- तीन दिन तक छाये मोदी तो भाजपा कार्यकर्ताओं का बढ़ा जोश

- सपा दफ्तर में भी छाया सन्नाटा, संयुक्त रैलियों पर पूरा ध्यान

- कांग्रेस को केवल प्रियंका से आस, किसी चमत्कार का इंतजार

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LUCKNOW: लोकसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच राजधानी में प्रमुख राजनैतिक दलों के कार्यालयों में चुनावी शह-मात का खेल जारी है। फर्क सिर्फ इतना है कि यह कवायद पार्टी के बड़े चेहरों के बजाय बंद कमरों से हो रही है। किस जगह पार्टी को ज्यादा जोर लगाना है और कहां कम, इसका गहराई सेे आंकलन कर हाईकमान को रिपोर्ट भेजी जा रही है जिसके आधार पर आगे की रणनीति तय होती है। बीते तीन दिन में वाराणसी में मोदी के आने से भाजपा मुख्यालय में कार्यकर्ताओं का जोश हाई नजर आ रहा है तो सपा-बसपा और कांग्रेस का थिंक टैंक माने जाने वाले नेता इसकी काट तलाश रहे हैं। फिलहाल सभी दलों की चुनावी सेनाएं रणक्षेत्र में हैं। पार्टी दफ्तर वीरान जरूर दिखते हैं पर बंद कमरों से उनके चाणक्य चुनावी जीत का फार्मूला खोज रहे हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रिपोर्टर ने शुक्रवार को पार्टी दफ्तरों का हाल जाना तो कुछ इस तरह की तस्वीर सामने आई।

सिर चढ़कर बोल रहा मोदी का जादू

बीते तीन दिन से वाराणसी में पीएम मोदी की मौजूदगी से भाजपा प्रदेश मुख्यालय में कार्यकर्ताओं का जोश उफान मार रहा है। शुक्रवार को मोदी का नामांकन देखने का मोह पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं के साथ आईटी सेल के उन युवाओं में साफ नजर आया और वे अपने मोबाइल और टीवी पर चिपके नजर आए। पार्टी दफ्तर में नीचे तो सन्नाटा पसरा है पर पहली मंजिल पर बने आईटी सेल में युवाओं की फौज सोशल मीडिया पर पार्टी की दमदार मौजूदगी दर्ज करा रही है। जल्द रायबरेली में पीएम मोदी के आगमन को लेकर भी तैयारियां शुरू हो गयी हैं। पार्टी दफ्तर पर मोदी ब्रांड के उत्पादों की खरीद भी तेजी से जारी है। बीते दिन से अधिकतर नेताओं ने वाराणसी में डेरा डाल रखा है और शनिवार को उनकी वापसी के साथ ही भाजपा दफ्तर में रौनक बढ़ जाएगी और इस बार चौथे और पांचवें चरण के लिए नये सिरे से जिम्मेदारियां देकर पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को अलग-अलग जगहों पर भेजा जाएगा।

सारा ध्यान संयुक्त रैलियों पर

सपा प्रदेश मुख्यालय में मौजूद नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच मीडिया को लेकर नाराजगी नजर आती है। वजह है तीन दिन से उनके नेताओं को कवरेज में खास तवज्जो न मिल पाना। इसके बावजूद उनको अपनी जीत का भरोसा है और वे सपा-बसपा की संयुक्त रैलियों से अपनी ताकत बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं। पार्टी दफ्तर में राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी मौजूद रहकर उन सीटों का हाल जान रहे हैं जहां चौथे चरण में मतदान होना है। प्रत्याशियों की मांग पर उनके यहां पार्टी के बड़े नेताओं के कार्यक्रम तय करने का ताना-बाना तैयार हो रहा है। पेड़ की छांव तले आराम करते कार्यकर्ता इस बात को लेकर आश्वस्त नजर आते हैं कि चुनाव में गठबंधन की जीत पक्की है। हालांकि उनकी नाराजगी कांग्रेस को लेकर नजर आती है जो कई जगहों पर उनके प्रत्याशियों का खेल बिगाड़ रही है।  

कांग्रेस को प्रियंका से आस

कांग्रेस दफ्तर में भी बाकी जगहों की तरह सन्नाटा है। मैदान में बोरों में प्रचार सामग्री रखी है जिसे जल्द ही चौथे चरण की सीटों पर भेजा जाना है। फिलहाल पार्टी नेताओं को चुनाव में जीत के लिए केवल प्रियंका गांधी से आस है। उनका मानना है कि यह चुनाव भले ही उनके लिए कोई बड़ा संदेश लेकर न आए पर यह यूपी में कांग्रेस की जमीन तैयार कर देगा। पार्टी दफ्तर में ही प्रचार सामग्री बेचने वाले दुकानदार की नाराजगी दूसरी है। चुनाव आयोग की सख्ती से उनका काम मंदा हो गया है। सोशल मीडिया ने भी उनकी रोजी-रोटी को नुकसान पहुंचाया है। वहां मौजूद गुड्डू कहते हैं कि पहले प्रचार के लिए नेताओं के बड़े आर्डर आते थे, महीनों पहले से बड़े नेताओं के कटआउट बनने लगते थे। इस बार तो जैसे चुनाव में कोई रंग ही नहीं है।

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हमेशा की तरह बसपा मुख्यालय के दरवाजे आम कार्यकर्ताओं और मीडिया के लिए बंद हैं। मुख्य गेट पर जाने के बाद आपको वापस आना पड़ता है क्योंकि आगे जाने की अनुमति किसी को नहीं है। झांकने पर अंदर सन्नाटा नजर आता है। पार्टी सुप्रीमो मायावती लगातार जनसभाओं में व्यस्त हैं और बाकी पदाधिकारियों को भी उन सीटों पर जाने को बोला गया है जहां पर गठबंधन प्रत्याशी को जिताना है। वहां मौजूद सुरक्षाकर्मी भी आपस में जीत-हार का आंकलन करते नजर आए पर यह पूछे जाने पर कि कितनी सीटें मिलने की उम्मीद है, उन्होंने चुप्पी साध लेना ही उचित समझा और गेट बंद करके अंदर का रुख कर लिया।