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LUCKNOW: बृजलाल ने बीएसपी सरकार के दौरान हुए डॉक्टर बीपी सिंह और डॉक्टर विनोद आर्या की हत्या को भ्रष्टाचार का परिणाम बताया है। साथ ही सीबीआई जांच से बचने के लिये इन दोनों हत्याकांड के आनन-फानन किये गए खुलासों पर भी उन्होंने सवाल उठाये हैं।

एनआरएचएम घोटाले की जांच से बचना था उद्देश्य
सोशल मीडिया पर वायरल पत्र में कहा गया है कि विकासनगर में तत्कालीन सीएमओ डॉक्टर विनोद आर्या और उसके बाद तत्कालीन सीएमओ डॉक्टर वीपी सिंह की मॉर्निंग वॉक के दौरान हत्या की गई थी। जब इन दोनों हत्याओं से तत्कालीन बसपा सरकार की किरकिरी होने लगी और हाईकोर्ट में जनहित याचिका के जरिये सीबीआई जांच की मांग की गई तो तो सरकार के इशारे पर लखनऊ पुलिस ने फैजाबाद के कुख्यात अपराधी सुधाकर पांडेय की मुख्य भूमिका और जेल में बंद समाजवादी नेता अभय सिंह को मास्टरमाइंड बताते हुए आनन-फानन में विजय दुबे, सुमित, अमित दीक्षित, अजय दुबे व अभय सिंह का चालान कर हाईकोर्ट में एफिडेविट दे दिया गया। उन्होंने कहा कि यह सब एनआरएचएम घोटाले की जांच सीबीआई से होने से बचाना था।

बजट हड़पने को सृजित किये पद

बृजलाल ने कहा कि उस वक्त वे एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के पद पर थे। उन्होंने एसटीएफ के जरिए डॉक्टर आर्या और डॉक्टर बीपी सिंह की हत्या का सही खुलासा किया और असल आरोपियों को अरेस्ट करने के साथ ही निर्दोषों को जेल से छुड़ाया। वहीं, हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने जांच की और बीएसपी सरकार पर एनआरएचएम में 5700 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप सही पाया। जिसके बाद मायावती सरकार के कई मंत्री और अधिकारी जेल भेजे गए। उन्होंने कहा कि दरअसल, एनआरएचएम के विशाल बजट को हड़पने के लिये मायावती सरकार ने हर जिले में सीएमओ के अलावा सीएमओ परिवार कल्याण का पद सृजित करते हुए बाबू सिंह कुशवाहा के हवाले कर दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि बीएसपी सरकार की शह पर मंत्री व अधिकारियों ने लूटपाट का कीर्तिमान स्थापित किया, जिसके चलते दो सीएमओ को अपनी जान गंवानी पड़ी।

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