कानपुर। लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम घोषित हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की है। पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए को 542 लोकसभा सीटों में से 352 सीटें मिली हैं, जबकि यूपीए सिर्फ 87 सीटों को हासिल करने में कामयाब रही। इस जीत पर वर्ल्ड मीडिया ने नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है। कुछ ने तो इस जीत को जनता के विश्वास का नतीजा बताया है। आइये, जानें दुनिया के बड़े अखबारों ने पीएम मोदी की जीत पर क्या लिखा है...

राजनीति के ब्रांड हैं पीएम मोदी

अमेरिका के सबसे बड़े अखबरों में से एक 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' (एनवाईटी) ने लिखा है, 'कुछ समय पहले जब मोदी देश को आगे बढ़ाने के लिए आर्थिक मजबूती को लेकर जूझ रहे थे, तब जिस नतीजे के बारे में विश्लेषकों ने अनुमान लगाया था, यह जीत उससे कहीं बड़ी रही है। पीएम मोदी अब हिंदू राष्ट्रवाद की राजनीति के ब्रांड बन चुके हैं और उन्होंने पूरी दुनिया में भारत की जो मजबूत छवि पेश करने की कोशिश की थी, वह आखिरकार रंग लाई और उसने देश के 91 करोड़ वोटर्स को पूरी तरह प्रभावित कर दिया।'

सच साबित हुआ एग्जिट पोल

एक और अमेरिकी अखबार द गार्डियन ने लिखा है, 'एग्जिट पोल में जिस नतीजे का अनुमान लगाया गया, वह सच साबित हुए हैं। एक बार फिर मोदी के नेतृत्व में भाजपा सत्ता में वापसी करने के लिए तैयार है। पीएम मोदी को रोकने की तमाम कोशिशें की गईं लेकिन जनता ने इस कद्दावर नेता और उसकी पार्टी में भरोसा बरकरार रखा। पीएम मोदी पूरी दुनिया में अपनी एक अलग छवि के लिए जाने जाते हैं और उनकी यह इमेज पहले से ज्यादा मजबूत हुई है।

मोदी को लोगों ने पसंद किया

बीबीसी वर्ल्ड ने लिखा है कि लोकसभा चुनाव में मोदी की ऐतिहासिक जीत हुई। रुझान आने के बाद भारत के स्टॉक मार्केट में भी वृद्धि उछाल देखी गई। मोदी पर भारत को धर्म के आधार पर बांटने और उन्हें अपना वोट बैंक बनाने के आरोप लगे लेकिन परिणाम यह संकेत दे रहे हैं कि उनकी ध्रुवीकरण वाली छवि को बहुत ज्यादा लोगों ने पसंद किया और उन पर अपना भरोसा बरकरार रखा।

'मोदी को गंभीरता से लिया जाता है'

दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित मीडिया 'सीएनएन' ने लिखा है कि पिछली बार मोदी के नेतृत्व वाले भाजपा का नारा था, 'सबका साथ-सबका विकास'। इस बार उन्होंने खुद को चौकीदार का दर्जा दिया। उन्होंने इस बार खुद को देश का रक्षक बताया और साबित भी किया। यह एक बहुत ही अलग मैसेज है और इस तरह की कैंपेनिंग कम ही देखने को मिलती है। पूरी दुनिया में मोदी और इंडिया की गंभीरता वाली छवि में वृद्धि देखी गई है।

पुलवामा का मिला फायदा

पाकिस्तानी चैनल 'जियो टीवी' ने अपनी वेबसाइट पर लिखा कि चुनाव प्रचार की शुरुआत में मोदी विधानसभा चुनाव में कुछ राज्य में हार और महंगाई-बेरोजगारी पर गुस्से के चलते दबाव में थे। हालांकि, पुलवामा हमले के बाद यह अभियान भारत के परमाणु शक्ति संपन्न पड़ोसी पाकिस्तान के साथ रिश्तों की ओर मुड़ गया। इससे भाजपा को काफी फायदा हुआ।

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क्या मोदी तवज्जो देंगे

पाकिस्तानी अखबार 'द डॉन' ने लिखा कि मोदी 2-0 से आगे दिख रहे हैं। इसका मतलब यह कि पाकिस्तान को लेकर भाजपा की नीति नहीं बदलेगी और दोनों देशों में तनाव भी कम नहीं होगा। अब सवाल ये भी है कि क्या मोदी इमरान खान के शांति प्रस्ताव को तवज्जो देंगे? इमरान ने तो इस बात को बार-बार कहा है कि वह मोदी के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं? क्या यह संभव होगा?

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