-5 कैंडिडेट्स पीएचडी होल्डर और 11 पोस्टग्रेजुएट हैं मैदान में

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PATNA: प्राय: कहा जाता है कि क्लर्क बनने के लिए मैट्रिक या उससे ऊपर की शैक्षणिक योग्यता निर्धारित है लेकिन एमपी, एमएलए, मिनिस्टर, सीएम या पीएम बनने के लिए कोई योग्यता तय नहीं है. लेकिन यह व्यवस्था केवल लोकतंत्र में ही संभव है. क्योंकि छोटे-से-छोटे पद के लिए शैक्षणिक योग्यता को ही पैमाना माना जाता है. इस स्थिति में राजनीति ही वह क्षेत्र है जिसमें यह मापदंड फिट नहीं है. राजनीति करने के लिए शिक्षा से अधिक तजुर्बे की आवश्यकता होती है और यह कोई जरूरी नहीं है कि जो शिक्षित या अधिक पढ़े-लिखे नहीं हैं वह राजनीति नहीं कर सकते. इसका ताजा उदाहरण लोकसभा के फोर्थ फेज के चुनाव में देखा जा सकता है. इस फेज में कुल 32 ऐसे कैंडिडेट्स ननग्रेजुएट हैं तो 10 कैंडिडेट्स प्रारंभिक शिक्षा भी नहीं लिए हैं.

10 ननमैट्रिक हैं मैदान में

लोकसभा चुनाव के फोर्थ फेज में बिहार में पांच सीटों के लिए कल चुनाव हो रहे हैं जिसमें बेगूसराय, मुंगेर, समस्तीपुर, उजियारपुर और दरभंगा शामिल है. कैंडिडेट्स के द्वारा चुनाव आयोग को दिए गए सर्टिफिकेट के अनुसार 10 कैंडिडेट्स ऐसे हैं जो ननमैट्रिक हैं.

दरभंगा में आठ में से सिर्फ एक पीजी

दरभंगा लोकसभा क्षेत्र से आठ कैंडिडेट्स चुनाव मैदान में हैं. जिसमें से बीजेपी के गोपाल ठाकुर पीजी हैं. जबकि आरजेडी के अ?दुलबारी सिद्दकी इंटर पास हैं. चार कैंडिडेट्स मैट्रिक पास हैं जबकि दो कैंडिडेट्स ननमैट्रिक हैं. इसी तरह बाहुबली विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी कांग्रेस के टिकट पर मुंगेर से चुनाव लड़ रही हैं. ये भी मैट्रिक पास नहीं हैं. यहीं से जदयू के कैंडिडेट ललन सिंह ग्रेजुएट हैं.

कन्हैया समेत 5 के पास पीएचडी की डिग्री

बेगूसराय से तीन कैंडिडेट्स पीएचडी होल्डर हैं. आरजेडी के कैंडिडेट तनवीर हसन और सीपीआई के कैंडिडेट कन्हैया कुमार पीएचडी हैं. साथ ही एक अन्य निर्दलीय शंभू के पास भी पीएचडी डिग्री है. इसके अलावा उजियारपुर से चुनाव लड़ रहे दो कैंडिडेट्स पीएचएचडी हैं. इसके अलावा बेगूसराय से बीजेपी कैंडिडेट गिरिराज सिंह ग्रेजुएट हैं. उजियारपुर से बीजेपी कैंडिडेट नित्यानंद राय भी ग्रेजुएट हैं. जबकि इनके प्रतिद्वंदी रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उप्रेंद्र कुशवाहा पीजी पास हैं.

एमबीबीएस भी चुनाव मैदान में

समस्तीपुर से कुल 11 कैंडिडेट्स चुनाव मैदान में हैं. जिसमें से कांग्रेस के डॉ अशोक कुमार के पास एमबीबीएस हैं जबकि इनके प्रतिद्वंदी लोजपा के रामचंद्र पासवान मैट्रिक पास हैं. इसके अलावा 3 कैंडिडेट्स ननमैट्रिक, 2 मैट्रिक, 3 ग्रेजुएट और 2 पोस्टग्रेजुएट हैं.

अक्षर ज्ञान जरूरी सर्टिफिकेट नहीं

लोकतंत्र में चुनाव लड़ने के लिए अक्षर ज्ञान जरूरी है सर्टिफिकेट नहीं. बिना सर्टिफिकेट वाले भी व्यवस्था ठीक से कर सकते हैं. यह कहना है जानेमाने पत्रकार और साहित्यकार हेमंत का. हेमंत कहते हैं कि हमारे लोकतंत्र को किसने बचाया. जो शिक्षा से वंचित हैं. पढ़-लिखे लोग ही लोकतंत्र के लिए खतरा हैं. वोटों की खरीद-बिक्री किसने शुरू की. आजादी के बाद से अब तक जितने भी चुनाव हुए उसमें ग्रामीण बढ़चढ़ कर वोट देते रहे हैं. देखा जाए तो ग्रामीण बेरोजगारी कम है जबकि पढ़े-लिखे ही अधिक बेरोजगारी है.

जनप्रतिधि के लिए शिक्षा जरूरी

शिक्षा के बिना मनुष्य मनुष्य ही नहीं है. यह कहना है जानेमाने गांधीवादी रामजी सिंह का. वह बताते हैं कि धर्म में भी शिक्षा की बात कही गई है. जब खुद का काम शिक्षा के बिना नहीं चल सकता है तो जनप्रतिनिधि कैसे बन सकते हैं. खुद से लेकर समाज और राष्ट्र के विकास के लिए शिक्षा आवश्यक है. लोकतंत्र में भी शिक्षा को स्थान मिलना चाहिए. पढ़-लिखे जनप्रतिनिधि विकास के लिए बेहतर प्लान बना सकते हैं और उस पर अमल करते हुए सही तरीके से समाज को विकास के रास्ते पर आगे ले जा सकते हैं.