- हाइड्रोलिक सिस्टम पर यह बेस्ड यह झूला करीब 35 फीट की ऊंचाई तक ले जाएगा

- 25 नवम्बर को महोत्सव का उद्घाटन आशियाना के स्मृति उपवन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव करेंगे

LUCKNOW: इस बार लखनऊ महोत्सव की शान बनेगा फन जोन। यहां घूमने आए लखनऊ करोड़ों के इन झूलों पर मजा ले सकेंगे। यूपी में पहली बार रेंजर झूला लगने जा रहा है। हाइड्रोलिक सिस्टम पर यह बेस्ड है। करीब फ्भ् फीट की ऊंचाई पर यह झूला जाएगा। इस बार महोत्सव में यह नया आकर्षण लोगों को खूब लुभाएगा। इसके अलावा पहली बार यहां भूत बंगला भी लगाया जाएगा।

ऑक्टोपस पर उमड़ेगी भीड़

ऑक्टोपस पर बैठने वालों की भीड़ रहेगी। खास बात यह होगी कि इस ऑक्टोपस में आठ की जगह छह भुजाएं ही होंगी। इन भुजाओं पर लगी ट्रालियों में बैठकर लोग समुंदर का मजा ले सकेंगे। चाइनीज नहीं बल्कि जापानी चिल्ड्रेन पार्क में पहुंचते ही बच्चों की खुशी दुगनी हो जाएगी। मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही सबसे पहले इन झूलों को लगाया गया है। ख्भ् नवम्बर को महोत्सव का उद्घाटन आशियाना के स्मृति उपवन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव करेंगे।

यह हैं खास झूले

ज्वाइंट व्हील- महोत्सव में यदि आप इस विशालकाय झूले पर बैठ जाएंगे तो पूरे महोत्सव का नजारा तो मिलेगा साथ ही अम्बेडकर मैदान और अमौसी एयरपोर्ट भी आपको दिखाई पड़ेगा। इसे झूलों का राजा भी कहा जाता है। झूलों का ठेका लेने वाले ड्रीमलैंड इंटरटेनमेंट के सचिन त्रिपाठी ने बताया कि इसमें ख्0 पालकी हैं और एक साथ 80 लोग बैठ सकते हैं।

टिव्स्टर-ब्0 फुट की ऊंचाई पर उलट-पलट जाता है। देखने वालों की खोपड़ी ही घूम जाती है। इसमें क्0 पालकियां हैं। प्रत्येक में दो लोग बैठते हैं।

कोलम्बस- नाव जैसे आकार का यह झूला देखने में तो साधारण हैं लेकिन जब आप इसमें बैठेंगे तो खासियत समझ आएगी। एक साथ इस झूले में म्ब् लोग बैठते हैं।

स्ट्रैकिंग कार-न गियर और न ही ब्रेक। पेट्रोल का भी झंझट नहंी। यह कार करंट से दौड़ रही हैं। प्लेटफार्म में छह कारें चलती हैं और एक दूसरे से जब टकराती हैं तो अलग ही मजा आता है।

सलाम्बो- यह हवाई जहाज की तरह आपको आसमान की सैर कराएगा। पहली बार महोत्सव में इसे लाया गया है।

बच्चों के लिए झूले- मिनी ऑक्टोपस, ट्वाय ट्रेन, फ्रॉग राइड, इंजन ट्रेन, मिकी माऊस, एरोप्लेन, ट्रेन सहित कई छोटे झूले।

इसका ध्यान रखें

गर्भवती महिलाएं और मिर्गी के मरीज झूलों पर न बैठें

शराब का सेवन करके झूलों में बैठना मौत को दावत देना है।

जी मिलचाने व चक्कर की शिकायत वालों को झूलों पर बैठने से परहेज करना चाहिए।

ट्विस्टर झूले पर चश्मा पहन कर न बैठें।

झूला झूलते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें।

क्या कहते हैं चिकित्सक

मनोचिकित्सक डॉ.हरजीत सिंह का कहना है कि जो लोग बचपन से ही झूले पर नहीं बैठते। उनमें मनोवैज्ञानिक रोग हो जाता है और वह झूलों से डरने लगते हैं। इसके अलावा ब्लड प्रेशर, दिल के रोग, स्पेन्डलाइटिस, मिर्गी आदि से पीडि़त लोगों को भी झूलों पर नहीं बैठना चाहिए।

किले जैसी सिक्योरिटी होगी महोत्सव की

महोत्सव परिसर, महोत्सव को आने वाले मार्गो और चौराहों पर जबरदस्त व्यवस्था होगी। महोत्सव स्थल किले में तब्दील होगा। चारो तरफ पुलिस ही पुलिस दिखाई देगी। कोई अनहोनी न हो इसकी वजह से यह कदम उठाए गए हैं। रोज कम से कम क्.भ् से ख् लाख लोगों के महोत्सव आने वालों के लिए ट्रैफिक व्यवस्था भी चुस्त दुरस्त रहेगी। डीएम राजशेखर ने बताया कि महोत्सव सतर्कता की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। महोत्सव परिसर की निगरानी के लिए करीब क्ब् स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इसमें मुख्य प्रवेश द्वार, टिकट खिड़की, विंडो, पंडाल और सभी संभावित भीड़ वाले स्थान प्रमुख हैं। सीसीटीवी कैमरे के लिए अलग से कंट्रोल रूम बनाया गया है। ख्ब् घंटे पुलिस का बंदोबस्त रहेगा। इसमें गश्त, महत्वपूर्ण चौराहों, रोड पर पेट्रोलिंग की व्यवस्था की गई है। स्निफर डॉग, डीएमएमडी, एचएचएमडी, यूवीएसएमएम आदि द्वारा जांच पड़ताल की जाएगी।