कारोबार बचा है।

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बरेली में रेडीमेड गारमेंट को देने के लिए मीरगंज में सीएफसी खोली जा रही है। इसके लिए ऑनलाइन टेंडर भी निकाला गया है। जल्द ही काम शुरू होगा। इससे कारोबारी अपने प्रोडक्ट को सीधे एक्सपोर्ट कर सकते हैं। साथ ही सरकार जरी उद्योग को भी बढ़ावा देने की पहल कर रही है।

अशोक कुमार गौतम, सहायक निदेशक सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम विकास संस्थान आगरा

Posted By: Inextlive