मुंबई (पीटीआई)। आरबीआई ने बुधवार को 2018-19 की तीसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही लोन की दरें महंगी हो गई हैं। आइए जानते हैं इस क्रेडिट पाॅलिसी की 12 प्रमुख बातें।

महंगाई से चिंतित आरबीआई ने महंगा किया लोन

बढ़ती महंगाई से चिंतित आरबीआई ने कर्ज की मुख्य दर रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर दी है। अब रेपो रेट बढ़कर 6.5 प्रतिशत पहुंच गई है। इससे आने वाले समय में मकान, ऑटो सहित अन्य लोन और उसकी ईएमआई महंगी हो सकती हैं। मौद्रिक नीति कमेटी के छह में से पांच सदस्यों ने रेपो रेट में बढ़ोतरी के लिए वोटिंग की। इस कमेटी की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल करते हैं।

1- आरबीआई ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर दी है। अब यह 6.5 प्रतिशत पहुंच गया है।

2- रिजर्व बैंक ने लगातार तीसरी बार छोटी अवधि के लिए ली जाने वाली कर्ज की दरों में बढ़ोतरी की है।

3- नई मौद्रिक नीति में लगातार रिवर्स रेपो रेट 6.25 प्रतिशत के स्तर पर बरकरार है।

4- इस घोषणा के साथ अब मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट 6.75 प्रतिशत हो गई है।

5- मौद्रिक नीति के माध्यम से रिजर्व बैंक का रवैया अब भी तटस्थ ही है।

6- अप्रैल-सितंबर की तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7.5 से 7.6 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।

7- 2018-19 के दौरान जीडीपी की अनुमानित दरें 7.4 प्रतिशत ही रखी गईं हैं।

8- मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में खुदरा महंगाई की दरें बढ़कर 4.8 प्रतिशत तक पहुंचने की आशंका है।

9- मौद्रिक नीति कमेटी (एमपीसी) के 5 सदस्यों ने दरें बढ़ाने के लिए वोट किया जबकि एक सदस्य ने खिलाफ वोट दिया।

10- अगला तीन दिवसीय एमपीसी मीटिंग 3 अक्टूबर से होनी है।

11- चौथी द्वैमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा 5 अक्टूबर को होना है।

12- आरबीआई बुधवार की बैठक के मिनट्स तैयार करेगी जिसे 16 अगस्त को सार्वजनिक किया जाना है।

यहां जानें क्या होती है रेपो रेट

रेपो रेट वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को कर्ज देता है। दरअसल रोजाना के कामकाज के लिए बैंक आरबीआई से दिन भर के लिए लोन लेते हैं। इसके लिए आरबीआई कर्ज लेने वाले बैकों से ब्याज वसूलता है। यदि आरबीआई लोन महंगा करता है तो बैंक भी ग्राहकों को महंगी दर पर लोन देते हैं। इससे ग्राहक लोन लेने से कतराते हैं और बाजार में मुद्रा कम हो जाती है। इससे महंगाई को काबू करने में मदद मिलती है।

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