- झांसा देकर बैग उड़ाने वाला गिरोह सक्रिय

केस-1

रेलवे स्टेशन के पास गुरुवार शाम टेंपो के इंतजार में खड़े मीरापुर के आनंद प्रकाश के पास एक बच्चा आया और उनसे जानसेनगंज का रास्ता पूछने लगा। उनका ध्यान बच्चे पर था, इसी बीच किसी ने बैग उड़ा दिया। जब वह पलटे तो बच्चा भी गायब था। बैग में कपड़े, लैपटॉप के साथ ही कुछ जरूरी पेपर्स थे। आनंद दिल्ली में जॉब करते हैं उन्होंने पुलिस को तहरीर दी है।

केस-2

कीडगंज के रहने वाले अवधेश तिवारी दो जुलाई की दोपहर को रामबाग रेलवे क्रॉसिंग के पास जाम में फंसे थे। उसी दौरान एक बच्चा आया और उनकी कार की विंडो पर नॉक किया। जब उन्होंने शीशा खोला तो बच्चा रुपए मांगने लगा। उन्होंने बच्चे को डांटकर शीशा चढ़ा दिया। इसी बीच उनका ध्यान फ्रंट सीट पर गया। उनका बैग गायब था। बैग में टैबलेट व बैंक के पेपर्स थे। कोतवाली में उन्होंने एफआईआर दर्ज करा दी।

केस-3

राजस्थान के बृजभूषण अपने बेटे से मिलने इलाहाबाद आए थे। वह बेटे की कार से 14 जुलाई की शाम अलोपी देवी मंदिर गए थे। दर्शन कर वह ड्राइविंग सीट पर आकर बैठे ही थे कि एक बच्चा आया और कहा कि उनके रुपए बाहर गिर गए हैं। वह बाहर निकले तो देखा कि 10 रुपए का नोट पड़ा है। वह नोट उठाकर कार में पहुंचे तो स्टेयरिंग के पास रखा मोबाइल फोन गायब था। उन्होंने इधर-उधर देखा तो बच्चा भी गायब था। उन्होंने दारागंज थाने में शिकायत दर्ज कराई।

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ALLAHABAD: राह चलते कोई बच्चा आपसे पता पूछे या यह कहे कि आपके रुपए गिर गए हैं तो सावधान हो जाएं। शहर में खोटे बच्चों का गैंग घूम रहा है जो ध्यान बंटाकर बैग, मोबाइल फोन या पर्स उड़ाने में माहिर हैं। सिर्फ जुलाई की बात की जाए तो सिटी में टप्पेबाजी की पांच घटनाएं हुई और इनमें से तीन में बच्चों का हाथ था।

लास्ट इयर पकड़ा गया था बड़ा गिरोह

सिविल लाइंस पुलिस व क्राइम ब्रांच ने लास्ट इयर विंटर में टप्पेबाजों का एक बड़ा गिरोह पकड़ा था। मूलरूप के झारखंड के रहने वाले सात युवकों के साथ चार बच्चे हाईकोर्ट पानी टंकी के पास पकड़े गए थे। टप्पेबाजों के टार्गेट में भीड़भाड़ वाले इलाके और शादी समारोह होते थे। चोरों के पास से चार मोबाइल फोन भी बरामद हुए थे। सिविल लाइंस के बाद टप्पेबाजों का कोई गिरोह नहीं पकड़ा गया। झारखंड का गिरोह नैनी, अल्लापुर और बघाड़ा में किराए का कमरा लेकर रहता था। बड़ा हाथ मारने के बाद एक गिरोह चला जाता था और दूसरा उसकी जगह आ जाता था। इस गिरोह ने कानपुर, लखनऊ, वाराणसी और गोरखपुर में भी टप्पेबाजी की बात कुबूली थी।

बच्चों को दी जाती थी ट्रेनिंग

सिविल लाइंस में पकड़े गए गिरोह से पुलिस को पता चला था कि बच्चों को ध्यान बंटाने की ट्रेनिंग दी जाती थी। टार्गेट डिसाइड करने के बाद बच्चे के साथ स्पॉट पर तीन से चार लोग पहुंचते थे। बच्चा ध्यान बंटाता और बड़े बैग उड़ाकर दूसरों को थमा देते थे। देखते ही देखते बैग तीसरे से चौथे व्यक्ति के पास पहुंचा जाता था।

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डॉक्टर और प्राक्टर की पत्‍‌नी हो चुकी हैं शिकार

टप्पेबाजी का शिकार बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। अवनींद्र अग्रवाल की वाइफ स्तुति और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के प्राक्टर प्रो। आरके उपाध्याय की वाइफ भी हो चुकी हैं। बीते शनिवार को स्तुति अपने पति डॉ। अवनींद्र के साथ सिविल लाइंस आई थीं। सुभाष चौराहे के पास कार खड़ी कर डॉक्टर किसी काम से चले गए। इसी बीच किसी ने शीशा नॉक किया। स्तुति का ध्यान बाहर खड़े युवक पर गया तो इसी बीच किसी ने पिछला दरवाजा खोलकर बैग उड़ा दिया। बैग में एक लाख रुपए थे। क्ब् जुलाई की दोपहर जीएन झा हॉस्टल के पास प्राक्टर प्रो। आरके उपाध्याय की वाइफ को भी झांसा देकर टप्पेबाजों ने बैग उड़ा दिया था। बैग में दो हजार रुपए और जरूरी पेपर्स थे। दोनों मामलों की एफआईआर दर्ज करवा दी गई थी।

क्या करें

-रेलवे, बस स्टेशन या भीड़ भाड़ वाले इलाके में अपने बैग या सामान से ध्यान न हटाएं

-कोई बच्चा सामान के बारे में पूछे तो सतर्क हो जाएं। बच्चे की आड़ में उचक्के पीछे लगे हो सकते हैं

-अगर कोई कहे कि आपके रुपए गिर गए हैं तो संभल जाएं। ऐसा ध्यान बंटाने के लिए भी किया जा सकता है

-टप्पेबाजी की घटनाएं सामने आने के बाद पुलिस को एलर्ट कर दिया गया है। भीड़भाड़ वाले इलाकों में सादी वर्दी में भी पुलिस वालों को तैनात किया गया है।

राजेश यादव, एसपी सिटी