ताकतवर दल ना जाने कहां हो गए गायब

लोकसभा चुनाव में आई मोदी की आंधी में तमाम क्षेत्रीय दलों और उनके क्षत्रपों का सफाया हो गया है. उत्तर प्रदेश की सियासत की सच्चाई बन चुके सपा व बसपा जैसे ताकतवर दल न जाने कहां गायब हो गई. कुनबे की मानी जाने वाली समाजवादी पार्टी कुनबे में ही सिमट कर रह गई, वहीं बसपा का सूपड़ा साफ हो गया. बिहार में लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, महाराष्ट्र में शरद पवार और तमिलनाडु में करुणानिधि जैसे क्षत्रपों को अपनी राजनीतिक साख बचाने के लाले पड़ गए. इनके साथ वाम मोर्चा का भी अस्तित्व खतरे में पड़ गया है.  

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सिर्फ भतीजों और बहू को ही दिला पाए जीत

चुनावी आंधी में उत्तर प्रदेश में चौंकाने वाले नतीजे आए हैं. नौवीं लोकसभा में उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय दलों के खाते में जहां 50 सीटें थीं, वह घटकर मात्र पांच रह गई है. राजनीतिक पंडितों को भी बसपा का सूपड़ा होने का अंदेशा नहीं था. पार्टी एक अदद संसदीय सीट के लिए तरस गई. मुलायम सिंह जैसे दिग्गज समाजवादी नेता खुद दो सीटों से जीत हासिल की, जिसमें एक को छोडऩा ही होगा. इसके अलावा मुलायम सिंह अपने दो भतीजे व बहू डिंपल के अलावा किसी और को नहीं जिता पाए. पार्टी इन्हीं पांच सीटों पर सिमट कर रह गई है. आजमगढ़ सीट के बहाने पूर्वांचल पर कब्जा करने की मंशा का पूरा होना दूर मुलायम सिंह को खुद जीत हासिल करने में एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा.

नीतीश, लालू, मरांडी और शिबू की हालत हुई खराब

श्चिमी उत्तर प्रदेश में मजबूत पैठ वाले राष्ट्रीय लोकदल के सफाये से चौधरी अजित सिंह के राजनीतिक भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है. सियासी रुख की नजाकत को देखकर जो दल मोदी लहर पर सवार हुए, वे पार हो गए. इनमें अपना दल (दो सीट) और बिहार में लोजपा (छह सीट) प्रमुख है. बिहार के क्षत्रप नीतीश कुमार का हर सियासी दांव उल्टा पड़ा. राज्य की सियासत में जदयू हाशिये पर पहुंच गया. लालू के राष्ट्रीय जनता दल से बड़ी उम्मीदें लगाई जा रही थीं, लेकिन चुनाव में पार्टी सिमट सी गई. झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) मुखिया शिबू सोरेन और झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) प्रमुख बाबूलाल मरांडी को भाजपा प्रत्याशी से कड़ी चुनौती मिली है. दक्षिण के राज्य तमिलनाडु में बारी-बारी से सत्ता संभालने वाले द्रमुक प्रमुख करुणानिधि का राज्य में सफाया हो गया है. उनकी पार्टी का खाता भी नहीं खुल सका है. महाराष्ट्र की सियासत के दिग्गज रहे शरद पवार भी मोदी की लहर में धरातल पर पहुंच गए हैं.

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