- जिले के लोहिया आवासों में रह रहे लोगों की जान पर संकट
- लाभार्थियों को नहीं दी जाती है भवन निर्माण संबंधी जानकारी
BAREILLY:
बरेली के करीब साढ़े तीन हजार आवासों में रहने वाले परिवारों की सिर पर खतरे का साया बना हुआ है। क्योंकि, जिस मकान में वह रह रहे हैं, वह भूकंप के झटके सहने लायक नहीं है। ऐसे में, भूकंप के तेज झटके खतरे का सबब बन सकते हैं। लाभार्थियों की जान खतरे में डालने का काम डीआरडीए के अधिकारियों ने किया है, जिन्होंने मानकों को नजरअंदाज करते हुए निर्माण को हरी झंडी दे दी। मकान बन जाने की वजह से अब उसमें कोई सुधार संभव नहीं है। लिहाजा, अधिकारी जवाब देने से आनाकानी कर रहे हैं।
कागजों में बनाते हैं निर्माण
आवासों के निर्माण का पूरा डाटा तैयार कर लाभार्थी को देने का प्रावधान हैं। मकान का निर्माण मानकों के अनुरूप हो रहा है या नहीं, इसकी निगरानी विभाग करता है और तभी अगली किस्त जारी करता है। लोहिया आवास के लाभार्थी को 3 लाख से ज्यादा और इंदिरा आवास के लाभार्थी को 90 हजार रुपए निर्माण को मिलते हैं। लेकिन अधिकारियों ने मानकों पर गौर फरमाने की बजाय लाभार्थी को किस्त देते गए। यही वजह है कि गरीबों को सुरक्षित आशियाना देने की सरकार की मंशा पर पानी फिर गया।
यह है नियम
-आवासों को प्राकृतिक आपदाओं के सहने के योग्य हो
-करीब 30 वर्षो तक आवासों को रिमेंटनेंस की क्षमता हो
-भवनों निर्माण में कार्यरत प्रमुख गैर सरकारी संगठन से अनुमोदित
-निर्माण में पूर्व में इस्तेमाल सामग्री का प्रयोग अनुचित है
-लाभार्थी को निर्माण सामग्री और निर्माण विधि की जानकारी देना
-मकान में शौचालय, कम्पोस्ट गड्ढा, धुआं रहित चूल्हा हो
-वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम क ा निर्माण होना आवश्यक है
-मकान के ले-आउट का डिजायन लाभार्थी से चयनित हो
-विकलांग व्यक्तियों के लिए आवागमन की सुविधा हो
-जोन 4 से प्रभावित क्षेत्रो में प्राकृतिक आपदा से बचने की क्षमता
लाभार्थी को शासनादेश की सभी जानकारियां दे दी जाती हैं। निर्माण कार्यो की देखरेख होती है। भवन प्राकृतिक आपदाओं को सहने योग्य हैं।
साहित्य प्रकाश मिश्र, पीडी, डीआरडीए