-जेल की बैरक में अकेला रहते हुए भी चंद पलों में तनावग्रस्त हो जाता है

मेरठ : सुरेंद्र कोली सामान्य होने के बाद थोड़ी देर तक तनाव मुक्त दिखाता है, उसकेबाद चेहरे पर चिंता की लकीरें नजर आने लगती हैं। बैरक के बाहर घूमने के दौरान भी बुधवार को सोच में डूबा हुआ दिखाई दे रहा था।

वरिष्ठ जेल अधीक्षक मोहम्मद हुसैन मुस्तफा रिजवी ने बताया कि सुरेंद्र कोली की अभी भी खोया-खोया सा रहता है। बुधवार को सुबह ही बैरक से बाहर घूमने के लिए कुछ समय को निकला था। उसके बाहर घूमने पर बंदी रक्षकों को साथ रखा जाता है। सुरेंद्र कोली की मनोदशा को देखकर कई बार तो जेल के डॉक्टर भी हैरत में पड़ जाते हैं। उसे देखकर लगता है कि कभी-कभी वह सोचता है कि फांसी टल गई है, तो कभी फांसी लगने को लेकर परेशान हो जाता है। कोली से जेल के अफसरों ने उसकी मनोदशा पर सवाल भी किए तो कुछ ज्यादा नहीं बोला, कहने लगा कि सबकुछ भगवान के भरोसे पर है?

घरवालों की राह ताकता रहा कोली जेल की बैरक में कोली बाहर मीडिया के लोग उसके परिजनों के आने का इंतजार करते रहे। देर शाम तक भी कोई कोली से मिलने तक नहीं पहुंचा। वरिष्ठ जेल अधीक्षक का कहना है कि यदि उसके परिवार के लोग समय के बाद भी आए गए तो उन्हें नियमों को ध्यान में रखकर मिलवा दिया जाएगा।

फांसीघर पर खामोशी के साथ लटक रहा फंदा : कोली की फांसी टलने के बाद रिहर्सल को डाला गया फंदा ज्यों का त्यों लटका हुआ है। उस दिन से किसी भी अफसर ने फांसीघर का रूख तक नहीं किया। फांसी टलने के बाद जेल प्रशासन भी अब अगले आदेश का इंतजार कर रहा है। माना जा रहा है कि उस दिन से न तो पवन जल्लाद से वार्ता की गई और न ही फांसीघर को देखा गया।